टीकमगढ़। कोरोना संकट और लॉकडाउन के चलते टीकमगढ़ जिले के पान उत्पादक किसानों पर संकट के बादल मडरा रहे हैं. आलम ये है कि खेती में लगाई गई उनकी लागत-पूंजी भी हाथ से जाती हुई नजर आ रही है. लॉकडाउन में दुकानें बंद होने से न पान की मांग बढ़ी और न ही खेतों से इसकी आपूर्ति हुई. ऐसे में पान की फसल खेतों में ही पड़ी-पड़ी खराब हो रही है. जिले के जतारा विधानसभा क्षेत्र के चंदेरा गांव में करीब 300 परिवारों की आमदनी का साधन पान की खेती है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से ये उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
इस क्षेत्र में ज्यादातर देसी और बांग्ला पान की पैदावार होती है. ये दोनों पान की किस्मों की बाजार में काफी मांग होती है. लिहाजा ये पान लखनऊ, सहारनपुर, गाजियाबाद, दिल्ली और कानपुर जैसे शहरों के बाजारों में भी काफी मशहूर हैं. इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चंदेरा जैसे एक गांव में ही किसानों का नुकसान करोड़ों में पहुंच गया है.
किसानों का कहना है कि पान की खेती से होने वाली कमाई से पूरे साल का खर्च चलता है. इसी कमाई से बेटे-बेटी की शादी, बच्चों के स्कूल का खर्च, दोबारा खेती करने का खर्च शामिल होता है. ये किसानों के लिए पीक सीजन है लेकिन ये पूरा सीजन ही लॉकडाउन में गुजर जाने से किसानों की माली हालत खस्ता हो गई है. अब किसानों को सरकार से मदद की दरकार है.
बुंदेलखंड के इस क्षेत्र की जलवायु पान की खेती के लिए मुफीद मानी जाती है. जिसके चलते आस-पास के जिलों को मिलाकर करीब 20 हजार से ज्यादा किसान पान की खेती करते हैं. लेकिन कोरोना काल के चलते अब ये किसान दो जून की रोटी के लिए भी तरस रहे हैं.