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नागों के त्योहार में घोड़े रहे आकर्षण का केंद्र, लोगों ने की नाग बेल की पूजा

चौरसिया समाज के लोगों ने निकाल शोभा यात्रा नृत्य करते घोड़े रहे आकर्षण का केंद्र.

चौरसिया समाज के लोगों ने निकाल शोभा यात्रा
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Published : Aug 5, 2019, 11:15 PM IST

टीकमगढ़ । टीकमगढ़ जिले में आज चौरसिया समाज के लोगों ने नागपंचमी मनाई. चौरसिया समाज के लोगों ने विशाल शोभा यात्रा निकाल कर नागपंचमी के त्योहार को खास बनाया.

चौरसिया समाज के लोगों ने निकाल शोभा यात्रा

चौरसिया समाज के लोगों ने पान की खेती में लगी नाग बेल की पूजा की. पान की लता को नाग बेल कहते हैं. नाग बेल को भी नाग के समान माना जाता है. चौरसिया समाज सबसे ज्यादा पान की खेती करते हैं, इसलिए नागपंचमी को चौरसिया दिवस के रूप में मनाया जाता हैं.

चौरसिया साज के लोग मराई माता के मन्दिर में पूजा अर्चना करने के बाद शोभा यात्रा निकाली. शोभा यात्रा के दौरान नृत्य करते घोड़े आकर्षण का केंद्र रहे. नाग देवता और भोले नाथ की कलाकृतियां शोभा यात्रा की शोभा बढ़ा रहा थी.

टीकमगढ़ । टीकमगढ़ जिले में आज चौरसिया समाज के लोगों ने नागपंचमी मनाई. चौरसिया समाज के लोगों ने विशाल शोभा यात्रा निकाल कर नागपंचमी के त्योहार को खास बनाया.

चौरसिया समाज के लोगों ने निकाल शोभा यात्रा

चौरसिया समाज के लोगों ने पान की खेती में लगी नाग बेल की पूजा की. पान की लता को नाग बेल कहते हैं. नाग बेल को भी नाग के समान माना जाता है. चौरसिया समाज सबसे ज्यादा पान की खेती करते हैं, इसलिए नागपंचमी को चौरसिया दिवस के रूप में मनाया जाता हैं.

चौरसिया साज के लोग मराई माता के मन्दिर में पूजा अर्चना करने के बाद शोभा यात्रा निकाली. शोभा यात्रा के दौरान नृत्य करते घोड़े आकर्षण का केंद्र रहे. नाग देवता और भोले नाथ की कलाकृतियां शोभा यात्रा की शोभा बढ़ा रहा थी.

Intro:एंकर इन्ट्रो / टीकमगढ़ जिले में आज चौरसिया समाज के लोगो ने ऐतिहासिक तरीके से मनाई गई नागपंचमी जिसमे घोड़ो ने किया आर्कषक नृत्य


Body:वाईट /01 बलदेव चौरसिया चौरसिया समाज के बरिष्ठ चन्देरा

वाईट /02 एन डी चौरसिया चन्देरा

वाइस ओबर / टीकमगढ़ जिले में आज नागपंचमी बड़े आकर्षक तरीके से मनाया जिसमे चौरसिया समाज के लोगो ने विशाल सोभा यात्रा निकाल कर नागपंचमी के पर्व मनाया गया सबसे पहिले चौरसिया समाज के लोगो ने पान की खेती में लगी नाग बेल की पूजा की ओर बताया कि आज के दिन नाग की पूजा होती है !और पान की नागवेल को भी नाग के समान माना जाता है जिसकारण पहिले नागवेल की पूजा की गई और फिर मराई माता की मन्दिर में पूजा अर्चना कर नगर में एक विशाल सोभा यात्रा निकली गई जिसमे नृत्य करते घोड़े आकर्षण का केंद्र रहे और नाग देवता और भोले नाथ की कलाकृतियां सोभा यात्रा की सोभा बड़ा रही थी हम आपको बता दे कि टीकमगढ़ जिले में नागपंचमी का पर्व चन्देरा गांव में बड़े ही धूम धाम के साथ मनाया जाता है !क्योंकि नागपंचमी चौरसिया दिवस के रूप में मनाई जाती है !पान की जो लता होती है उसको नाग बेल कहते है और इसको नाग देवता के समान माना जाता है और चौरसिया समाज सबसे ज्यादा पान की खेती करते है इसलिए नागपंचमी को चौरसिया दिवस के रूप में मनाया जाता है आज सेकड़ो की संख्या में चौरसिया समाज के लोगो ने अपने अपने घरों और मन्दिरो में पूजा कर नागपंचमी के त्योहार मनाया गया और सुबह से ही धर्मिक अनुष्ठान किये गए


Conclusion:टीकमगढ़ चौरसिया समाज के बुजुर्ग बताते है !कि नागपंचमी श्रावण सुक्ल की पंचमी को नागपंचमी मनाई जाती है !और पुरानी कथा के अनुसार राजा पारीछत ने यज्ञ करवाया था जिसमें पान की जरूरत पड़ी मगर पान कही पर भी नही मिला तो हनुमानजी जो भेजा गया और वह चौरसिया समाज के यहां से पान लाये जो 2भाई थे एक कम पड़ा लिखा जो गोंड ब्राम्हण थे और दूसरा कम पड़ा लिखा जिसमें कम पड़ा लिखा था वह पान की खेती करने लगा था और आज नागपंचमी चौरसिया समाज की ही मानी जाती है! जो इस दिन धर्मिक आयोजन कर पान बेल की पूजा कर इस दिवस को बड़े ही धूम धाम से मनाते है
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