उज्जैन। जब दिल में मानव जाती को बचाने का जज्बा हो, तो फिर क्या भूख, प्यास और क्या लंबी दुरी सब छोटे हो जाते है. सेवा के नाम पर इंदौर की दो युवा डॉक्टर सुबह 3 बजे उठकर खुदा की इबादत करती है. 6 बजे ऑटो से निकल पड़ती है और उज्जैन के माधव नगर में उन कोरोना मरीजों की देख भाल के लिए जिन्हें अभी सबसे ज्यादा जरुरत इन जैसे नेक डाक्टरों की है. ये दोनों डॉक्टर धर्म के साथ कर्म की मिसाल पेश कर रही है. इंदौर निवासी डॉ. सोबिया अंसारी और डॉ. रुखसार शेख दोनों रोजे के दौरान ये दोनों रोजाना सुबह 3 बजे उठकर 8 बजे इंदौर से उज्जैन पंहुचते है, लोगों की मदद करने का ये जज्बा देखकर ऑटो चालक भी इन दोनों डॉक्टरों से किराया नहीं लेता.
- दिन भर भूखे-प्यासे रहकर करती है सेवा
उज्जैन का माधव नगर कोविड अस्पताल जंहा पर टेस्टिंग की सुविधा भी है. नए शहर का पूरा बोझ इसी अस्पताल पर है. जहां बड़ी संख्या में सर्दी, खांसी और बुखार वाले मरीज आ रहे है. इंदौर निवासी डॉ. सोबिया अंसारी और डॉ. रुखसार शेख की ड्यूटी फिलहाल कोविड टेस्ट सेंटर में लगी है. जहां ये सर्दी, खांसी के लक्षण वाले मरीजों को देख कर उपचार दे रही है. लेकिन इन सब के पीछे दोनों युवा डॉक्टर के फिलहाल रोजे चल रहे है और ऐसे में सुबह 3 बजे उठना और फिर दोपहर 2 बजे तक मरीजों की सेवा कर शाम 4 बजे तक घर पंहुचती है, डॉ. रुखसार कहती है कि जैसे भी हो सबसे पहले खुदा की इबादत करते है और फिर मानव सेवा में जुट जाते है. घर से निकलते है तो बस यही लगता है कि उज्जैन में मरीज को 3-3 घंटे की लाइन में नहीं लगना पड़े, इसको लेकर जल्दी पंहुच जाते है. डॉ. सोबिया बताती है कि सुबह से उठ जाना और फिर दिन भर भूखे रहना वो खुदा के लिए, लेकिन दिन में 8 से 2 बजे तक इस महामारी के दौर में मानव सेवा करते है, यही हमारा कर्म है.
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- डॉक्टर को देख ऑटो वाला भी सेवा में जुटा
डॉ. साबिया और डॉ. रुखसार दोनों ने नेशनल हेल्थ मिशन की तहत 3 महीने पहले आयुष विभाग में ज्वाइन किया था. उज्जैन में घर देख ही रही थी की इस बिच कोरोना कर्फ्यू लग गया. बस चल रही थी जब तक बस से आना-जाना किया, लेकिन अब पिछले करीब 15 दिन पहले बस बंद हुई, तो घर के पास ही रहने वाले ऑटो चालक शरीफ भाई से बात की उन्होंने शुरू में तो आने-जाने का किराया लिया, लेकिन उनको जब ये पता चला की दोनों खुदा की इबादत के साथ-साथ मानव सेवा में इंदौर से उज्जैन अपडाउन कर रही है तो इस कठिन समय में शरीफ भाई ने दरियादिली दिखाई और किराया लेने से इंकार कर दिया.
- रोजा रखना हमारा धर्म, मानव सेवा हमारा कर्म
इंदौर की ही रहने वाले डॉ. सोबिया कहती हैं कि सुबह से उठ जाना और फिर दिन भर भूखे रहना वो खुदा के लिए है. यह हमारा धर्म है. दिन में 8 से 2 बजे तक इस महामारी के दौर में मानव सेवा करते हैं. यह हमारा कर्म है. हम नाही धर्म को छोड़ सकते है और नाही अपने कर्म को. इसलिए रोजा होने के बाद भी हम प्रतिदिन अस्पताल में आते है और सेवा करते है. इस सेवा में हमारे पड़ोसी शरीफ भाई भी हमारा किराया माफ कर हमारी मदद कर रहे है.