उज्जैन। श्राद्ध पक्ष (Shradh Paksha 2021) की चतुर्दशी पर मंगलवार को गयाकोठा तीर्थ और सिद्धवट पर दूध अर्पित करने के लिए लंबी कतार लगी. वहीं लोगों ने अपने पूर्वजों की आत्मशांति के लिए लोगों ने तर्पण और श्राद्ध कर्म किया. इसके अलावा शिप्रा तट पर भी श्रद्धालुओं ने स्नान कर पूजन-अर्चन किया.
दूध अर्पित करने के लिए लगी लंबी लाइन
अंकपात स्थित गयाकोठा का महत्व बिहार के गया के समान माना गया है. यहां पर सुबह से ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया था. दूध अर्पित करने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार अल सुबह से लगी रही. लोगों को दो घंटे तक इंतजार करना पड़ा. इसके साथ ही यहां पर हजारों लोगों ने पूर्वजों की आत्मशांति के लिए तर्पण, श्राद्धकर्म भी किया.
सुबह पांच बजे से पहुंचने लगे थे श्रद्धालु
वहीं शिप्रा तट स्थित सिद्धवट पर दूध अर्पित करने के लिए लोग सुबह पांच बजे से पहुंचने लगे थे. सिद्धवट मंदिर के पुजारी पंडित सुरेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि चतुर्दशी पर प्रातः 4 बजे से भगवान सिद्धवट मंदिर के पट खोले गए. सर्वप्रथम सिद्धवट मंदिर के पुजारी गोपाल कृष्ण, पुजारी ओम प्रकाश चतुर्वेदी, पं. राजेश चतुर्वेदी, पं.दिनेश चतुर्वेदी, उपेंद्र पुजारी, अरविंद चतुर्वेदी, पं. राघवेंद्र चतुर्वेदी, शिवम पुजारी, नीरज चतुर्वेदी व समस्त पुजारी मंडली द्वारा समस्त भक्तों के पूर्वजों की आत्म शांति व जनकल्याण के लिए भगवान सिद्धवट का पूजन अर्चन किया गया.
इसके पश्चात मंदिर प्रशासन द्वारा रखे गए निर्धारित पात्र में दूध अर्पित कर भगवान सिद्धवट का दुग्ध अभिषेक संपन्न किया. श्रद्धालुओं द्वारा अपने पूर्वजों की आत्म शांति के लिए दुग्ध अभिषेक का सिलसिला शुरू हुआ, जो भगवान की शयन आरती रात्रि 9 बजे तक चलेगा.
शिप्रा तट पर किया पूजन
उज्जैन में चतुर्दशी पर शिप्रा नदी के सभी घाट क्षेत्र में श्रद्धालुओं की भीड़ रही. अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र के लोग रामघाट पर शिप्रा में स्रान करने के बाद पिंडदान व तर्पण करते हैं. हालांकि रामघाट पर आसपास हो रही वर्षा के कारण जल स्तर बढ़ने से प्रशासन ने यहां भी सुरक्षा के बतौर इंतजाम किए हैं.