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इस मंदिर के पुजारी को 72 साल की उम्र में काटता है सांप, कई पुजारियों की मौत बना रहस्य

अनोखा शिव मंदिर है, जिसके पुजारी की मौत सिर्फ 72 साल की उम्र में ही होती है, वो भी पूजा करने के दौरान सांप काटने से होती है. इस मंदिर की विशेषता है कि यहां पर मवई गांव के चौबे परिवार के लोग ही पूजा कर पाते हैं.

अनोखा बैजनाथ धाम शिव मंदिर
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Published : Jun 29, 2019, 11:41 PM IST

टीकमगढ़। जिले में एक ऐसा अनोखा शिव मंदिर है, जिसके पुजारी की मौत सिर्फ 72 साल की उम्र में ही होती है, वो भी पूजा करने के दौरान सांप काटने से होती है. इस मंदिर की पूजा एक ही परिवार के लोग कर पाते हैं, जो एक बहुत बड़ा रहस्य है. जिसका आज तक कोई पता नहीं लगा पाया है. ये रहस्य आज भी बरकरार है. इस मंदिर की विशेषता है कि यहां पर मवई गांव के चौबे परिवार के लोग ही पूजा कर पाते हैं. दूसरा कोई पूजा नहीं कर पाता है.

शहर से 16 किलोमीटर दूर जतारा रोड पर मवई गांव के पास एक पहाड़ी है. जहां 200 साल पुराना भगवान भोले नाथ का मंदिर है, जिसे बैजनाथ धाम के नाम से जाना जाता है. ये मंदिर दशकों पहले एक गुफा में था, लेकिन अब धीरे-धीरे इसका विस्तार कर दिया गया. लोगों को दर्शन के लिए गुफा में लेटकर जाना पड़ता था, लेकिन अब मंदिर की गुफा में एक कमरा बना दिया गया है, जिससे लोगों को दर्शन करने में दिक्कत नहीं होती.

अनोखा बैजनाथ धाम शिव मंदिर

इस मंदिर में आज तक कोई बाहरी संत-महंत नहीं रुक पाया और न ही कोई पुजारी यहां पर पूजा कर सका है. यहां पर पूजा सिर्फ रामचरण चौबे के परिवार के लोग ही कर पाते हैं. इस मंदिर का एक और बहुत बड़ा रहस्य है. मंदिर की पूजा करने वाले पंडितों की मौत सांप के काटने से मंदिर में ही होती है.

मंदिर के पुजारी रामचरण चौबे बताते हैं कि यहां पर उनके दादा, पिता भी पूजा करते थे और उनकी मौत मंदिर में पूजा करते वक्त सांप के काटने से हुई थी. यहां के पुजारियों को 72 साल की उम्र में ही सांप काटता है और उनकी मौत हो जाती है. एक ही परिवार के पुजारी से पूजा और 72 साल की उम्र में सांप के काटने से मौत होना एक अनसुलझा रहस्य है, जिसे आज तक कोई नहीं समझ पाया है. ग्रामीणों का कहना है कि इस मंदिर में लोगों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है.

नोटः इस खबर की सत्यता की पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है, स्थानीय लोगों व पुजारी के कथनानुसार ये खबर लिखी गयी है.

टीकमगढ़। जिले में एक ऐसा अनोखा शिव मंदिर है, जिसके पुजारी की मौत सिर्फ 72 साल की उम्र में ही होती है, वो भी पूजा करने के दौरान सांप काटने से होती है. इस मंदिर की पूजा एक ही परिवार के लोग कर पाते हैं, जो एक बहुत बड़ा रहस्य है. जिसका आज तक कोई पता नहीं लगा पाया है. ये रहस्य आज भी बरकरार है. इस मंदिर की विशेषता है कि यहां पर मवई गांव के चौबे परिवार के लोग ही पूजा कर पाते हैं. दूसरा कोई पूजा नहीं कर पाता है.

शहर से 16 किलोमीटर दूर जतारा रोड पर मवई गांव के पास एक पहाड़ी है. जहां 200 साल पुराना भगवान भोले नाथ का मंदिर है, जिसे बैजनाथ धाम के नाम से जाना जाता है. ये मंदिर दशकों पहले एक गुफा में था, लेकिन अब धीरे-धीरे इसका विस्तार कर दिया गया. लोगों को दर्शन के लिए गुफा में लेटकर जाना पड़ता था, लेकिन अब मंदिर की गुफा में एक कमरा बना दिया गया है, जिससे लोगों को दर्शन करने में दिक्कत नहीं होती.

अनोखा बैजनाथ धाम शिव मंदिर

इस मंदिर में आज तक कोई बाहरी संत-महंत नहीं रुक पाया और न ही कोई पुजारी यहां पर पूजा कर सका है. यहां पर पूजा सिर्फ रामचरण चौबे के परिवार के लोग ही कर पाते हैं. इस मंदिर का एक और बहुत बड़ा रहस्य है. मंदिर की पूजा करने वाले पंडितों की मौत सांप के काटने से मंदिर में ही होती है.

मंदिर के पुजारी रामचरण चौबे बताते हैं कि यहां पर उनके दादा, पिता भी पूजा करते थे और उनकी मौत मंदिर में पूजा करते वक्त सांप के काटने से हुई थी. यहां के पुजारियों को 72 साल की उम्र में ही सांप काटता है और उनकी मौत हो जाती है. एक ही परिवार के पुजारी से पूजा और 72 साल की उम्र में सांप के काटने से मौत होना एक अनसुलझा रहस्य है, जिसे आज तक कोई नहीं समझ पाया है. ग्रामीणों का कहना है कि इस मंदिर में लोगों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है.

नोटः इस खबर की सत्यता की पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है, स्थानीय लोगों व पुजारी के कथनानुसार ये खबर लिखी गयी है.

Intro:एंकर इन्ट्रो / टीकमगढ़ जिले में एक ऐसा अनोखा शिव मन्दिर है जिसके पुजारी की मौत सिर्फ 72 साल की उम्र में ही पूजा करने के दौरान सर्प के काटने से होती है ओर इस मंदिर की पूजा एक ही परिवार के लोग कर पाते है जो एक बहुत बड़ा रहस्य है जो आज भी बरकरार है
यह खबर सिर्फ etv भारत के पास है जो एक एक्सक्लूजिव रिपोर्ट है !


Body:वाईट /01रामचरण चोवे बैजनाथ धाम मन्दिर पुजारी मवई

बाईट /02 रमेश लोधी ग्रामीण मवई

वाईट /03 मेहरवान सिंह ग्रामीण मवई

बोकथ्रो /01 सूर्यप्रकाश गोस्वामी रिपोर्टर टीकमगढ़

वाइस ओबर / टीकमगढ़ जिले में एक ऐसा अनोखा शिवमंदिर है जिसमे मन्दिर पुजारी ओर सर्प का रहस्य बरकरार है जिसको आज तक कोई भी पता नही चला सका यहां तक मन्दिर की पूजा करने बाले मन्दिर के पुजारी भी की यह रहस्य क्या है टीकमगढ़ से 16 किलोमीटर की दूरी पर जतारा रोड पर मवई गांव के पास एक पहाड़ी पर यह अति प्राचीन 200 साल पुराना मन्दिर है भोमे नाथ का जिसे बैजनाथ धाम से जाना जाता है !यह मंदिर काफी सालो पहिले एक गुफा में था लेकिन अब धीरे धीरे विस्तार के दौरान इस मंदिर की गुफा में एक कमरा बना दोय गया जिससे लोगो को दर्शनों में दिक्कत नही होती पहिले यहां पर लोगो को गुफा में लेटकर दर्शनों हेतु जाना पड़ता था लेकिन अब लोगो को आराम से दर्शन होते है !इस मंदिर की बिसेसता है कि यहां पर एक ही परिवार मवई गांव के चौबे परिवार के लोग ही मन्दिर की पूजा करपाते है और दूसरा कोई नही


Conclusion:टीकमगढ़ जिले के इस बैजनाथ धाम मन्दिर का एक बहुत ही बड़ा रहस्य है ! कि यहां पर मन्दिर की पूजा करने बाले पंडितों की मौत मन्दिर में ही होती है ! और वह भी मन्दिर में भोले नाथ के सर्प के काटने से यहां के मंदिर के पुजारी रामचरण चौबे बताते है कि यहां पर उनके दादा जी पिताजी भी पूजा करते थे और उनकी मौत मन्दिर में पूजा करते बक्त सर्प के काटने से हुई थी इस मंदिर में बर्तमान पुजारी के दादा सुखनंदन ,की मौत सर्प के कटने से हुई थी तो वही पुजारी के पिता रामप्यारे भी पहिले पूजा करते थे जिनकी मौत भी पूजा के दौरान सर्प के काटने से हुई थी और एक ओर आश्चर्य की बात है कि यहां के पुजारियों को 72 साल की उम्र में ही सर्प काटता है और उनकी मौत हो जाती है इसके पहिले भी चौबे परिवार के बुजुर्ग पूजा करते थे जिनकी मौत भी सर्प के काटने से हुई थी 72 साल की उम्र में जो एक अनसुलझा रहस्य है जिसे आजतक कोई नही समझ पाया इस मंदिर में आजतक कोई बाहरी सन्त महंत नही रुक पाया और कोई भी पुजारी यहां पर पूजा नही कर सका यहां पर पूजा सिर्फ रामचरण चोवे के परिवार के लोग ही पूजा कर पाते है इस मंदिर में लोगो की मनोकामनाएं होती है पूरी जो बैजनाथ धाम के नाम से जाना जाता है यहां पर जो शिवलिग से यह जमीन से प्रकट हुआ था सेकड़ो सालो पहिले लेकिन इस मंदिर का पुजारी की मौत सर्प के काटने से होने का आजतक कोई नही जान पाया है जो एक बहुत बड़ी पहेली है
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