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Sarv Pitru Amavasya 2020: घाट पर पहुंचकर लोगों ने दी अपने पितरों को विदाई, जानें क्या है महत्व - know about sarv pitru amavasya

पितृमोक्ष अमावस्या पर आज टीकमगढ़ में लोगों ने नदी-तालाबों पर जाकर अपने-अपने पूर्वजों और पितरो को जल में तर्पण कर विदाई दी. जानें क्या है सर्व पितृमोक्ष अमावस्या का महत्व..

sarv pitru amavasya
पितरों को दी विदाई
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Published : Sep 17, 2020, 1:34 PM IST

टीकमगढ़। आज पितृमोक्ष अमावस्या के मौके पर जिले के नदी और तालाबों में अलसुबह से ही भीड़ रही. लोग अपने-अपने पितरों और पूर्वजों को तर्पण देने के लिए जलाशयों में पहुंचे. लोगों ने पितरों को प्रसन्न करने के लिए जलाशय में पहले जल से तर्पण किया और फिर तीन दिशाओं में कुशा से अलग-अलग तर्पण किया. तर्पण करने के बाद अपने पूर्वजों को लोगों ने प्रसाद निकाला, जिसमें पितरों के नाम दो हिस्से, कौआ के नाम एक हिस्सा, गाय के नाम एक हिस्सा, एक कुत्ता और एक कन्या के लिए दिया जाता है. ऐसे करने के बाद आज अमावस्या के मौके पर लोग अपने पूर्वजों को विदाई देते हैं.

पितरों को दी विदाई

सर्व पितृमोक्ष अमावस्या के मौके पितरों को श्राद्ध किया जाता और आज के ही दिन अज्ञात पितरों का पिंडदान भी किया जाता है. पितरों की पूजा करने से सभी पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे परिवार को फली भूत होने का आशीर्वाद देते हैं.

शास्त्रों के मुताबिक आज के दिन जरूरतमंद लोगों को अनाज और वस्त्र का दान करना फलदाई होता है. वहीं भूखों को भोजन करवाने से मन को शांति मिलती है. आज के दिन तुलसी के पास दीपक जलाने से सकारात्मक सोच बढ़ती है और परिवार फलीभूत होता है, यही कारण है कि आमावस्या पर दीपक जलाना परिवार और रोजगार को लेकर फलदाई माना जाता है.

ये भी पढ़ें- सर्वपितृ अमावस्या आज, दूर-दूर से लोग पहुंचे सिद्धवट घाट, तर्पण करने वालों की लगी भीड़

पौधरोपण करने से मिलता है ये फल

आज के दिन पितरों की याद को ताजा रखने के लिए एक पौधा भी अवश्य लगाना चाहिए, जिसमें बरगद, नीम, अशोक, पीपल, बेल पत्र, तुलसी और आंवला शुभ माने जाते हैं. पौधों को लगाने से पितरों के साथ-साथ देवता भी प्रसन्न होते हैं. जिस दिन पितृ पक्ष लगता उस दिन नदी और तालाब पर पितरों को लेने जाना पड़ता है, वह भी पंडितों के द्वारा मंत्रों के उच्चारण के साथ ओर विदाई के समय भी पंडितों के मंत्रों उच्चारण के साथ विदाई करना महत्वपूर्ण माना जाता है.

टीकमगढ़। आज पितृमोक्ष अमावस्या के मौके पर जिले के नदी और तालाबों में अलसुबह से ही भीड़ रही. लोग अपने-अपने पितरों और पूर्वजों को तर्पण देने के लिए जलाशयों में पहुंचे. लोगों ने पितरों को प्रसन्न करने के लिए जलाशय में पहले जल से तर्पण किया और फिर तीन दिशाओं में कुशा से अलग-अलग तर्पण किया. तर्पण करने के बाद अपने पूर्वजों को लोगों ने प्रसाद निकाला, जिसमें पितरों के नाम दो हिस्से, कौआ के नाम एक हिस्सा, गाय के नाम एक हिस्सा, एक कुत्ता और एक कन्या के लिए दिया जाता है. ऐसे करने के बाद आज अमावस्या के मौके पर लोग अपने पूर्वजों को विदाई देते हैं.

पितरों को दी विदाई

सर्व पितृमोक्ष अमावस्या के मौके पितरों को श्राद्ध किया जाता और आज के ही दिन अज्ञात पितरों का पिंडदान भी किया जाता है. पितरों की पूजा करने से सभी पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे परिवार को फली भूत होने का आशीर्वाद देते हैं.

शास्त्रों के मुताबिक आज के दिन जरूरतमंद लोगों को अनाज और वस्त्र का दान करना फलदाई होता है. वहीं भूखों को भोजन करवाने से मन को शांति मिलती है. आज के दिन तुलसी के पास दीपक जलाने से सकारात्मक सोच बढ़ती है और परिवार फलीभूत होता है, यही कारण है कि आमावस्या पर दीपक जलाना परिवार और रोजगार को लेकर फलदाई माना जाता है.

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पौधरोपण करने से मिलता है ये फल

आज के दिन पितरों की याद को ताजा रखने के लिए एक पौधा भी अवश्य लगाना चाहिए, जिसमें बरगद, नीम, अशोक, पीपल, बेल पत्र, तुलसी और आंवला शुभ माने जाते हैं. पौधों को लगाने से पितरों के साथ-साथ देवता भी प्रसन्न होते हैं. जिस दिन पितृ पक्ष लगता उस दिन नदी और तालाब पर पितरों को लेने जाना पड़ता है, वह भी पंडितों के द्वारा मंत्रों के उच्चारण के साथ ओर विदाई के समय भी पंडितों के मंत्रों उच्चारण के साथ विदाई करना महत्वपूर्ण माना जाता है.

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