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महाष्टमी पर नगर पूजा में कलेक्टर ने देवी को चढ़ाई शराब, राजा विक्रमादित्य के समय से है यह परंपरा - राजा विक्रमादित्य

उज्जैन के चौबीस खंबा माता मंदिर में कलेक्टर ने देवी को शराब का भोग लगाया. मंदिर में यह परंपरा राजा विक्रमादित्य के समय से चली आ रही है. जिसका आज भी पालन किया जाता है.

महाष्टमी
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Published : Oct 6, 2019, 2:25 PM IST

उज्जैन। महाष्टमी पर उज्जैन में नगर पूजा को लेकर चौबीस खंबा माता मंदिर में शराब चढ़ाई गई. यहां माता की पूजा राजा विक्रमादित्य करते थे, इसीलिए परंपरा के अनुसार मंदिर में की गई आरती में कलेक्टर शामिल हुए और उन्होंने महामाया माता को मदिरा का भोग लगाया. मंदिर में सुबह से ही भक्तों का ताता लगा हुआ है. यहां सिर्फ पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं और बच्चे भी मदिरा का प्रसाद ग्रहण करते नजर आए.

महाष्टमी पर उज्जैन चौबीस खंबा माता मंदिर में नगर पूजा का विधान है और राजा विक्रमादित्य नगर में सुख शांति के लिए माता को मदिरा का प्रसाद चढ़ाते थे. इस परंपरा को आज भी निभाया जाता है. शारदीय नवरात्रि में अष्टमी के दिन साल में एक बार जिला प्रशासन द्वारा नगर पूजा की जाती है. पूजा के बाद मदिरा का प्रसाद ना सिर्फ पुरुष बल्कि महिला और बच्चे भी प्रसाद के रूप में आस्था के साथ लेते हैं.

उज्जैन शहर की लगभग 27 किलोमीटर लंबी इस महापूजा में जिला प्रशासन के साथ-साथ कई श्रद्धालु पैदल चलते हैं. जिसमें 40 भैरव मंदिर और माता मंदिर में मदिरा चढ़ाई जाती है. मदिरा की धार और अन्य प्रसाद सामग्री लेकर निकलते हैं, जो कि सुबह माता मंदिर से प्रारंभ होकर यहां जाता शाम तक खत्म होती है या यात्रा उज्जैन के प्रसिद्ध माता मंदिर में मदिरा की धार चढ़ाते हुए निकलती है.

इस यात्रा की खास बात यह होती है कि एक घड़े में मदिरा को भरा जाता है, जिसमें नीचे छेद होता है. जिससे पूरी यात्रा के दौरान मदिरा की धार चढ़ाई जाती है जो टूटती नहीं है. हर बार महापूजा पर जिला कलेक्टर के साथ प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारी बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होते हैं. सालों पुरानी इस परंपरा के पीछे मान्यता है कि इस तरह के पूजन से शहर में प्रकोप नहीं आता है और नगर में सुख शांति रहती है.

उज्जैन। महाष्टमी पर उज्जैन में नगर पूजा को लेकर चौबीस खंबा माता मंदिर में शराब चढ़ाई गई. यहां माता की पूजा राजा विक्रमादित्य करते थे, इसीलिए परंपरा के अनुसार मंदिर में की गई आरती में कलेक्टर शामिल हुए और उन्होंने महामाया माता को मदिरा का भोग लगाया. मंदिर में सुबह से ही भक्तों का ताता लगा हुआ है. यहां सिर्फ पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं और बच्चे भी मदिरा का प्रसाद ग्रहण करते नजर आए.

महाष्टमी पर उज्जैन चौबीस खंबा माता मंदिर में नगर पूजा का विधान है और राजा विक्रमादित्य नगर में सुख शांति के लिए माता को मदिरा का प्रसाद चढ़ाते थे. इस परंपरा को आज भी निभाया जाता है. शारदीय नवरात्रि में अष्टमी के दिन साल में एक बार जिला प्रशासन द्वारा नगर पूजा की जाती है. पूजा के बाद मदिरा का प्रसाद ना सिर्फ पुरुष बल्कि महिला और बच्चे भी प्रसाद के रूप में आस्था के साथ लेते हैं.

उज्जैन शहर की लगभग 27 किलोमीटर लंबी इस महापूजा में जिला प्रशासन के साथ-साथ कई श्रद्धालु पैदल चलते हैं. जिसमें 40 भैरव मंदिर और माता मंदिर में मदिरा चढ़ाई जाती है. मदिरा की धार और अन्य प्रसाद सामग्री लेकर निकलते हैं, जो कि सुबह माता मंदिर से प्रारंभ होकर यहां जाता शाम तक खत्म होती है या यात्रा उज्जैन के प्रसिद्ध माता मंदिर में मदिरा की धार चढ़ाते हुए निकलती है.

इस यात्रा की खास बात यह होती है कि एक घड़े में मदिरा को भरा जाता है, जिसमें नीचे छेद होता है. जिससे पूरी यात्रा के दौरान मदिरा की धार चढ़ाई जाती है जो टूटती नहीं है. हर बार महापूजा पर जिला कलेक्टर के साथ प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारी बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होते हैं. सालों पुरानी इस परंपरा के पीछे मान्यता है कि इस तरह के पूजन से शहर में प्रकोप नहीं आता है और नगर में सुख शांति रहती है.

Intro:उज्जैन महा अष्टमी पर नगर पूजा कलेक्टर ने देवी को चढ़ाई शराब 27 किलोमीटर मदीरा की धार शहर में चढ़ाई जाएगी 40 मंदिरों में लगेगा भोग


Body:उज्जैन महा अष्टमी पर उज्जैन में आज नगर पूजा को लेकर चौबीस खंबा माता मंदिर में शराब चढ़ाई गई परंपरा अनुसार चौबीस खंबा माता मंदिर में की गई आरती में कलेक्टर शामिल हुए उज्जैन के चौबीस खंबा माता मंदिर में आज सुबह से ही भक्तों का ताता लगा हुआ है यहां माता की पूजा राजा विक्रमाजीत करते थे इस परंपरा का निर्वाह करते हुए जिलाधीश द्वारा किया गया यहां कलेक्टर ने महामाया महामाया माता को मदिरा का भोग लगाया जिसके बाद ना सिर्फ पुरुष बल्कि महिला जो पति और बच्चे भी मदिरा का प्रसाद ग्रहण करते नजर आए दरअसल आज महा अष्टमी पर नगर पूजा का विधान है और राजा विक्रमादित्य नगर में सुख शांति के लिए माता को चाहते थे जिसका निर्माण आज भी किया जाता है


Conclusion:उज्जैन चौबीस खंबा माता में महालया महामाया के मंदिर में उज्जैन कलेक्टर और पंडित ने मदिरा दारू चढ़ाकर माता की आराधना की राजा विक्रमादित्य समय से प्रारंभ हुई या परंपरा को जिला प्रशासन उज्जैन आज भी उस प्रकार से ही निर्वाहन कर रहा है। शरदीय नवरात्रि में अष्टमी के दिन वर्ष में एक बार जिला प्रशासन द्वारा नगर पूजा की जाती है पूजा के बाद मदिरा का प्रसाद ना सिर्फ पुरुष बल्कि महिला और बच्चे भी प्रसाद के रूप में आस्था के साथ लेते हैं और उज्जैन शहर के लगभग 27 किलोमीटर लंबी इस महापूजा में जिला प्रशासन के साथ-साथ कई श्रद्धालु पैदल चलते हैं जिसमें 40 भैरव मंदिर और माता मंदिर में मदिरा कराई जाती है मदिरा की धार कोटवार मदीना की धार और अन्य प्रसाद सामग्री लेकर निकलते हैं जो कि सुबह माता मंदिर से प्रारंभ होकर यहां जाता शाम तक खत्म होती है या यात्रा उज्जैन के प्रसिद्ध माता मंदिर में मदीना की धार चढ़ाते हुए निकलती है मान्यता है कि इस यात्रा की खास बात यह होती है कि एक घड़े में मदिरा को भारी जाती है जिसमें नीचे छेद होता है जिससे पूरी यात्रा के दौरान मदिरा की धार चढ़ाई जाती है जो टूटती नहीं है हर बार महापूजा पर जिला कलेक्टर के साथ प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारी बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होते है। वर्षों पुरानी इस परंपरा के पीछे मान्यता है कि इस तरह के पूजन से शहर में प्रकोप नहीं आता है और नगर में सुख शांति रहती है।


बाइट---प्रकाश पूजरी माता मांदीर

देश प्रदेश और नगर वासी कि खुशी समृद्धि और शांति के लिए की जाती है पूजा राजा विक्रमाजीत के जमाने से यह परंपरा और प्रकार चली आ रही है कहा यह भी जाता है कि देवी के प्रकोप से पहले बहुत बीमारियां होती थी इसलिए नगर पूजा की जाती थी 12 घंटे में से 27 किलोमीटर पैदल चलकर पूरी की जाती है महा अष्टमी पर प्रशासन की ओर से होने वाली नगर पूजा देखने लायक होती है लोगो वर्ष भर इसका इंतजार रहता है माता भैरव मंदिर मिलाकर कुल 40 मंदिरों में या पूजा होगी पूजा लगेगी एक दर्जन कोटवाल सहित 50 से अधिक कर्मचारी 12 घंटे में 27 किलोमीटर पैदल चलकर पूजन संपन्न करेंगे।


बाइट---शशांक मिश्रा कलेक्टर उज्जैन

बाइट---इशिका श्रद्धालु

बाइट---रुचि श्रद्धालु

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