उज्जैन। शहर में स्तिथ भैरवगढ़ जेल से पैरोल पर छूटे हाथों में हथकड़ी डाले पिता ने अपने 8 वर्षीय मृतक दिव्यांग बेटे को दफनाया. जिसने भी यह दृश्य देखा उसका भावुक हो गया लेकिन उससे भी ज्यादा दुखी करने वाली जानकारी आश्रम संचालक ने दी. दिव्यांग के दुनिया छोड़ने के बाद 8 वर्षीय मासूम के मामले में जब उसकी मां से संपर्क किया गया तो उसकी जानकारी नही मिल पा रही थी एवं परिजनों ने अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया था. जिसके बाद आश्रम के प्रयासों से मात्र साढे़ 3 घण्टे में आपात पैरोल के आदेश जिला प्रशासन ने देकर उसके मासूम बेटे का अंतिम संस्कार पिता के द्वारा सम्पन्न कराया.
दिव्यांग को नहीं मिला मां-बाप का प्यार: बहु दिव्यांग बेटे को जीते जी न मां का प्यार मिला, न बाप का, मां का प्यार इसलिए नही मिला क्योंकि मां अपने ही पुत्र को न तो 2 वक्त की रोटी दे पाने में समर्थ और न ही उसका ईलाज करवाने को पैसे थे. बाप भी मासूम के दुनिया में आने से पहले ही लूटपाट एवं हत्या काण्ड में आजीवन जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया. पति के जेल जाने के बाद गर्भवती पत्नि ने जिस मासूम को जन्म दिया वह जन्म से ही बहु दिव्यांग था और किस्मत ने उसे ‘अंकित ग्राम’ सेवाधाम आश्रम पहुंचा दिया. यहां मासूम का हर तरह से न सिर्फ ध्यान रखा गया बल्कि उचित ईलाज भी दिया गया लेकिन, जन्म से ही गंभीर बिमारियों के चलते आश्रम में उसने जिन्दगी का दामन छोड़ दिया.
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3 घंटे में आपात पैरोल: आश्रम संस्थापक सुधीर भाई ने बताया कि आश्रम में जब किसी की मौत होती है तो अंतिम संस्कार वे स्वयं करते है लेकिन यदि आश्रम में रहने वाले का कोई भी रिशतेदार देश में कहीं भी है तो उसे न सिर्फ सूचित किया जाता है बल्कि अंतिम संस्कार भी वही करें ऐसा प्रयास किया जाता है. अंकित ग्राम सेवाधाम आश्रम का कहना है कि जहां इस संसार में मानवीय संवेदना क्षीण हो रही है.
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जिला प्रशासन एवं पुलिस-जेल के त्वरित सहयोग से 2014 से उज्जैन भैरवगढ़ जेल में सजायाफ्ता आजीवन कैदी ने अपने बहु दिव्यांग बालक को अंतिम विदाई पैरोल पर छूट कर दी. आश्रम संचालकने बताया कि बीते 3 साल से दिव्यांग बालक सेवा धाम आश्रम में तत्कालीन कलेक्टर शशांग मिश्र के अवगत करवाने पर हमने भर्ती किया था. भर्ती के वक्त बालक को मिर्गी आना, चल फिर नहीं पाना, बिस्तर ग्रस्त बहु दिव्यांग अवस्था में था उसका उपचार करवाया थोड़ा ठीक हुआ लगातार परिवार को सूचित किया कोई कभी मिलने नहीं आया.