उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल की नगरी में 9 दिन से बाबा के विवाह उत्सव को लेकर धूम है. कल विवाह के बाद बाबा का देर रात तक विशेष पूजन किया गया. इसके बाद सुबह 4 बजे फलों और सवर्णों से लदा सेहरा बांधा गया, जो अपने आप में अद्भुत है. इसके महत्व को जानें, तो हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं का तांता सिर्फ सेहरा दर्शन और सेहरा लूटने पर ही लगता है, जो इस बार कोविड महामारी के कारण देखने को नहीं मिला.
महाशिवरात्रि विशेष : जानिए महाकाल की भस्म आरती का रहस्य और महत्व
देर रात बंद हो गया था जलाभिषेक
महाकाल के निरंतर जलाभिषेक के साथ ही उनका रात 8 बजे से 10 बजे तक कोटेश्वर महादेव के रूप में पूजन हुआ. रात 10:30 बजे महाकाल को जल चढ़ाना बंद किया गया. इसके बाद 11 बजे से महापूजन की तैयारियां शुरू हुई, जिसमें पंचामृत से घी, दूध, दही, शक्कर, शहद से अभिषेक किया गया. गर्म जल से स्नान के बाद बाबा को वस्त्र ओढ़ाया गया. इसके उपरांत सप्तधान्य में चावल, मूंग, खड़ा तिल, मसूर और गेंहू बाबा को अर्पित की गई. इसके बाद सुबह 4 बजे से बाबा को सेहरा चढ़ना शुरू हुआ. 6 बजे सेहरा आरती की गई, जिसके बाद 9 बजे से 3 बजे तक श्रद्धालुओं के दर्शन पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया.
महाकाल का दर्शन कर उमा ने राहुल को दिया ज्ञान, कुछ दिन तो गुजारें संघ की शाखा में
साल में एक बार दोपहर में होती है भस्मारती
साल में एक बार होने वाली महा भस्म आरती के दौरान ही बाबा साकार से निराकार रूप धारण करते है, जिसके बाद ही विवाह उत्सव का समापन माना जाता है. दोपहर 12 बजे से शुरू हुई भस्म आरती दोपहर 2 बजे तक चलेगी, जिसके बाद 2:30 बजे से 3 बजे के बीच भोंग आरती होना है. 3 बजे से श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू होगा. शाम 6:30 से 7:15 बजे तक संध्या आरती और रात 10 बजे शयन आरती के बाद पट बंद किए जाएंगे.
भस्म आरती के बारे में जानिए
भस्ममार्ति का एक और नाम मंगला आरती भी दिया गया है. मंगला आरती में बाबा हर रोज निराकार से साकार रूप धारण करते हैं. बाबा भस्म को संसार को नाशवान होने का संदेश देने के लिए लगाते है, नाशवान का संदेश देने के लिए बाबा ताजी भस्म शरीर पर धारण करते हैं, गाय के गौबर का जो उबला होता है, उसकी भस्म बाबा को अर्पण की जाती है. बाबा को जब भस्म अर्पण की जाती है तो 5 मंत्रों के उच्चारण के साथ की जाती है, ये 5 मंत्र हमारे शरीर के तत्व हैं. इसके उच्चारण के साथ ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. पुजारी ने चिता की भस्म का वर्णन करते हुए बताया कि बाबा का निवास शमशान में है. बाबा शमशान में होते है तो ही चिता की भस्म अर्पित की जाती है. यहां पर बाबा वन में विराजमान हैं इसलिए गाय के गौबर की राख से बाबा का श्रृंगार किया जाता है.