उज्जैन। महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल लोक के निर्माण कार्य के दौरान खुदाई की गई थी. इसी दौरान मंदिर परिसर में एक प्राचीन मंदिर के कई अवशेष मिले थे. इसके बाद बाद पुरातत्व विभाग ने उन्हें सुरक्षित रखने की बात कही थी. वहीं, कुछ महीने पहले ही महाकाल प्रबंधन समिति की ओर से एक कॉलोनाइजर को मंदिर के अवशेषों को मलवा के रूप में दे दिया गया. एक कॉलोनी में खुदाई के दौरान एक खंडित नंदी निकलने पर काम रुक गया था. चेक करने पर पुरातत्व विभाग विभाग ने उस नंदी को 10वीं और 11वीं शताब्दी का बताया था. Mahakal Temple excavation
जांच रिपोर्ट आने के बाद खुलासा : कॉलोनाइजर को महाकाल मंदिर प्रबंधन समिति ने यह मलवा दिया था. इसलिए अब जांच रिपोर्ट आने के बाद महाकाल मंदिर समिति पर सवाल खड़े हो रहे हैं. महाकाल मंदिर में विकास प्राधिकरण की ओर से कार्य देखने वाले इंजीनियर शैलेंद्र जैन ने कहा कि महाकाल मंदिर में तुड़ाई और मलवा फेंकने का काम संबंधित ठेके लेने वाली गार्डन पैराडाइज दिल्ली की कंपनी को दिया गया है. बता दें कि उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर के विस्तारीकरण कार्य के फेस टू की जगह पर खुदाई के दौरान कुछ मूर्तियां मिली थीं. Mahakal Temple excavation
ये खबरें भी पढ़ें... |
कॉलोनी में खुदाई के दौरान खुला मामला : कॉलोनी में खुदाई के दौरान कुछ खंडित मूर्तियां निकली तो जांच हुई. इसमें पता चला कि सारा मलवा महाकाल मंदिर से लाया गया था. मलबे के लगभग 4 फीट के जमाव के बाद नीचे की ओर जाने पर प्राकृतिक मिट्टी दिखाई दे रही है. खोदे गये स्थान के निरीक्षण करने पर यह पुरासम्पदा मलबे के साथ आना संभावित है. ये अवशेष भवन निर्माण के दौरान किए गए गड्ढों के ऊपरी भाग में लगभग 4 फीट की गहराई से प्राप्त हुई हैं. वहीं त्रिवेणी संग्रहालय अध्यक्ष योगेश पाल ने कहा कि यह मलबा संभवत: श्री महाकालेश्वर: मंदिर क्षेत्र में चल रहे निर्माण कार्यों के पास से लाया गया है. Mahakal Temple excavation