ओरछा। वैसे तो देश में राम के कई मंदिर हैं, लेकिन ओरछा का राम राजा मंदिर अपने आप में काफी अनोखा है. यहां पर भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है. हालांकि यहां भगवान बाल रूप में विराजमान हैं, फिर भी हजारों सालों से इस मंदिर में भगवान राम को सशस्त्र सलामी देने की परंपरा है. इसीलिए यहां राम राजा को दिन में 6 बार सशस्त्र सलामी दी जाती है.
ओरछा बुन्देलखण्ड की अयोध्या के नाम से भी मशहूर है. मान्यता है कि ओरछा में भगवान राम दिन को रहते हैं और रात होते ही अयोध्या चले जाते हैं. सुबह फिर वापस ओरछा आ जाते हैं. इसीलिए ओरछा में दिन में काफी मोहक और सुंदर लगता है, लेकिन रात में काफी बुरा और वीरान. ऐसा मानो कि ओरछा नगरी उजड़ गई हो.
कैसे हुआ राम राजा का अयोध्या से ओरछा आना?
ओरछा की महारानी कुआरगणेश अपनी भक्ति और आराधना से प्रसन्न कर भगवान राम को बाल रूप में गोद मे बिठाकर लाई थीं. राजा राम अयोध्या से रानी के साथ 3 शर्तों पर ओरछा आये थे जिसमें उनकी पहली शर्त थी कि पुश्य नक्षत्र में पैदल चलकर ही जाउंगा. दूसरी शर्त थी कि ओरछा तभी जाऊंगा जब वहां का राजा कहलाऊंगा और तुम्हें राजधानी बदलनी पड़ेगी. तीसरी शर्त थी कि जहां एक बार बैठ जाऊंगा फिर वहां से नहीं उठूंगा. इन सभी शर्तों पर राजा राम अयोध्या से ओरछा आये, तब से अब तक उन्हें राजा के रूप में ही पूजा जाता है.
राम के लिए नहीं कोई वीआईपी
ओरछा में कोई भी वीआईपी नहीं होता, यहां के राजा ही सिर्फ यहां पर वीआईपी माने जाते हैं. ओरछा मंदिर के सामने से कोई मुख्यमंत्री, मंत्री या प्रधानमंत्री गाड़ी से बैठकर नही निकलता क्योंकि जो यहां से निकला और सलामी ली, उनको या तो अपना पद खोना पड़ा या कई को तो जान भी चली गई.
देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंन्द्रिरा गांधी को सलामी दी गई, थोड़े दिनों बाद उनकी हत्या हो गई, मध्यप्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मण सिंह को भी सलामी दी गई तो उनकी मौत सड़क दुर्घटना में हो गई. यहां पर एक और मान्यता है कि यहां पर कोई भी मुख्यमंत्री, मंत्री या वीआईपी रात में नहीं रुक सकते क्योंकि यहां के राजा सिर्फ भगवान राम हैं और कोई नहीं. जिससे वह किसी भी वीआईपी को पसंद नहीं करते हैं.
ओरछा राम भक्तों के लिए एक बड़ा आस्था का केंद्र है. इसीलिए राम राजा के दर्शन करने के लिए देश और विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं.