उज्जैन। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर के शिवलिंग क्षरण का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है. सुप्रीम कोर्ट में पहले जांच समिति की रिपोर्ट पेश होने के बाद मंदिर समिति द्वारा शिवलिंग क्षरण के लिए किए जा रहे उपायों की जानकारी भी मांगी गई थी. इस संबंध में सितंबर 2017 में कोर्ट में मंदिर समिति ने कुछ प्रस्ताव रखे थे. अब 25 अगस्त को मंदिर समिति की तरफ से शिवलिंग के क्षरण को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों की रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश की जानी है. इस मामले को लेकर मंदिर प्रबंधन समिति की बैठक हुई. समिति ने चर्चा कर न्यायालय में हलफनामा प्रस्तुत करने का फैसला लिया है.
कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि शिवलिंग के क्षरण रोकने के लिए मंदिर समिति विश्वसनीय ब्रांड की पंचामृत सामग्री श्रद्धालु को मुहैया कराएगी. इसके लिए बाकायदा मंदिर में समिति का एक स्टॉल लगेगा यहां पर दूध, दही, घी, शक्कर सहित हर्बल पूजा सामग्री उपलब्ध रहेगी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जो भी आदेश दिया जाता है उसका पालन किया जाएगा.
क्षरण को रोकने के लिए मंदिर प्रबंधन समिति ने उठाए ये कदम
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शिवलिंग के क्षरण रोकने के लिए समिति ने मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ने वाले जल और दूध की मात्रा निश्चित की थी. वहीं शक्कर की जगह खंडसारी का उपयोग करने और भस्म आरती के दौरान शिवलिंग को सूती कपड़े से ढकने, जलाभिषेक के दौरान आधा लीटर आरो का पानी का उपयोग करने, करीब सवा लीटर दूध का उपयोग, शुद्ध पूजन सामग्री का उपयोग करने जैसे कदम उठाए गए थे.
ये है पूरा मामला
बता दें उज्जैन विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के गर्भ गृह में स्थित शिवलिंग के क्षरण को रोकने के लिए उच्चतम न्यायालय में लगी याचिका पर न्यायालय द्वारा पूर्व में सितंबर 2017 के दौरान 4 सदस्य समिति का गठन किया गया था. समिति में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और पुरातत्व विभाग के विशेष दल को शामिल किया गया था.
इस टीम ने महाकालेश्वर मंदिर पहुंचकर शिवलिंग का परीक्षण किया था. वहीं विशेषज्ञों ने शिवलिंग पर स्थित पूजन सामग्री का सैंपल भी लिया था. बाद में न्यायालय द्वारा गठित समिति की जांच रिपोर्ट पेश हुई. उस समय मंदिर समिति ने करीब 24 बिंदुओं के प्रस्ताव को न्यायालय में प्रस्तुत किया था.
सभी बिंदुओं का अवलोकन करने के बाद न्यायालय ने समिति के उपाय को मानकर आगे भी जारी रखने को कहा था. इसके बाद अब 25 अगस्त 2020 को फिर इस मामले में सुनवाई होनी है. समिति ने हलफनामा न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए फैसला लिया है.