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बुंदेलखंड के प्रसिद्ध कुंडेश्वर मंदिर ट्रस्ट पर रसूखदारों का कब्जा, दुकान आवंटन में जमकर भ्रष्टाचार!

Kundeshwar Mandir News: टीकमगढ़ जिले के कुंडेश्वर मंदिर ट्रस्ट को सदस्यों ने राजनीति का अखाड़ा बना दिया है.रसूखदारों ने एक तरह से मंदिर पर कब्जा कर लिया है.दुकान आवंटन में भी भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं.

Kundeshwar Mandir News
बुंदेलखंड का प्रसिद्ध कुंडेश्वर मंदिर
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 6, 2024, 8:17 PM IST

कुंडेश्वर मंदिर टीकमगढ़

टीकमगढ़। कुंडेश्वर मंदिर बुंदेलखंडवासियों की आस्था का केंद्र है लेकिन इन दिनों मंदिर ट्रस्ट की कारगुजारियों के चलते भोलेनाथ के भक्त काफी दुखी हैं. दरअसल मंदिर कार्यकारणी के सदस्यों ने मंदिर को राजनीति का अखाड़ा बना दिया है और रसूखदारों ने एक तरह से मंदिर पर कब्जा कर लिया है. पिछले छह साल से मंदिर कार्यकारणी के चुनाव नहीं कराए गए. मंदिर में निर्मित की गयी दुकानों के आवंटन में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं. हालांकि इस मामले की शिकायत कलेक्टर को करने के बाद प्रशासन सक्रिय हुआ है.

Kundeshwar Mahadev
टीकमगढ़ के कुंडेश्वर में विराजमान बाबा भोलेनाथ

क्या है मामला

दरअसल बुंदेलखंड के टीकमगढ़ में स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर कुंडेश्वर इन दिनों अपनी भव्यता और दिव्यता को लेकर नहीं,बल्कि मंदिर में चल रही राजनीति को लेकर सुर्खियों में है. जिससे मंदिर में आस्था रखने वाले लोग और श्रद्धालुओं को ठेस लग रही है। दरअसल मंदिर की कार्यकारणी पर पिछले छह साल से एक ही समिति का कब्जा है. जबकि हर तीन साल में मंदिर कार्यकारणी के नए सिरे से चुनाव कर नई समिति का गठन किया जाता है. मौजूदा कार्यकारणी ने कोरोना और दूसरे बहाने बनाकर कार्यकारणी का चुनाव टाल दिया था.

भ्रष्टाचार के चलते चुनाव नहीं

लोगों का कहना है कि राजनीतिक पकड़ रखने वाले रसूखदार लोग जानबूझकर मंदिर कार्यकारणी का चुनाव नहीं होने दे रहे हैं, क्योकिं उन्होंने अपने कार्यकाल में जमकर भ्रष्टाचार किया है. दरअसल कुंडेश्वर मंदिर की कार्यकारणी में लगभग 1800 आजीवन सदस्य हैं जो मंदिर कार्यकारणी का चुनाव संपन्न कराते हैं. हालांकि मंदिर का ट्रस्ट एक निजी ट्रस्ट है, जिसका निर्वाचन 2017 में हुआ था. मंदिर कार्यकारणी का तीन साल का कार्यकाल होता है,इस लिहाज से 2020 में चुनाव होना था. लेकिन कोरोना के नाम पर चुनाव टाल दिया गया और अब तक चुनाव नहीं कराया गया। चुनाव की मांग को लेकर कई सदस्य तो कार्यकारणी से इस्तीफा देकर अलग हो गए हैं.

दुकानों के आवंटन में भ्रष्टाचार

मंदिर कार्यकारणी पर मनमानी और भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. सबसे बड़ा आरोप मंदिर की प्रथम दुकान को लेकर है, जो महाप्रसाद के लिए आवंटित थी लेकिन मंदिर कार्यकारणी के अध्यक्ष ने इस दुकान को अपने चहेते को आवंटित कर दिया. खास बात ये है कि इस बेशकीमती दुकान को सिर्फ 780 रूपए प्रतिमाह के किराए पर दिया गया है जबकि अगर दुकान की नीलामी कराई जाती, तो मंदिर ट्रस्ट के लिए काफी आय हो सकती थी. इस दुकान में तो मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नंदकिशोर दीक्षित के पार्टनर होने के भी आरोप हैं हालांकि इन आरोपों को लेकर मंदिर कार्यकारणी ने चुप्पी साध रखी है.

ये भी पढ़ें:

क्या कहना है प्रशासन का

इस मामले में टीकमगढ़ एसडीएम संजय द्विवेदी का कहना है कि उनके पास मन्दिर के निर्वाचन को लेकर शिकायतें आई हैं. जल्द ही मन्दिर ट्रस्ट के चुनाव सम्पन्न करवाये जाएंगें और मन्दिर की दुकानों के आवंटन में भ्रष्टाचार की जांच भी कराई जाएगी.

कुंडेश्वर मंदिर टीकमगढ़

टीकमगढ़। कुंडेश्वर मंदिर बुंदेलखंडवासियों की आस्था का केंद्र है लेकिन इन दिनों मंदिर ट्रस्ट की कारगुजारियों के चलते भोलेनाथ के भक्त काफी दुखी हैं. दरअसल मंदिर कार्यकारणी के सदस्यों ने मंदिर को राजनीति का अखाड़ा बना दिया है और रसूखदारों ने एक तरह से मंदिर पर कब्जा कर लिया है. पिछले छह साल से मंदिर कार्यकारणी के चुनाव नहीं कराए गए. मंदिर में निर्मित की गयी दुकानों के आवंटन में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं. हालांकि इस मामले की शिकायत कलेक्टर को करने के बाद प्रशासन सक्रिय हुआ है.

Kundeshwar Mahadev
टीकमगढ़ के कुंडेश्वर में विराजमान बाबा भोलेनाथ

क्या है मामला

दरअसल बुंदेलखंड के टीकमगढ़ में स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर कुंडेश्वर इन दिनों अपनी भव्यता और दिव्यता को लेकर नहीं,बल्कि मंदिर में चल रही राजनीति को लेकर सुर्खियों में है. जिससे मंदिर में आस्था रखने वाले लोग और श्रद्धालुओं को ठेस लग रही है। दरअसल मंदिर की कार्यकारणी पर पिछले छह साल से एक ही समिति का कब्जा है. जबकि हर तीन साल में मंदिर कार्यकारणी के नए सिरे से चुनाव कर नई समिति का गठन किया जाता है. मौजूदा कार्यकारणी ने कोरोना और दूसरे बहाने बनाकर कार्यकारणी का चुनाव टाल दिया था.

भ्रष्टाचार के चलते चुनाव नहीं

लोगों का कहना है कि राजनीतिक पकड़ रखने वाले रसूखदार लोग जानबूझकर मंदिर कार्यकारणी का चुनाव नहीं होने दे रहे हैं, क्योकिं उन्होंने अपने कार्यकाल में जमकर भ्रष्टाचार किया है. दरअसल कुंडेश्वर मंदिर की कार्यकारणी में लगभग 1800 आजीवन सदस्य हैं जो मंदिर कार्यकारणी का चुनाव संपन्न कराते हैं. हालांकि मंदिर का ट्रस्ट एक निजी ट्रस्ट है, जिसका निर्वाचन 2017 में हुआ था. मंदिर कार्यकारणी का तीन साल का कार्यकाल होता है,इस लिहाज से 2020 में चुनाव होना था. लेकिन कोरोना के नाम पर चुनाव टाल दिया गया और अब तक चुनाव नहीं कराया गया। चुनाव की मांग को लेकर कई सदस्य तो कार्यकारणी से इस्तीफा देकर अलग हो गए हैं.

दुकानों के आवंटन में भ्रष्टाचार

मंदिर कार्यकारणी पर मनमानी और भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. सबसे बड़ा आरोप मंदिर की प्रथम दुकान को लेकर है, जो महाप्रसाद के लिए आवंटित थी लेकिन मंदिर कार्यकारणी के अध्यक्ष ने इस दुकान को अपने चहेते को आवंटित कर दिया. खास बात ये है कि इस बेशकीमती दुकान को सिर्फ 780 रूपए प्रतिमाह के किराए पर दिया गया है जबकि अगर दुकान की नीलामी कराई जाती, तो मंदिर ट्रस्ट के लिए काफी आय हो सकती थी. इस दुकान में तो मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नंदकिशोर दीक्षित के पार्टनर होने के भी आरोप हैं हालांकि इन आरोपों को लेकर मंदिर कार्यकारणी ने चुप्पी साध रखी है.

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क्या कहना है प्रशासन का

इस मामले में टीकमगढ़ एसडीएम संजय द्विवेदी का कहना है कि उनके पास मन्दिर के निर्वाचन को लेकर शिकायतें आई हैं. जल्द ही मन्दिर ट्रस्ट के चुनाव सम्पन्न करवाये जाएंगें और मन्दिर की दुकानों के आवंटन में भ्रष्टाचार की जांच भी कराई जाएगी.

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