टीकमगढ़। मंदिरों और महलों की नगरी ओरछा यूं तो राम राजा की नगरी और उनके मंदिरों के नाम से प्रसिद्ध है. यहां दुनिया का एकमात्र ऐसा राम मंदिर है, जहां भगवान राम को सशस्त्र सलामी दी जाती है. वहीं दूसरी ओर इस नगरी में कई कहानियां ऐसी छिपी हैं, जो लोगों को रोमांचित कर देती हैं. ऐसी ही एक कहानी राजा मधुकर शाह की है, जो भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे. कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने यहां राजा मधुकर शाह के साथ नृत्य किया है. अपने शासन काल में उन्होंने लीलाधारी मदनगोपाल के कई मंदिर बनवाए और अपनी कृष्ण भक्ति को चरितार्थ किया.
जानकारों के मुताबिक, राजा मधुकर शाह अक्सर वृंदावन जाया करते थे. उनके गुरु हरिराम व्यास हमेशा कृष्ण भक्ति में लीन रहते थे. एक बार राजा मधुकर शाह ने वृंदावन से ओरछा वापस नहीं लौटने की ठान ली और अपने गुरु से कहा कि अब यही वृंदावन धाम में ही उनका वास होगा. तब उनके गुरु हरिराम व्यास ने उन्हें कहा कि राजा आप बुंदेलखंड के राजा हो, आपका कर्तव्य प्रजा की रक्षा करना ही है. इसिलिए आप ओरछा वापस जाएं और ओरछा में ही आपको वृंदावन धाम के दर्शन और सुख प्राप्त होंगे. अपने गुरु का आदेश पाकर राजा मधुकर शाह वापस वृंदावन से ओरछा लौट जाते हैं और रोजाना कृष्ण भक्ति में लीन रहने लगे.
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यहां ऐसी लोकोक्ति है कि एक बार राजा मधुकर शाह अपने राजकाज में व्यस्त होने के कारण मंदिर देर से पहुंचे. वहां पहुंचकर उन्होंने देखा कि पुजारी ने मंदिर के नियम अनुसार पट बंद कर दिया है तो राजा वहां पास हो रहे भजन-कीर्तन में जाकर बैठ गए. भजन-कीर्तन में लीन नगरवासी और राजा नृत्य करने लगे. स्थानीय लोगों का कहना है कि भगवान कृष्ण स्वयं ओरछा की धरती पर अपनी गोपियों के साथ अवतरित हुए और राजा के साथ नृत्य किए.