टीकमगढ़। जिले में एक ऐसा अनोखा शिव मंदिर है, जिसके पुजारी की मौत सिर्फ 72 साल की उम्र में ही होती है, वो भी पूजा करने के दौरान सांप काटने से होती है. इस मंदिर की पूजा एक ही परिवार के लोग कर पाते हैं, जो एक बहुत बड़ा रहस्य है. जिसका आज तक कोई पता नहीं लगा पाया है. ये रहस्य आज भी बरकरार है. इस मंदिर की विशेषता है कि यहां पर मवई गांव के चौबे परिवार के लोग ही पूजा कर पाते हैं. दूसरा कोई पूजा नहीं कर पाता है.
शहर से 16 किलोमीटर दूर जतारा रोड पर मवई गांव के पास एक पहाड़ी है. जहां 200 साल पुराना भगवान भोले नाथ का मंदिर है, जिसे बैजनाथ धाम के नाम से जाना जाता है. ये मंदिर दशकों पहले एक गुफा में था, लेकिन अब धीरे-धीरे इसका विस्तार कर दिया गया. लोगों को दर्शन के लिए गुफा में लेटकर जाना पड़ता था, लेकिन अब मंदिर की गुफा में एक कमरा बना दिया गया है, जिससे लोगों को दर्शन करने में दिक्कत नहीं होती.
इस मंदिर में आज तक कोई बाहरी संत-महंत नहीं रुक पाया और न ही कोई पुजारी यहां पर पूजा कर सका है. यहां पर पूजा सिर्फ रामचरण चौबे के परिवार के लोग ही कर पाते हैं. इस मंदिर का एक और बहुत बड़ा रहस्य है. मंदिर की पूजा करने वाले पंडितों की मौत सांप के काटने से मंदिर में ही होती है.
मंदिर के पुजारी रामचरण चौबे बताते हैं कि यहां पर उनके दादा, पिता भी पूजा करते थे और उनकी मौत मंदिर में पूजा करते वक्त सांप के काटने से हुई थी. यहां के पुजारियों को 72 साल की उम्र में ही सांप काटता है और उनकी मौत हो जाती है. एक ही परिवार के पुजारी से पूजा और 72 साल की उम्र में सांप के काटने से मौत होना एक अनसुलझा रहस्य है, जिसे आज तक कोई नहीं समझ पाया है. ग्रामीणों का कहना है कि इस मंदिर में लोगों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है.
नोटः इस खबर की सत्यता की पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है, स्थानीय लोगों व पुजारी के कथनानुसार ये खबर लिखी गयी है.