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टीकमगढ़: चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर हुआ वेबिनार, 60 हजार लोगों की रही उपस्थिति

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Published : Jul 25, 2020, 1:21 AM IST

ओरछा के पास चंद्रशेखर आजाद स्मारक पर अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की 115वीं जयंती पर हिंदू जागरण मंच महाकौशल द्वारा वेबिनार का आयोजन किया गया. जिसमें 60 हजार लोग मौजूद रहे.

Webinar on the birth anniversary of Chandrashekhar Azad
चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर हुआ वेबीनार

टीकमगढ़। अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की 115वीं जयंती पर चंद्रशेखर आजाद स्मारक के पास हिंदू जागरण मंच महाकौशल प्रांत के तत्वाधान में एक बड़ा वेबीनार आयोजित किया गया. जिसमें आजाद और उनकी कार्यशैली से प्रेरणा लेकर युवाओं को जोड़ने का संदेश दिया गया.

वेबिनार में लगभग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 60 हजार लोगों की उपस्थिति रही. जिसमें मुख्य रुप से केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह और मध्य प्रदेश शासन के राज्य मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने लोगों को संबोधित किया.

सतार तट थी आजाद की कार्य स्थली

कार्यक्रम के संयोजक सुमित मिश्रा ने बताया कि ओरछा स्थित सतार तट चंद्रशेखर आजाद की कार्य स्थली रहा है. काकोरी कांड के बाद अंग्रेजों से छुपते छुपाते लगभग डेढ़ वर्ष चंद्रशेखर आजाद ब्राह्मण वेश में एक हनुमान मंदिर के पास यहीं रहे थे. पास के ही गांव आजादपुर के स्वर्गीय मलखान सिंह तोमर ने उन्हें संरक्षण दिया था.

हनुमान मंदिर के पास आजाद ने एक कुटिया बनाई थी. जिस में मिट्टी का का बिछौना और तकिया आज भी देखा जा सकता है. कुछ दूरी पर आजाद की गुप्त गुफा भी थी. कहते हैं कि अंग्रेजों को उनके यहां छुपने की भनक लग गई और वह अचानक यहां से कई अन्य स्थान पर चले गए. चंद्रशेखर आजाद की मौत के बाद उनकी मां यहां आई और मलखान सिंह तोमर जी से अपने बेटे के बारे में पूरी जानकारी लेकर फूट-फूट कर रोने लगी.

टीकमगढ़। अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की 115वीं जयंती पर चंद्रशेखर आजाद स्मारक के पास हिंदू जागरण मंच महाकौशल प्रांत के तत्वाधान में एक बड़ा वेबीनार आयोजित किया गया. जिसमें आजाद और उनकी कार्यशैली से प्रेरणा लेकर युवाओं को जोड़ने का संदेश दिया गया.

वेबिनार में लगभग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 60 हजार लोगों की उपस्थिति रही. जिसमें मुख्य रुप से केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह और मध्य प्रदेश शासन के राज्य मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने लोगों को संबोधित किया.

सतार तट थी आजाद की कार्य स्थली

कार्यक्रम के संयोजक सुमित मिश्रा ने बताया कि ओरछा स्थित सतार तट चंद्रशेखर आजाद की कार्य स्थली रहा है. काकोरी कांड के बाद अंग्रेजों से छुपते छुपाते लगभग डेढ़ वर्ष चंद्रशेखर आजाद ब्राह्मण वेश में एक हनुमान मंदिर के पास यहीं रहे थे. पास के ही गांव आजादपुर के स्वर्गीय मलखान सिंह तोमर ने उन्हें संरक्षण दिया था.

हनुमान मंदिर के पास आजाद ने एक कुटिया बनाई थी. जिस में मिट्टी का का बिछौना और तकिया आज भी देखा जा सकता है. कुछ दूरी पर आजाद की गुप्त गुफा भी थी. कहते हैं कि अंग्रेजों को उनके यहां छुपने की भनक लग गई और वह अचानक यहां से कई अन्य स्थान पर चले गए. चंद्रशेखर आजाद की मौत के बाद उनकी मां यहां आई और मलखान सिंह तोमर जी से अपने बेटे के बारे में पूरी जानकारी लेकर फूट-फूट कर रोने लगी.

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