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फूलों से लदी पालकी में सवार होकर भ्रमण पर निकले बाबा महाकाल - mp news

दशहरे पर फूलों से लदी पालकी में सवार होकर बाबा महाकाल नए शहर के भ्रमण पर निकले, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाकाल की सवारी में शामिल हुए.

फूलो से लदी पालकी में सवार महाकाल
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Published : Oct 8, 2019, 9:17 PM IST

उज्जैन। विजय दशमी के अवसर पर बाबा महाकाल की सवारी धूमधाम से निकाली गई. मान्यता है कि दशहरे पर भगवान महाकाल साल भर में एक बार नए शहर में प्रवेश करते हैं और शहरवासियों को दर्शन देते हैं.

फूलो से लदी पालकी में सवार महाकाल

मंदिर से निकलकर बाबा महाकाल की सवारी नए शहर में प्रवेश करती है और दशहरा मैदान तक जाती है. जहां महाकाल की पालकी को शमी के पेड़ के नीचे रखा जाता है और शमी के पत्तों से उज्जैन कलेक्टर सवारी का पूजन करते हैं.

बरसों से चली आ रही इस परंपरा का आज भी निर्वहन हो रहा है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाकाल की सवारी में शामिल होते हैं. सवारी के आगे पुलिस बैंड और घोड़ा सवार चलते हैं. इस दौरान नए शहर में श्रद्धालु अलग-अलग मंच लगाकर सवारी का स्वागत करते हैं.

उज्जैन। विजय दशमी के अवसर पर बाबा महाकाल की सवारी धूमधाम से निकाली गई. मान्यता है कि दशहरे पर भगवान महाकाल साल भर में एक बार नए शहर में प्रवेश करते हैं और शहरवासियों को दर्शन देते हैं.

फूलो से लदी पालकी में सवार महाकाल

मंदिर से निकलकर बाबा महाकाल की सवारी नए शहर में प्रवेश करती है और दशहरा मैदान तक जाती है. जहां महाकाल की पालकी को शमी के पेड़ के नीचे रखा जाता है और शमी के पत्तों से उज्जैन कलेक्टर सवारी का पूजन करते हैं.

बरसों से चली आ रही इस परंपरा का आज भी निर्वहन हो रहा है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाकाल की सवारी में शामिल होते हैं. सवारी के आगे पुलिस बैंड और घोड़ा सवार चलते हैं. इस दौरान नए शहर में श्रद्धालु अलग-अलग मंच लगाकर सवारी का स्वागत करते हैं.

Intro:उज्जैन वर्ष में एक बार महाकाल की सवारी आती है नए शहर में धूमधाम से निकली महाकाल की सवारी


Body:उज्जैन 12 ज्योतिर्लिंग में से एक उज्जैन के महाकाल मंदिर में साल भर में सावन के हर सोमवार को सवारी निकलने की परंपरा तो सबको पता है लेकिन दशहरे के दिन भी महाकाल की सवारी निकली जाती है वह भी नए शेर की और जाकर दशहरे मैदान में महाकाल का पूजन किया जाता है यह कम लोग ही जानते हैं


Conclusion:उज्जैन आज दशहरे पर्व पर बाबा महाकाल की सवारी धूमधाम से निकली मान्यता है कि दशहरे पर्व पर भगवान महाकाल साल भर में एक बार नए शहर में प्रवेश करते हैं और शहर वासियों को दर्शन देते हैं जहां महाकाल मंदिर से निकलकर सवारी नए शहर में प्रवेश करती है और दशहरे मैदान तक जाती है जहां महाकाल की पालकी को शमी के पेड़ के नीचे रखा जाता है और सभी के पत्तों से उज्जैन कलेक्टर सवारी का पूजन पाठ करते हैं बरसों से चली आ रही परंपरा का आज भी निर्माण हो रहा है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाकाल की सवारी में शामिल होते हैं सवारी के आगे पुलिस बैंड और घोड़ा सवार चलते हैं इसी दौरान नए शेर में श्रद्धालु अलग अलग मंच लगाकर सवारी का स्वागत करते हैं
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