सागर। बुंदेलखंड की अयोध्या कहा जाने वाला ओरछा श्रीराम जानकी विवाह महोत्सव के लिए सजकर तैयार हो गया है. ओरछा में होने वाला भगवान राम राजा सरकार का विवाह उत्सव 3 दिन का होता है. तीन दिवसीय उत्सव की शुरुआत 26 नवंबर को हो गई थी. विवाह उत्सव की शुरुआत मंडप की रस्म के साथ होता है और परंपरा अनुसार रस्म कलेक्टर द्वारा संपन्न की जाती है. मंडप की रस्में शनिवार को जिला कलेक्टर तरुण भटनागर द्वारा संपन्न की गईं.
हल्दी व तेल की रस्म होती है खास : मंडप का पूजन होने के बाद विवाह के लिए बुंदेली परंपरा के अनुसार खाम लगाया जाता है. इसके बाद हल्दी और तेल की रस्म संपन्न की जाती है, जिसका विशेष महत्व है. कहा जाता है कि रामराजा सरकार की हल्दी तेल की रस्म में उन अविवाहित युवक-युवतियों के लिए काफी महत्वपूर्ण होती है, जिनकी शादी काफी प्रयास के बाद भी नहीं हो पाती है. ऐसे युवक-युवतियां रामराजा सरकार के हल्दी तेल की रस्म में शामिल होकर हल्दी तेल लगाते हैं तो उनके विवाह में आ रही बाधाएं समाप्त हो जाती हैं.
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विवाह की हर रस्म में बुंदेली परंपरा : ओरछा को बुंदेलखंड की अयोध्या कहा जाता है और जब ओरछा में भगवान राम का विवाह संपन्न होता है तो बुंदेलखंड की ही परंपराएं अपनाई जाती हैं. बुंदेलखंड की शादियों में नाच गाने का विशेष महत्व होता है. इन शादियों में बन्ना-बन्नी, बुंदेली विवाह गीत और बुंदेलखंड में शादियों में विशेष रूप से "गारी" भी गाई जाती है. तीन दिन के इस विवाह उत्सव में पोरसा में हर तरफ हर्ष और उल्लास नजर आता है.