उज्जैन। महाकालेश्वर मंदिर से रामघाट जाने वाले रास्ते पर जीर्ण-शीर्ण हो चुके महाकाल द्वार को स्मार्ट सिटी के तहत विशेष तकनीक के साथ सहजने का काम चल रहा है. तकनीक ऐसी जैसे घर का भोजन बनाने की प्रक्रिया चल रही हो. पुरातन स्वरूप में बने प्राचीन महाकाल द्वार का जीर्णोंद्धार चंदेरी और ललितपुर के कारीगर चूना, गुड़, मैथी, गूगल और उड़द के पानी से कर रहे हैं. इनका दावा है की 1000 वर्षों तक द्वार को कुछ भी नहीं होगा. द्वार की चमक हमेशा एक जैसी रहेगी.
महाकाल मंदिर से करीब 100 मीटर दूरी पर बन रहा द्वार
दरअसल, महाकाल थाने के पास बना महाकाल द्वार, महाकाल मंदिर से करीब 100 मीटर दूरी पर है. इस द्वार के रास्ते रामघाट सीधे पहुंचा जा सकता है. पिछले कुछ वर्षों से यह रास्ता द्वार जीर्णशीर्ण होने से बंद था. उज्जैन स्मार्ट सिटी कंपनी ने 700 करोड़ रुपये की महाकाल मंदिर परिसर विस्तार परियोजना के अंतर्गत इस द्वार का जीर्णोंद्धार पुरातन स्वरूप में ही करवाना शुरू किया है.
2.12 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा द्वार
इस साल के अंत तक द्वार का जीर्णोंद्धार हो जाएगा. प्रोजेक्ट की लागत 2.12 करोड़ रुपये है. जीर्णोंद्वार कर रहे चंदेरी से आए मिस्त्री अनोखे लाल ने बताया कि पुरातत्व के काम में सीमेंट का उपयोग प्रतिबंधित रहता है. सीमेंट से हुए निर्माण की उम्र अधकितम 100 वर्ष हो सकती है, पर चूने से हुए निर्माण की उम्र 1000 वर्ष से ज्यादा रहती है. मैं भी 10 सालों से यही काम कर रहा हूं. मोती महल, गुजरी महल, चचोड़ा, ग्वालियर, कटनी, बिजरावगढ़ के कई किले-मंदिरों सहित राजस्थान में भी कई जगह काम किया है. अब महाकाल मंदिर के द्वार का जीर्णोंद्वार का काम करना सौभाग्य की बात है.
महाकाल मंदिर के पास खुदाई करते वक्त दिखा शिवलिंग, पुरातत्व विभाग की मौजूदगी में निकाला जाएगा
महाकाल मंदिर के ऐतिहासिक हजारों साल पुराने बंद पड़े द्वार के जीर्णोंद्धार के बाद महाकाल मंदिर से रामघाट जाने के चार मार्ग दोबारा शुरू हो जाएंगे. तीन मौजूदा मार्ग- जिनमें से एक बड़ा गणेश मंदिर के पास की गली से, दूसरा रूद्रसागर पुल से हरसिद्वि मंदिर के पीछे से और तीसरा हरसिद्वि मंदिर होकर पाटीदार समाज के श्रीराम मंदिर के आगे ढहान से होकर गुजरता है.
चौथा महाकाल द्वार जिसके जीर्णोंद्धार का काम चल रहा है
द्वारा के यहां खड़े विशाल पेड़ संकट खड़ा कर सकते हैं. दरअसल, महाकाल द्वार की दीवार के सहारे दो विशाल नीम के वृक्ष तने खड़े हैं. जानकारों का कहना है कि इन्हें शिफ्ट किया जाना जरूरी है. वरना, भविष्य में ये मुसीबत बनेंगे. इन पेड़ों की जड़ों के कारण महाकाल द्वार की प्राचीन दीवार तिरछी हो गई है.