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भारी पुलिस बल की मौजूदगी में निकली गई बाबा महाकाल की सवारी, छावनी में तब्दील हुआ क्षेत्र

भारी पुलिस बल के साथ पालकी पर सवार होकर हरि से मिलने निकले राजा महाकाल. इस दौरान पूरा क्षेत्र पुलिस छावनी में तब्दील रहा.

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Published : Nov 11, 2019, 10:12 AM IST

भारी पुलिस बल के साथ निकली महाकाल की सवारी

उज्जैन। बैकुंठ चर्तुदशी पर रविवार को कड़ी सुरक्षा के बीच महाकालेश्वर मंदिर से भगवान महाकाल की सवारी निकली. अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर प्रशासन ने एहतियातन कदम उठाए थे. इसके तहत जिले में धारा 144 लागू है. इस दौरान पुजारियों और श्रद्धालुओं की संख्या भी बेहद सीमित रखी गई. पूरे मार्ग में भारी पुलिस बल तैनात रहा. मार्ग को छावनी में तब्दील कर दिया गया. भारी सुरक्षा के बीच पालकी में सवार भगवान महाकाल समय पर गोपाल मंदिर पहुंचे.

भारी पुलिस बल के साथ निकली महाकाल की सवारी
उज्जैन में हर साल बैकुंठ चतुर्दशी की रात महाकाल मंदिर में शयन आरती के बाद भगवान शिव की सवारी निकलती है. जो गोपाल मंदिर तक पटाखों और आतिशबाजी के बीच पहुंचती है. सवारी वाले रास्ते पर श्रद्धालु आतिशबाजी करते हैं. भगवान इस दिन रात को हरी से मिलकर सत्ता का हस्तांतरण करते हैं. मान्यता है कि सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया में भगवान शिव की बेलपत्र की माला और भगवान विष्णु को तुलसी की माला पहनाई जाती है. इसी के बाद माना जाता है कि भगवान शिव सत्ता विष्णु भगवान को सौंपते हैं. सत्ता सौंपने के बाद भगवान शिव हिमालय पर्वत पर चले जाते हैं. देव सोनी ग्यारस से देवता उठनी ग्यारस तक भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां विश्राम करने आते हैं.

उज्जैन। बैकुंठ चर्तुदशी पर रविवार को कड़ी सुरक्षा के बीच महाकालेश्वर मंदिर से भगवान महाकाल की सवारी निकली. अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर प्रशासन ने एहतियातन कदम उठाए थे. इसके तहत जिले में धारा 144 लागू है. इस दौरान पुजारियों और श्रद्धालुओं की संख्या भी बेहद सीमित रखी गई. पूरे मार्ग में भारी पुलिस बल तैनात रहा. मार्ग को छावनी में तब्दील कर दिया गया. भारी सुरक्षा के बीच पालकी में सवार भगवान महाकाल समय पर गोपाल मंदिर पहुंचे.

भारी पुलिस बल के साथ निकली महाकाल की सवारी
उज्जैन में हर साल बैकुंठ चतुर्दशी की रात महाकाल मंदिर में शयन आरती के बाद भगवान शिव की सवारी निकलती है. जो गोपाल मंदिर तक पटाखों और आतिशबाजी के बीच पहुंचती है. सवारी वाले रास्ते पर श्रद्धालु आतिशबाजी करते हैं. भगवान इस दिन रात को हरी से मिलकर सत्ता का हस्तांतरण करते हैं. मान्यता है कि सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया में भगवान शिव की बेलपत्र की माला और भगवान विष्णु को तुलसी की माला पहनाई जाती है. इसी के बाद माना जाता है कि भगवान शिव सत्ता विष्णु भगवान को सौंपते हैं. सत्ता सौंपने के बाद भगवान शिव हिमालय पर्वत पर चले जाते हैं. देव सोनी ग्यारस से देवता उठनी ग्यारस तक भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां विश्राम करने आते हैं.
Intro:उज्जैन भारी पुलिस बल के साथ पालकी पर सवार होकर हरि से मिलने निकले राजा महाकाल सत्ता का भार सौंपा पूरा क्षेत्र पुलिस छावनी में हुआ तब्दील परंपरा के पीछे की कहानी भगवान महाकाल सत्ता का भार विष्णु को परोपकार हिमालय पर्वत पर गए


Body:उज्जैन विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर प्रतिवर्ष वैकुंठ चतुर्दशी पर निकलने वाली भगवान महाकाल की सवारी इस बार शहर में धारा 144 लागू होने के कारण परंपरा निभाने को बिना तामझाम के निकली चांदी की पालकी में भगवान महाकाल के मुखोटे को विराजित कराया गया किसी भी प्रकार की कोई गड़बड़ी न हो इसके चलते इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल और प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहे पूरे महाकाल क्षेत्र को छावनी में बदल दिया गया था आम लोगों को घर के अंदर और होटल में रुके श्रद्धालुओं को रात 10:00 बजे से ही होटल में जबरन भेज दिया गया रात 11:00 बजे से निकली सवारी के पहले ही मार्ग में चप्पे-चप्पे पर पुलिस कर्मी पहरा दे रहे थे वही शिव और हरिहर की भेट वार्ता के बाद रात करीब 12:00 बजे सवारी वापस महाकाल मंदिर लोटी


Conclusion:उज्जैन हर साल बैकुंठ चतुर्दशी को रात में महाकाल मंदिर में शयन आरती के बाद भगवान शिव की सवारी निकलती है जो गोपाल मंदिर तक पटाखों और आतिशबाजी के बीच पहुंचती है सवारी वाले रास्ते पर श्रद्धालु आतिशबाजी करते हैं भगवान हर आज रात हरी से मिलकर सत्ता का हस्तांतरण करते हैं मान्यता है कि सत्ता का हस्तांतरण की प्रक्रिया में भगवान शिव की बेलपत्र की माला विष्णु को और विष्णु की तुलसी की माला भगवान शिव को पहनाई जाती है इसी के बाद माना जाता है कि भगवान शिव ने सत्ता विष्णु सत्ता सोपते है सत्ता सौंपने के बाद भगवान शिव हिमालय पर्वत पर चले जाते हैं देव सोनी ग्यारस से देवता उठनी ग्यारस तक भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां विश्राम करने आते हैं । इस समय सत्ता शिव के पास होती है और वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव सत्ता विष्णु को सौंपकर कैलाश पर्वत पर तपस्या के लिए लोड जाते हैं लेकिन इस बार अयोध्या फैसला को लेकर यहां प्रशासन ने मिलादुन्नबी का जुलूस नहीं निकलने दिया तो वही परंपरा के नाम पर अड़े महाकाल मंदिर के पंडित नहीं माने और बिना आतिशबाजी के बीच सवारी निकालने को राजी हो गए लेकिन एक किलोमीटर से भी कम के फासले पर प्रशासन ने 700 से अधिक पुलिसकर्मी और 50 से ज्यादा अधिकारी लगाए थे धारा 144 का हवाला देकर पुलिस ने 9:00 बजे से पूरा बाजार खाली करा दिया गया और बिना तामझाम के सवारी को गोपाल मंदिर पहुंचाया बैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर बीती रात 11:00 बजे भगवान महाकाल की सवारी मंदिर से रवाना हुई इसके पूर्व मंदिर परिसर में भगवान महाकाल के मुखोटे को पालकी पर विराजित किया गया इस बार अयोध्या मामले बिना तामझाम के पालकी गोपाल मंदिर तक पहुंची यहां हरि होरर का मिलन हुआ इसके बाद भगवान शिव पालकी महाकाल मंदिर के लिए रवाना हो गई और महाकाल मंदिर पहुंची



बाइट--- प्रदीप ग्रुप महाकाल मंदिर

बाइट--- सचिन अतुलकर एसपी उज्जैन
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