उज्जैन। साल 2020 का आखिरी चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को लगेगा. ये अंतिम चंद्रग्रहण कई मामलों में खास होगा. देश भर में इस दिन कार्तिक पूर्णिमा का भी पर्व मनाया जाएगा. इसलिए इस दिन लगने वाला चंद्रग्रहण का महत्व और अधिक बढ़ जाता है. हालांकि उज्जैन के मशहूर ज्योतिषाचार्य आनंद शंकर व्यास का कहना है कि सोमवार को लगने वाला चंद्रग्रहण उपछाया चंद्रग्रहण है, इसलिए इस बार सूतक नहीं लगेगा.
इस चंद्रग्रहण में सूतक काल महत्व नहीं
वैसे तो ग्रहण काल में सूतक का बड़ा महत्व होता है. हालांकि यह ग्रहण चंद्रमा का उपछाया ग्रहण है, इसलिए इसमें सूतक काल नहीं माना जाएगा. सूतक काल चंद्रग्रहण के लगने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है. लेकिन, बिना सूतक वाले ग्रहण काल का प्रभाव ज्यादा नहीं होता है.
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क्या होता है सूतक काल
चंद्रग्रहण से 9 घंटे पहले लगने वाले सूतक काल में शुभ कार्य वर्जित होते हैं. सूतक काल में पूजा-पाठ भी नहीं की जाती है. इस दौरान मंदिर के कपाट भी बंद रहते हैं. कहते हैं कि गर्भवती महिलाओं को सूतक काल में छोंक, तड़का, धारदार और नुकीली वस्तुओं से दूर रहना चाहिए. सूर्य ग्रहण में सूतक काल 12 घंटे का होता है.
क्या होता है उपछाया ग्रहण
चंद्रग्रहण के शुरू होने से पहले चंद्रमा धरती की उपछाया में प्रवेश करता है. जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश किए बिना ही बाहर निकल आता है, तो उसे उपछाया ग्रहण कहते हैं. चंद्रमा जब धरती की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है, तभी उसे पूर्ण रूप से चंद्रग्रहण माना जाता है.
कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण
जानकारी के मुताबिक ये उपछाया ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा. लेकिन यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, नॉर्थ अमेरिका, साउथ अमेरिका, प्रशांत और अटलांटिक महासागर के अलावा एशिया के कुछ हिस्सों में ये चंद्रग्रहण दिखाई देगा.
चंद्रग्रहण की तिथि और समय
ये ग्रहण 30 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 4 मिनट से आरंभ होगा और 30 नवंबर को शाम 5 बजकर 22 मिनट पर समाप्त हो जाएगा.