उज्जैन। देशभर का प्रसिद्ध गधों का मेला (Donkey Fair) उज्जैन में पांच दिन पहले शुरू हो गया है. क्षिप्रा नदी किनारे बड़नगर रोड पर करीब 70 से अधिक गधे बिकने के लिए आ चुके है. हालांकि गधों का मेला विधवत रूप से 15 नवंबर को ग्यारस से शुरू होगा, जो कार्तिक की पूर्णिमा तक चलेगा. इस मेले में दूर-दूर से गधे बेचने और खरीदने वाले व्यपारी उज्जैन पहुंचते है. कोरोना संक्रमण के कारण यह मेला पिछले दो साल से पूरी तरह से नहीं लग रहा था. इस साल उम्मीद जताई जा रही है कि अच्छा व्यापार होगा.
कार्तिक माह में लगता है गधों का मेला
उज्जैन में प्रति वर्ष कार्तिक माह में गधों का मेला लगता है. इस बार भी क्षिप्रा नदी के पास 15 नवंबर से 20 नवंबर तक गधों का मेला लगेगा. लेकिन इससे पहले ही कई व्यापारी अपने गधे बेचने के लिए शहर में आ चुके है. अब इनके खरीदार भी पहुंचने लगे है. हर साल प्रदेश भर के व्यापारी उज्जैन के मेले में गधों की बिक्री खरीदी करने के लिए आते है.
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गधों को दांत देखकर खरीदते है व्यापारी
व्यापारी कमल प्रजापत ने बताया कि उज्जैन में ग्यारस से मेले की शुरुआत होगी. इससे पहले अभी 70 से अधिक गधे शाजापुर, सुसनेर, राजस्थान, महराष्ट्र और जीरापुर से बिकने के लिए आ चुके है. हालांकि दो वर्षों से मेले में रौनक नहीं है. व्यापरी और खरीददार भी बहुत काम संख्या में पहुंच रहे है. मेले में गधों की कीमत 5 हजार से 30 हजार रुपए तक रहती है. गधों के इस मेले में कई बड़े और छोटे खरीदार आते है. मेले की खास बात है कि सभी गधों के दातों को देखकर खरीदारी होती है.
कोरोना के कारण चौपट हुआ व्यापार
उज्जैन के पास साहेब खेड़ी से आए किसान सोमेश्वर ने कहा कि कोरोना के कारण बीते दो वर्षों से जानवरों की संख्या में कमी आई है. इसलिए व्यापर भी चौपट हुआ है. किसान का दर्द ये भी है कि मशीनी युग ने गधों की कीमत कम कर दी है. अब छोटे व्यापारी गधों से अपना काम चला रहे है. 15 नवंबर से गधों के इस मेले में जानवरों की संख्या बढ़ेगी. जिसके बाद मेला शबाब पर आएगा.