टीकमगढ़। मन में अगर कोई काम करने की इच्छा शक्ति हो तो फिर कोई चीज बाधा नहीं बन सकती, फिर वो उम्र हो, परिवार हो या फिर समाज. मातृ दिवस के मौके पर हम आपको ऐसी ही एक महिला ने मिलवाने जा रहे हैं. ये महिला एक, दो या चार नहीं बल्कि 42 से ज्यादा बच्चों की मां है. ये हैं शिवकली रुसिया, जिन्हें लोग टीकमगढ़ की मदर टेरेसा के नाम से भी जानते हैं. 91 साल की शिवकली रूसिया इस उम्र में भी लगातार समाज सेवा का काम करती है और उसका जोश और जज्बा आज भी किसी युवा से कम नहीं है.
24 साल में 42 अनाथों को दिया सहारा
बुंदेलखंड की मदर टेरेसा में रूप में पहचानी जाने वाली शिवकली रूसिया का समाज सेवा का सफर 60 के दशक से शुरू हुआ. उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला सशक्तीकरण और बच्चों की बेहतरी के लिए अनेक काम किए. शिवकली 24 साल से अनाथ बच्चों को अपना रही हैं. अब तक 42 बच्चों को सहारा दे चुकी हैं. ये सभी बच्चे इन्हें मां कहकर ही पुकारते हैं. बच्चों की परवरिश के लिए अनाथ आश्रम शुरू किया. इसके लिए अपना आधा मकान ट्रस्ट को दान कर दिया.
1997 से शुरू हुआ सिलसिला
शिवकली बताती हैं कि खुद को संतान नहीं होने पर पति-पत्नी घर में अकेले रहते थे. 1997 में एक दिन उन्हें लावारिस नवजात मिला, जिसे अपने घर पर रखने की अनुमति मिल गई. इसके बाद उन्होंने अनाथ बच्चों की देखभाल, संरक्षण और दत्तक ग्रहण यानी गोद लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी. एक-एक करके उनके पास कई बच्चे हो गए. बच्चों के पालन के लिए जब सरकारी मदद नहीं मिली तो खुद की जमा पूंजी खर्च की. शिशु गृह के लिए खुद के घर का आधा हिस्सा दान दे दिया.
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1956 से कर रही हैं समाज सेवा
शिवकली 1956 से समाज सेवा कर रही हैं. उन्होंने होम्योपैथी की डिग्री ली थी लेकिन बाद में वकालत करने लगी. 1960 में जब चेचक महामारी आई तो स्वास्थ्य विभाग के साथ घर से बाहर निकलकर सेवा की. शिवकली के पति प्रेमनारायण रूसिया शिक्षा विभाग में डायरेक्टर थे, कुछ साल पहले उनका निधन हो गया.
झांसी कलेक्टर ने दिया था नाम
शिवकली बुंदेलखंड समेत विश्व की हर महिलाओं के लिए प्रेरणा है. उन्होंने कई बच्चों को अच्छे परिवार में गोद दिया. यह देखकर झांसी कलेक्टर ने उन्हें सम्मानित किया था. तब उन्हें बुंदेलखंड की मदद टेरेसा नाम दिया. साल 2017 तक इन्होंने संस्था के निजी खर्च से बालगृह का संचालन किया. इसके बाद महिला बाल विकास ने सहयोग देना शुरू किया.