टीकमगढ़। बुंदेलखंड के ओरछा को दूसरी अयोध्या माना जाता है, यहां राम भगवान नहीं बल्कि राजा हैं. सरकार ने ओरछा को देश और दुनिया में विशेष पहचान दिलाने के मकसद से भव्य आयोजन किया है. 'नमस्ते ओरछा' महोत्सव रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ हुआ. नमस्ते ओरछा महोत्सव के जरिए विदेश से आने वाले सैलानियों को बुंदेलखंड की परंपराओं से रूबरू कराया गया. कार्यक्रम में आयोजित शानदार प्रस्तुतियों के जरिये पर्यटकों को ओरछा के गौरवशाली साहित्य और इतिहास की झलक दिखाई गई.
समारोह के पहले दिन भगवान श्रीराम के अयोध्या से ओरछा आगमन की गाथा का चित्रण किया गया. थ्री-डी मैपिंग से जहांगीर महल की दीवारों पर दिखाया गया. भगवान श्रीराम के अयोध्या से ओरछा आगमन के अलावा एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया.
समारोह के दूसरे दिन यानी 7 मार्च को कंचना घाट पर बेतवा की महाआरती की गई. गायिका शुभा मुदगल ने इस मौके पर शानदार प्रस्तुति दी. इंडियन ओसन ग्रुप, मृग्या, स्वानंद किरकिरे के गायन के साथ ही फ्रेंच गायक मनु चाव एवं बुंदेली आर्टिस्ट कालू राम की जुगलबंदी खास रही. कार्यक्रम का समापन बुंदेली व्यंजनों के जायके के साथ किया गया. पूरी ओरछा नगरी अब रामराजा मंदिर के रंग में रंगी दिखाई दी राजा महल, चतुर्भुज मंदिर, लक्ष्मी मंदिर, बेतवा किनारे बनी राजाओं की छतरियां जगमगा उठे हैं.
नमस्ते ओरछा महोत्सव के तीसरे और आखिरी दिन की शुरूआत स्थानीय बेतवा रिट्रीट में स्वास्थ्य एवं योगा सत्र से हुई। जिसमें विदेशी सैलानियों के साथ देशी सैलानियों ने भी योगाभ्यास किया। सुबह की अनुभूतियों में बेतवा नदी में कंचना घाट से पर्यटकों के लिए एडवेंचर स्पोटर्स का आयोजन किया गया। जिसमें सैलानियों ने बेतवा नदी में राफ्टिंग की। इसके साथ ही सैलानियों ने फोटोग्राफी वॉक का भी आनंद लिया। नमस्ते ओरछा महोत्सव में आए सैलानियों ने हेलिकॉप्टर द्वारा ओरछा के प्राकृतिक सौन्दर्य एवं विरासत को देखा.