टीकमगढ़ : अनूपपुर महाप्रबंधक (श्रमशक्ति/आईआर) कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा कोयला कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति (60 वर्ष) होने से पूर्व रिटायरमेंट लेने की स्कीम जारी की गई है. जिसको लेकर एटक एसईसीएल के महासचिव एवं एसईसीएल संचालन समिति के सदस्य कामरेड हरिद्वार सिंह ने इस स्कीम के बारे में कहा है कि यह स्कीम कोयला मजदूरों के साथ छलावा है. इस स्कीम को लेकर प्रबंधन द्वारा श्रमिक संघों से कोई चर्चा नहीं की गयी. इस स्कीम में सेवानिवृत्ति होने से पूर्व रिटायरमेंट लेने की अवधि का कोई अतिरिक्त बेनिफिट नहीं दिया जा रहा है.
स्कीम का कोई मतलब नहीं ?
उन्होंने कहा कि इस स्कीम में पीएफ, पेंशन, ग्रेच्युटी, मेडिकल स्कीम आदि का बेनिफिट देने की बात कही गई है जो कि आज भी अगर कोई कर्मचारी कंपनी की सेवा से रिजाइन करता है तो ये बेनिफिट दिए जाते हैं, फिर इस स्कीम का क्या मतलब. इस स्कीम से यह समझ में आता है कि प्रबंधन की मंशा सिर्फ शारीरिक रूप से बीमार और कार्य करने में असमर्थ कर्मचारियों को मेडिकल अनफिट ना कर उन्हें इस स्कीम के माध्यम से नौकरी से हटाना है.
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प्रबंधन चाहता है कि स्पेशल हाफ पे लीव और अल्टरनेट जाब ना देना पड़े. इस स्कीम के माध्यम से अनुकंपा नियुक्ति में भी कमी आएगी, स्कीम से कर्मचारियों को कोई अतिरिक्त फायदा नहीं है. वर्तमान सरकार एवं कोल इंडिया प्रबंधन का उद्देश्य नियमित कर्मचारियों की संख्या कम करके ठेका पद्धति के माध्यम से कम वेतन देकर कार्य कराना है. ठेका मज़दूरों को आज तक कोल इंडिया की हाई पावर कमेटी द्वारा निर्धारित वेज नहीं दिया जा रहा है.
'आने वाला समय कठिन'
कामरेड सिंह ने कहा कि वर्तमान समय और आने वाला समय कोयला मजदूरों के लिए बहुत ही कठिन है. केंद्र सरकार देश के सभी पब्लिक सेक्टर को निजी हाथों में सौंपना चाहता है. 1972-1973 में कोल इंडिया का निजीकरण से राष्ट्रीयकरण हुआ, एक बार फिर कोल इंडिया को निजीकरण की राह पर लाया जा रहा है. कोयला कर्मचारियों ने बड़ी लड़ाई लड़कर सुविधाओं को प्राप्त किया. लेकिन अब कर्मचारियों के मूलभूत सुविधाओं का हनन किया जा रहा है.