उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) के शिखर पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर (Nagchandreshwar Temple) के पट हर साल सिर्फ नाग पंचमी (Nag Panchami) पर ही खुलता है, रात के 12 बजे खुले मंदिर के पट अगली रात 12 बजे तक यानि 24 घण्टे के लिए सतत खुले रहते हैं. नाग पंचमी पर नागचंद्रेश्वर मंदिर में विशेष पूजन किया जाता है. रात 12 बजे पट खुलने के बाद महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी ने विधि-विधान से भगवान नागचंद्रेश्वर की पूजा-अर्चना की. करीब एक घंटे तक चली पूजा के बाद मंदिर में श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया. हालांकि, महाकाल मंदिर में आने वाले श्रद्धालु एलईडी से और घर बैठे भगवान नाग चंद्रेश्वर के वर्चुअल दर्शन का लाभ उठा सकेंगे.
सिर्फ नाग पंचमी पर खुलने वाले नागचंद्रेश्वर मंदिर में भक्तों की नो एंट्री, वर्चुअल कर सकेंगे दर्शन
साल में सिर्फ नागपंचमी के दिन खुलता है मंदिर
विश्व प्रसिद्व महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए यूं तो रोजाना भक्तों की भीड़ उमड़ती है, नाग पंचमी (Nag Panchami) के दिन महाकाल मंदिर (Mahakaleshwar Temple) के शिखर के मध्य में स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए श्रद्वालुओं को साल भर इंतजार करना पड़ता है क्योंकि यह मंदिर साल में केवल एक बार नाग पंचमी के दिन ही खुलता है, इस दिन लाखों लोग भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन कर खुद को धन्य समझते हैं. नाग पंचमी को भगवान नागचंद्रेश्वर के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, यह पर्व प्रति वर्ष लाखों श्रद्धालु आनंद-उमंग और पूर्ण आस्था के साथ मनाते हैं, लेकिन इस बार कोरोना गाइडलाइन के चलते श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश नहीं मिला, जबकि ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था मंदिर समिति की ओर से की गई है.
परमारकालीन राजा ने कराया था मंदिर का निर्माण
11वीं शताब्दी के परमारकालीन मंदिर (Parmar Carpet Temple) के शिखर के मध्य बने नागचंद्रेश्वर मंदिर में शेष नाग पर विराजित भगवान शिव तथा पार्वती की यह दुर्लभ प्रतिमा है, यह मंदिर काफी प्राचीन है. माना जाता है कि परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के लगभग इस मंदिर का निर्माण करवाया था. इसके बाद सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था. उस समय इस मंदिर का भी जीर्णोद्धार कराया गया था. नागपंचमी पर श्रद्धालुओं की यही मनोकामना रहती है कि नागराज पर विराजे शिव शंभु की उन्हें एक झलक मिल जाए. नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए एक दिन पहले ही रात 12 बजे मंदिर के पट खोल दिए जाते हैं. अगले दिन नागपंचमी की रात 12 बजे मंदिर में फिर आरती करने के बाद पट पुनः बंद कर दिए जाते हैं. नागचंद्रेश्वर मंदिर की पूजा और व्यवस्था महानिर्वाणी अखाड़े के संन्यासियों द्वारा की जाती है.
दर्शन मात्र से मिट जाता है काल सर्पदोष
मान्यता है कि भगवान नागचंद्रेश्वर (God Nagchandreshwar) के दर्शन मात्र से ही कालसर्प दोष का भी निवारण हो जाता है. ग्रह शांति, सुख-समृद्धि और उन्नति की कामना के लिए भी लाखों श्रद्धालु नागचंद्रेश्वर के दरबार पर सिर झुकाते हैं. नागपंचमी पर भगवान श्री महाकालेश्वर के दर्शन भी प्री बुकिंग से ही होंगे. प्रशासक नरेंद्र सूयवंशी ने बताया कि वर्तमान परिस्थिति व कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए मंदिर प्रबंधन समिति ने मंदिर की वेबसाइट www.mahakaleshwar.nic.in व सभी स्थानीय चैनलों एवं फेसबुक पेज पर भगवान श्री नागचन्द्रेश्वर व श्री महाकालेश्वर के दर्शन के लिए सजीव प्रसारण कर रहा है, जिससे उज्जैन सहित देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु बाबा महाकाल (Bba Mahakal) व श्री नागचन्द्रेश्वर भगवान के दर्शन (Live Darshan) का लाभ घर बैठे ही प्राप्त कर सकेंगे.
महाकाल मंदिर के पुजारी मंहत विनीत गिरी ने सभी को नाग पंचमी की शुभकामनाएं दी, फिर बताया कि मंदिर के पट सिर्फ साल में एक दिन ही नाग पंचमी पर खोले जाते हैं, तमाम महंतों की मौजूदगी में रात 12 बजे मंदिर के पट खोले गए और पूजा पाठ किया गया, उन्होंने बताया कि ज्यादातर आप देखेंगे कि शेषनाग के ऊपर भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी विराजमान रहते हैं, जबकि यहां ऐसा नहीं है यहां भगवान शिव व माता पार्वती शेषनाग पर विराजित हैं, जोकि बहुत ही दुर्लभ विग्रह है. इस बार कोरोना महामारी के चलते मंदिर में दर्शन की व्यवस्था नहीं की गई है, श्रद्धालु घर बैठे ही भगवान नागचंद्रेश्व और बाबा महाकाल के दर्शन कर सकेंगे.