उज्जैन। शहर में पंडे-पुजारियों के पास 700 से अधिक छोटे-बड़े मंदिर की जमीन है. अब इन जमीन के खसरे में पुजारी के नाम की जगह कलेक्टर का नाम होगा. बताया जा रहा है कि इस बदलाव से मंदिर के नाम पर जमीन और उससे जुड़े विवाद भी खत्म हो जाएंगे. कई बार ऐसा देखा गया है कि पंडे-पुजारी के परिवार वाले जमीन पर अपना आधिपत्य जमाते हुए कोर्ट तक चले जाते है. ऐसे सभी विवादों से प्रशासन को निजात मिलेगी. जिसके बाद करोडों रुपए की बेशकीमती जमीन सरकारी हो सकेगी. उज्जैन ही नहीं प्रदेश के सभी छोटे-बड़े मंदिरों में से पुजारियों का नाम हटाया जाएगा और जिला कलेक्टर का नाम जोड़ा जाएगा.
छोटे-बड़े मंदिरों पर होगा प्रशासन का कब्जा
दरअसल शहर में सभी छोटे-बड़े मंदिरों के खसरे बदले जाएंगे. जिन जमीनों को लेकर विवाद की स्थिति होगी, उन पर भी प्रशासन कार्रवाई कर मंदिरों को अपने कब्जे में करने जा रहा है. राधा कृष्ण मंदिर की कई बीघा जमीन को लेकर चल रहा विवाद भी प्रशासन अब जल्द ही खत्म कर देगा. इस मंदिर की जमीन पर भी प्रशासन का कब्जा हो जाएगा.
हिंदू समाज मंदिरों को चलाने में सक्षम है- महेश शर्मा
अखिल भारतीय पुजारी संघ से जुड़े महेश शर्मा ने कहा कि 1977 से ही मंदिरों की जमीन सरकार ने दबाव बनाया था. आज भी सरकार दबाव बना रही है. हमारे संघ ने तब भी विरोध किया था और आज भी कर रहे है. पूरे प्रदेश में मंदिरों की जमीन पुजारियों से छीनी जा रही है. हमारी मांग है कि मंदिरों की जमीन पुजारियों के पास ही रहे. इसमें सरकार चाहे तो कलेक्टर का नाम भी जोड़ सकती है. लेकिन पुजारियों का नाम हटाना अच्छी बात नहीं है.
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मंदिर के पुजारियों को सरकार कोई वेतन नहीं देती है. हमसे मंदिर छीनना ठीक नहीं है. जिस प्रकार से देश में मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च मुक्त है उसी प्रकार मंदिर भी मुक्त होना चाहिए. हमारा हिंदू समाज मंदिरों को चला सकता है. सरकार को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. शर्मा ने आगे कहा कि इस विषय को लेकर राजस्थान पुजारी महासभा का विशाल सम्मेलन 12 जिलों में करने जा रहा है. जिसमें हमारा संगठन भी शिरकत करेगा.
जल्द होगी कार्रवाई- कलेक्टर
कलेक्टर और महाकाल मंदिर अध्यक्ष आशीष सिंह ने बताया कि उज्जैन में जिन मंदिरों और उनकी जमीनों पर पुजारियों के नाम चढ़े हुए है. जल्द ही उन मंदिरों के खसरे से पुजारियों के नाम हटा कर अब प्रशासन का नाम चढ़ाया जाएगा.