उज्जैन। महाष्टमी पर उज्जैन में नगर पूजा को लेकर चौबीस खंबा माता मंदिर में शराब चढ़ाई गई. यहां माता की पूजा राजा विक्रमादित्य करते थे, इसीलिए परंपरा के अनुसार मंदिर में की गई आरती में कलेक्टर शामिल हुए और उन्होंने महामाया माता को मदिरा का भोग लगाया. मंदिर में सुबह से ही भक्तों का ताता लगा हुआ है. यहां सिर्फ पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं और बच्चे भी मदिरा का प्रसाद ग्रहण करते नजर आए.
महाष्टमी पर उज्जैन चौबीस खंबा माता मंदिर में नगर पूजा का विधान है और राजा विक्रमादित्य नगर में सुख शांति के लिए माता को मदिरा का प्रसाद चढ़ाते थे. इस परंपरा को आज भी निभाया जाता है. शारदीय नवरात्रि में अष्टमी के दिन साल में एक बार जिला प्रशासन द्वारा नगर पूजा की जाती है. पूजा के बाद मदिरा का प्रसाद ना सिर्फ पुरुष बल्कि महिला और बच्चे भी प्रसाद के रूप में आस्था के साथ लेते हैं.
उज्जैन शहर की लगभग 27 किलोमीटर लंबी इस महापूजा में जिला प्रशासन के साथ-साथ कई श्रद्धालु पैदल चलते हैं. जिसमें 40 भैरव मंदिर और माता मंदिर में मदिरा चढ़ाई जाती है. मदिरा की धार और अन्य प्रसाद सामग्री लेकर निकलते हैं, जो कि सुबह माता मंदिर से प्रारंभ होकर यहां जाता शाम तक खत्म होती है या यात्रा उज्जैन के प्रसिद्ध माता मंदिर में मदिरा की धार चढ़ाते हुए निकलती है.
इस यात्रा की खास बात यह होती है कि एक घड़े में मदिरा को भरा जाता है, जिसमें नीचे छेद होता है. जिससे पूरी यात्रा के दौरान मदिरा की धार चढ़ाई जाती है जो टूटती नहीं है. हर बार महापूजा पर जिला कलेक्टर के साथ प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारी बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होते हैं. सालों पुरानी इस परंपरा के पीछे मान्यता है कि इस तरह के पूजन से शहर में प्रकोप नहीं आता है और नगर में सुख शांति रहती है.