सिंगरौली/सीधी। जिले में एक बार फिर मानवता शर्मसार हुई. यहां स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. एक आदिवासी युवती को नहीं मिली एंबुलेंस तो परिजन उसके शव को खाट पर रखकर घर लेकर निकल गए. ऐसा नहीं कि परिजन एंबुलेंस की मांग नहीं कर रहे थे, मिन्नतें करने के बाद भी जब काफी देर तक एंबुलेंस नहीं आया तो लोग खाट पर शव रखकर पैदल ही घर के लिए निकल गए. करीब 10 किलोमीटर तक खाट पर ही शव को लेकर चलते रहे. जैसे ही ये जानकारी जिले के समाजसेवी प्रेम भाटी सिंह को मिली तो उन्होंने मानवता दिखाते हुए अपने निजी वाहन से शव को घर तक पहुंचाया.
युवती की नाना के घर हुई मौत : दरअसल, यह पूरा मामला सीधी जिले के भूईमाड थाना क्षेत्र के केसलार गांव का है. आदिवासी परिवार की युवती शांति सिंह की तबीयत अचानक खराब हो गई. जिसे परिजन सरई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर आए. केंद्र में इलाज करवाने के बाद युवती के परिजन उसके नाना के यहां ले कर गए. वहां गुरुवार सुबह युवती का स्वास्थ्य अचानक फिर से खराब हो गया और कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई. युवती की मौत के बाद परिजन ने अस्पताल प्रबंधन से कई बार एंबुलेंस या फिर शव वाहन की मांग की. लेकिन ना तो एंबुलेंस मिली और ना ही शव वाहन मिला. थाना प्रभारी ने भी उन्हें सिर्फ आश्वासन दिया.
गरीब परिवार के पास नहीं थे पैसे : गरीब आदिवासी परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि वे प्राइवेट वाहन कर शव को घर ले जा सकें. आखिर थक हारकर परिजन ने एक खाट की जुगाड़ की और शव को खाट पर ही लेकर पैदल निकल गए. बता दें कि सिंगरौली जिले का यह कोई ऐसा पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं. इस मामले में सरई थाना प्रभारी नेहरू खंडाते ने बयान दिया है. उन्होने कहा कि "युवती शांति सिंह अस्पताल में इलाज के लिए आई थी. इलाज कराने के बाद वह अपने नाना के यहां रुक गई. वहां उसकी मौत हो गई. शव वाहन के लिए परिजनों ने संपर्क किया था, लेकिन शव वाहन की व्यवस्था नहीं हो सकी." वहीं इस मामले में जिला कलेक्टर अरुण कुमार परमार का कहना है कि "दुरस्थ इलाका होने के कारण एंबुलेंस या शव वाहन की उपलब्धता नहीं हुई, इस कारण से शव को पहुंचाने में देरी हो रही थी. इस बीच परिजन शव को लेकर निकल गए."