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अनोखी है टीकमगढ़ की ये बावड़ी, सालभर पानी से रहती है लबालब

टीकमगढ़ की ये बावड़ी बेहद खास है. ये सालभर पानी से लबालब भरी रहती है, जिसे देखने के लिए हर साल लोगों की भीड़ लगी रहती है.

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Published : Jun 15, 2019, 5:53 PM IST

टीकमगढ़ की अनोखी बावड़ी

टीकमगढ़। तस्वीरों में दिखने वाली बुंदेलखंड की ये बावड़ी कोई साधारण बावड़ी नहीं है. जहां प्रदेश में चारों तरफ पानी के लिए हाहाकर मचा हुआ है, वहीं भीषण गर्मी में तप रहे इस प्रदेश की ये बावड़ी अद्भुत है, क्योंकि चाहे गर्मी हो या ठंड इस बावड़ी का पानी कभी नहीं सूखता है.

टीकमगढ़ की अनोखी बावड़ी

बुंदेलखंड पानी की किल्लत से गुजर रहा है लेकिन इस बावड़ी में अभी भी पानी है. इस तीन मंजिला बावड़ी का निर्माण यहां के राजा सुजान सिंह ने अपनी मां हीरा देवी के लिए करवाया था, जो कि आज भी श्री महारानी हीरा देवी कुंवर जू की बावड़ी के नाम से जाना जाता है. बताया जाता है कि आज से 400 पहले इस बावड़ी का निर्माण कराया गया था.

लेकिन ऐसी और भी कई बातें हैं जो इस बावड़ी को अनोखा बनाती हैं. इस बावड़ी का निर्माण कुछ इस तरह से किया गया है कि यहां का पानी हमेशा ठंडा होता है. यहां तक कि ठंडा होने के साथ-साथ मिठास भी होती है. शायद ये मिठास मां और बेटे के उस प्यार का प्रतीक है जिसकी वजह से बावड़ी को बनाया गया था. टीकमगढ़ से 10 किलोमीटर दूर राजा के फार्म हाउस में ये बावड़ी बीचो-बीच बनी हुई है. यहां काम करने वाले बताते हैं कि यहां ठंडक रहती है, यहीं पर राजा सुजान सिंह अपनी मां के साथ समय बिताते थे.

जब राजा चिन्ता में होते थे तब यहीं पर आकर वह अपनी थकान मिटाते थे और उनकी गोपनीय बैठके भी इसी बाबरी के कमरों में बैठकर होती थी. आज ये बावड़ी बुंदेलखंड की शान बन गई है जिसे देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं.

टीकमगढ़। तस्वीरों में दिखने वाली बुंदेलखंड की ये बावड़ी कोई साधारण बावड़ी नहीं है. जहां प्रदेश में चारों तरफ पानी के लिए हाहाकर मचा हुआ है, वहीं भीषण गर्मी में तप रहे इस प्रदेश की ये बावड़ी अद्भुत है, क्योंकि चाहे गर्मी हो या ठंड इस बावड़ी का पानी कभी नहीं सूखता है.

टीकमगढ़ की अनोखी बावड़ी

बुंदेलखंड पानी की किल्लत से गुजर रहा है लेकिन इस बावड़ी में अभी भी पानी है. इस तीन मंजिला बावड़ी का निर्माण यहां के राजा सुजान सिंह ने अपनी मां हीरा देवी के लिए करवाया था, जो कि आज भी श्री महारानी हीरा देवी कुंवर जू की बावड़ी के नाम से जाना जाता है. बताया जाता है कि आज से 400 पहले इस बावड़ी का निर्माण कराया गया था.

लेकिन ऐसी और भी कई बातें हैं जो इस बावड़ी को अनोखा बनाती हैं. इस बावड़ी का निर्माण कुछ इस तरह से किया गया है कि यहां का पानी हमेशा ठंडा होता है. यहां तक कि ठंडा होने के साथ-साथ मिठास भी होती है. शायद ये मिठास मां और बेटे के उस प्यार का प्रतीक है जिसकी वजह से बावड़ी को बनाया गया था. टीकमगढ़ से 10 किलोमीटर दूर राजा के फार्म हाउस में ये बावड़ी बीचो-बीच बनी हुई है. यहां काम करने वाले बताते हैं कि यहां ठंडक रहती है, यहीं पर राजा सुजान सिंह अपनी मां के साथ समय बिताते थे.

जब राजा चिन्ता में होते थे तब यहीं पर आकर वह अपनी थकान मिटाते थे और उनकी गोपनीय बैठके भी इसी बाबरी के कमरों में बैठकर होती थी. आज ये बावड़ी बुंदेलखंड की शान बन गई है जिसे देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं.

Intro:एंकर इन्ट्रो / टीकमगढ़ जिले में एक ऐसी ऐतिहासिक और अनोखी पानी की बाबरी है जिसका पानी कभी भी नही सूखता चाहे कितना भी बड़ा जलसंकट क्यो न हो जिसे 400 साल पहिले यहां के महाराजा ने अपनी माता के नाम से इसका निर्माण करवाया था जो आज एक मिशाल बनी हुई है


Body:वाईट /01 शैलेन्द्र तिवारी फॉर्म मैनेजर राजा टीकमगढ़

वाईट /02 डॉक्टर के पी त्रिपाठी बरिष्ठ साहित्यकार टीकमगढ़

वाईट /03 भगवानदास बाबरी चौकीदार

बोकथ्रो /01 सूर्यप्रकाश गोस्वामी रिपोर्टर टीकमगढ़

वाइस ओबर / टीकमगढ़ जिले में एक ऐतिहासिक बाबरी पानी का जल स्रोत है जो कभी भी नही सूखता है और उसमें अथाह पानी रहता है जो काफी ठंडा ओर मीठा रहता है समुंचे बुन्देलखण्ड में ओर टीकमगढ़ जिले में कई सालो से जल संकट चल रहा है और तालाव ओर नदिया ओर तालाव सुख गए लेकिन यह अनोखी बाबरी का पानी आजतक नही सूखा जबकि इस बाबरी पर प्रतिदिन 20 होसपावर की मोटर नियमित चलती है फिर भी यह आज तक नही सुखी लोग बताते है कि इस बाबरी में जो पानी की झिर है वह सीधे समुद्र सड़ जुड़ी है जिससे इसका पानी कभी भी खाली नही होता है !इस बाबरी का निर्माण यहां के राजा सुजानसिंह ने करवाया था अपनी माता हीरा देवी के नाम से ओर यह बाबरी का निर्माण 1660 में किया गया था यह बाबरी काफी ऐतिहासिक तरीके से बनाई गई थी जिसमे 4 मंजिल भवन बनाया गया था जो भी काफी आकर्सक है और सुंदर भी यह किसी किले से कम नही है इस भवन में जाने से काफी ठंडक मिलती है लोग बताते है कि यहां पर महाराजा अपनी रानी ब्रजकुमारी के साथ बैठकर अठखेलिया करते थे और जब वह चिन्ता में होते थे तब यही पर आकर वह अपनी थकान मिटाते थे और उनकी गोपनीय बैठके भी इसी बाबरी के कमरों में बैठकर करते थे क्योंकि यहां पर काफी ठंडक ओर सांति मिलती थी राजा ने इस बाबरी का निर्माण लोगो को पानी की समस्या के चलते यह बाबरी बनबाई थी और वही पर उन्होंने अपनी माता के नाम से ही हीरानगर एक बस्ती भी बनाई थी जो आज भी हीरानगर बाबरी के नाम से प्रशिद्ध है!


Conclusion:टीकमगढ़ शहर से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर बने महाराजा के फॉर्म हाउस के बीचों बीच यह ऐतिहासिक और अनोखी बावरी बनी हुई है जो बाहर से किले नुमा दिखाई देती है इसमें काफी कमरे बने हुए है जो भी काफी सुंदर लगते है और उनमे इतनी ठंडक आज भी की सारे ac फेल है लेकिन जब यह बनी होगी 400 साल पहिले तव कितनी सुंदर और ठंडक होगी इसका पानी भी लोग बताते है कि काफी सुपाचक ओर हल्का है जिनको पेट की चोटी मोटी बीमारिया होती है और बाबरी का पानी पीने से लोगो को राहत मिलती है / लोग बतातेह की पहिले के राजा रास्तो के आसपास कुआ बाबरिया ओर तालाव बनवाते थे जिससे लोगो को आसानी से पानी उपलब्ध हो सके उसी के चलते यहां के महाराजा सुजानसिंह ने अपनी माता हीरादेवी के नाम से यह विशाल बाबरी ओर एक विशाल फार्म हाउस बनबाया था जो आज भी बिद्यमान है और लोगो के लिए किसी अजूबा से कम नही क्योकि लोग दूर दूर से इस अनोखी बाबरी को देखने आते है जो बुन्देखण्ड की अजूबा बनकर रह गई है
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