ETV Bharat / state

15वीं सदी में उज्जैन आए थे गुरुनानक देव, इमली के पेड़ के नीचे किया था विश्राम

आज सिख समाज के द्वारा 551वां प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है. गुरु नानक देव सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु थे. उनका जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था. गुरु नानक जयंती सिर्फ सिख समुदाय के बीच तक ही सीमित नहीं है, बल्कि गुरु नानक साहिब की शिक्षा को और भी धर्म के लोग मानते हैं.

guru-nanak-jayanti-celebration-in-ujjain
15वीं सदी में उज्जैन आए थे गुरुनानक देव
author img

By

Published : Nov 30, 2020, 10:27 AM IST

Updated : Nov 30, 2020, 10:40 AM IST

उज्जैन। गुरु नानक देव जयंती देशभर में धूमधाम से मनाई जा रही है. सिख समाज द्वारा सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी महाराज के कई संस्मरण भी इस दौरान याद किए जा रहे हैं. ऐसा ही एक संस्मरण उज्जैन से भी जुड़ा हुआ है. लगभग 503 साल पहले गुरु नानक देव उज्जैन आए थे. वो जिन स्थानों पर रुके थे, उनका महत्व सिख समाज में काफी पूज्यनीय है. नानकदेव जी के नाम से ही शहर में क्षिप्रा तट पर और इमली के पेड़ के पास गुरुद्वारे का निर्माण किया गया है.

15वीं सदी में उज्जैन आए थे गुरुनानक देव

आज सिख समाज के द्वारा 551वां प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है. गुरु नानक देव सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु थे. उनका जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था. गुरु नानक जयंती सिर्फ सिख समुदाय के बीच तक ही सीमित नहीं है, बल्कि गुरु नानक साहिब की शिक्षा को और भी धर्म के लोग मानते हैं. हर साल इस दिन धार्मिक आयोजन होते थे और नगर कीर्तन भी निकाला जाता था, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए नगर कीर्तन नहीं निकाला जा रहा है और ना ही हजारों की संख्या में संगत एकत्रित की जा रही है, साथ ही कार्यक्रम स्थल पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने और मास्क पहनने की अपील भी की गई है.

15वीं सदी में उज्जैन आए थे गुरु नानक देव जी

जहां-जहां गुरु नानक देव पहुंचे थे. अब वहां पर ऐतिहासिक महत्व के गुरुद्वारे बने हुए हैं और ये स्थान सिख समाज की आस्था के केंद्र हैं. लगभग 503 साल पहले अपनी दूसरी यात्रा के दौरान गुरु नानक देव जी महाराज उज्जैन आए थे. यहां क्षिप्रा तट पर इमली के पेड़ के नीचे उन्होंने शबद सुनाया था. इमली के पेड़ के पास ही समाज के लोगों ने गुरु द्वारा बनाया है. जिसका नाम गुरु नानक घाट रखा गया है.

उज्जैन। गुरु नानक देव जयंती देशभर में धूमधाम से मनाई जा रही है. सिख समाज द्वारा सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी महाराज के कई संस्मरण भी इस दौरान याद किए जा रहे हैं. ऐसा ही एक संस्मरण उज्जैन से भी जुड़ा हुआ है. लगभग 503 साल पहले गुरु नानक देव उज्जैन आए थे. वो जिन स्थानों पर रुके थे, उनका महत्व सिख समाज में काफी पूज्यनीय है. नानकदेव जी के नाम से ही शहर में क्षिप्रा तट पर और इमली के पेड़ के पास गुरुद्वारे का निर्माण किया गया है.

15वीं सदी में उज्जैन आए थे गुरुनानक देव

आज सिख समाज के द्वारा 551वां प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है. गुरु नानक देव सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु थे. उनका जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था. गुरु नानक जयंती सिर्फ सिख समुदाय के बीच तक ही सीमित नहीं है, बल्कि गुरु नानक साहिब की शिक्षा को और भी धर्म के लोग मानते हैं. हर साल इस दिन धार्मिक आयोजन होते थे और नगर कीर्तन भी निकाला जाता था, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए नगर कीर्तन नहीं निकाला जा रहा है और ना ही हजारों की संख्या में संगत एकत्रित की जा रही है, साथ ही कार्यक्रम स्थल पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने और मास्क पहनने की अपील भी की गई है.

15वीं सदी में उज्जैन आए थे गुरु नानक देव जी

जहां-जहां गुरु नानक देव पहुंचे थे. अब वहां पर ऐतिहासिक महत्व के गुरुद्वारे बने हुए हैं और ये स्थान सिख समाज की आस्था के केंद्र हैं. लगभग 503 साल पहले अपनी दूसरी यात्रा के दौरान गुरु नानक देव जी महाराज उज्जैन आए थे. यहां क्षिप्रा तट पर इमली के पेड़ के नीचे उन्होंने शबद सुनाया था. इमली के पेड़ के पास ही समाज के लोगों ने गुरु द्वारा बनाया है. जिसका नाम गुरु नानक घाट रखा गया है.

Last Updated : Nov 30, 2020, 10:40 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.