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Mahakaleshwar Bhasmarti: चैत्र नवरात्रि की अष्टमी पर उज्जैन में बाबा महाकाल ने जगतजननी के रूप में दिए दर्शन - बाबा महाकाल का जगतजननी स्वरूप

चैत्र नवरात्रि की अष्टमी पर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल का देवी स्वरूप में श्रृंगार किया गया. भोले के इस वात्सल्यमय रूप को देखकर भक्त भावविभाेर हो उठे.

ujjain Bhasmarti
जगतजननी के रूप में दर्शन
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Published : Mar 29, 2023, 12:23 PM IST

उज्जैन। विश्वप्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में चैत्र नवरात्रि की अष्टमी पर बुधवार को भोलेनाथ का अबीर और कुंकुम से माता के रूप में श्रृंगार किया गया. भस्मारती में सबसे पहले चंदन का लेप करने के बाद बाबा को मस्तक पर शेष नाग, रुद्राक्ष की माला, नाक में नथनी और कान में कुंडल धारण कराए गए. भोलेनाथ का देवी के रूप में श्रृंगार इतना अदभुत था कि वहां मौजूद श्रद्धालु आनंदमय हो गए. महाकाल को माता के रूप में तैयार कर सूखे मेवे से सजाया गया. गुलाब के फूलों की माला और आभूषण धारण कराने के बाद बाबा महाकाल ने भक्तों को दर्शन दिए.

ujjain Bhasmarti
देवी स्वरूप में श्रृंगार

विशेष तौर पर पहनाई गई नथनी: महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन की तरह बुधवार तड़के भी करीब 3 बजे भस्मारती शुरू हुई. सबसे पहले भगवान महाकाल को जल अर्पित कर उन्हें स्नान कराया गया. इसके बाद पंडे-पुजारियों ने दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से भगवान का पंचामृत अभिषेक किया. औघड़नाथ को माता के रूप में तैयार करने के लिए विशेष तौर पर नथनी पहनाई गई. भगवान महाकाल को भस्मी अर्पित कर आरती की गई. इसके बाद फल और अलग-अलग तरह की मिठाइयों का भोग लगाया गया.

ujjain Bhasmarti
भोले का वात्सल्यमय रूप

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ujjain Bhasmarti
गर्भगृह में विराजित नंदी

आराध्य के दर्शन करने की अधीरता: अष्टमी पर अपने आराध्य के दर्शन और भस्मारती देखने के लिए उज्जैन पहुंचे श्रद्धालु रात करीब 12 बजे ही महाकालेश्वर मंदिर के बाहर लाइन लगाकर खड़े हो गए थे. जैसे ही मंदिर के पट खुले, श्रद्धालुओं को बारी-बारी परमिशन चेक कर प्रवेश दिया गया. गर्भगृह के बाहर लगी स्क्रीन पर भस्मारती शुरू होते ही लोग भोले के जयकारे लगाने लगे.

उज्जैन। विश्वप्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में चैत्र नवरात्रि की अष्टमी पर बुधवार को भोलेनाथ का अबीर और कुंकुम से माता के रूप में श्रृंगार किया गया. भस्मारती में सबसे पहले चंदन का लेप करने के बाद बाबा को मस्तक पर शेष नाग, रुद्राक्ष की माला, नाक में नथनी और कान में कुंडल धारण कराए गए. भोलेनाथ का देवी के रूप में श्रृंगार इतना अदभुत था कि वहां मौजूद श्रद्धालु आनंदमय हो गए. महाकाल को माता के रूप में तैयार कर सूखे मेवे से सजाया गया. गुलाब के फूलों की माला और आभूषण धारण कराने के बाद बाबा महाकाल ने भक्तों को दर्शन दिए.

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विशेष तौर पर पहनाई गई नथनी: महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन की तरह बुधवार तड़के भी करीब 3 बजे भस्मारती शुरू हुई. सबसे पहले भगवान महाकाल को जल अर्पित कर उन्हें स्नान कराया गया. इसके बाद पंडे-पुजारियों ने दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से भगवान का पंचामृत अभिषेक किया. औघड़नाथ को माता के रूप में तैयार करने के लिए विशेष तौर पर नथनी पहनाई गई. भगवान महाकाल को भस्मी अर्पित कर आरती की गई. इसके बाद फल और अलग-अलग तरह की मिठाइयों का भोग लगाया गया.

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