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रिलायंस कोल माइंस से विस्थापितों को नहीं मिला रोजगार, 10 साल से कर रहे हैं इंतजार

रिलायंस कोल माइंस 10 साल बाद भी विस्थापितों को वादे के मुताबिक रोजगार और भत्ता नहीं दे रही है, जिससे परेशान लोग कलेक्टर के पास अपनी मांग लेकर पहुंचे.

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Published : Sep 6, 2019, 8:12 PM IST

Updated : Sep 7, 2019, 6:33 PM IST

विस्थापितों को नहीं मिला रोजगा

सिंगरौली। जिले में सालों से विस्थापित लोग रिलायंस कोल माइंस से रोजगार और भत्ते की मांग करते हुए अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं. जो लोग पहले से काम कर रहे थे, उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. कंपनी के इस रवैये से परेशान लोग कलेक्टर के पास अपनी मांगों को लेकर पहुंचे और कंपनी के वादे के मुताबिक रोजगार दिलाने की गुहार लगाई.

विस्थापितों को नहीं मिला रोजगा
रिलायंस कोल माइंस के लिए करीब दस साल पहले जमीने अधिग्रहित की गई थी, जिसमें कंपनी ने आजीवन भत्ता और नौकरी देने की बात कही थी. लेकिन करीब दस साल बीत जाने के बाद भी कई विस्थापितों को भत्ते नौकरी और पुनर्वास के नाम पर कुछ भी नहीं मिला.


विस्थापितों का कहना है कि कंपनी ने कहा था, कि जब आपके लड़के पढ़ लेंगे तो नौकरी दी जाएगी. उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाने में अपनी सारी पूंजी खत्म कर दी. अब उनके बच्चों को रोजगार नहीं मिल रहा है. विस्थापितों ने आरोप लगाया है कि कई बार प्रशासन और रिलायंस के अधिकारियों के सामने अपनी समस्या रखी पर किसी ने ध्यान नहीं दिया.
कलेक्टर केवीएस चौधरी ने कहा कि जल्द ही कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधन से बात कर विस्थापितों की समस्या का समाधान किया जाएगा.

सिंगरौली। जिले में सालों से विस्थापित लोग रिलायंस कोल माइंस से रोजगार और भत्ते की मांग करते हुए अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं. जो लोग पहले से काम कर रहे थे, उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. कंपनी के इस रवैये से परेशान लोग कलेक्टर के पास अपनी मांगों को लेकर पहुंचे और कंपनी के वादे के मुताबिक रोजगार दिलाने की गुहार लगाई.

विस्थापितों को नहीं मिला रोजगा
रिलायंस कोल माइंस के लिए करीब दस साल पहले जमीने अधिग्रहित की गई थी, जिसमें कंपनी ने आजीवन भत्ता और नौकरी देने की बात कही थी. लेकिन करीब दस साल बीत जाने के बाद भी कई विस्थापितों को भत्ते नौकरी और पुनर्वास के नाम पर कुछ भी नहीं मिला.


विस्थापितों का कहना है कि कंपनी ने कहा था, कि जब आपके लड़के पढ़ लेंगे तो नौकरी दी जाएगी. उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाने में अपनी सारी पूंजी खत्म कर दी. अब उनके बच्चों को रोजगार नहीं मिल रहा है. विस्थापितों ने आरोप लगाया है कि कई बार प्रशासन और रिलायंस के अधिकारियों के सामने अपनी समस्या रखी पर किसी ने ध्यान नहीं दिया.
कलेक्टर केवीएस चौधरी ने कहा कि जल्द ही कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधन से बात कर विस्थापितों की समस्या का समाधान किया जाएगा.

Intro:सिंगरौली जिले के विस्थापित रिलायंस कंपनियों में नौकरी और भत्ते के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं एक तरफ तो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ प्रदेश के प्राइवेट कंपनियों में 75% क्षेत्रीय लोगों को नौकरी देने की बात कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ जिले के लोगो की कंपनियां जमीन भी ले ली और करीब 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी से लोगों को भत्ता भी नहीं दिया जा रहा है इतना ही नहीं जो कंपनी में नौकरी कर रहे थे उन्हें रिलायंस पावर प्लांट से बाहर कर दिया गया


Body:दरअसल सिंगरौली जिले मैं reliance कॉल माइंस के द्वारा करीब 10 साल पहले कई लोगों की जमीन लिया है और कुछ मुआवजा देकर उन्हें आजीवन भत्ता नौकरी वह पुनर्वास नीति देने की बात कही थी लेकिन करीब 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी विस्थापितों को भत्ते नौकरी वो पुनर्वास के नाम पर कुछ भी नहीं दे रहा है विस्थापितों का कहना है कि करीब 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी reliance कंपनी के द्वारा कहां गया था कि जब आपका लड़के पर लिख लेंगे तो नौकरी भी देंगे लेकिन विस्थापित को नौकरी व भक्ता नहीं दिया जिससे उनकी रोजी रोटी नहीं चल पा रही है यहां तक कि उनकी बच्चों के स्कूल में एडमिशन भी नहीं हो पा रहे है वह विस्थापितों द्वारा जो भी मुआवजा मिला था उसको अपने बच्चों को पढ़ाने के बाद पैसे ही खत्म हो गए


जिले के विस्थापित कलेक्टर कार्यालय शिकायत करने पहुंचे और कलेक्टर से शिकायत कर reliance कोल माइंस में नौकरी भत्ता मिलने की बात कही है पीड़ितों का आरोप है कि कई बार रिलायंस के उच्च अधिकारियों से बातचीत भी की जिसके बावजूद दी है अभी तक भत्ता नौकरी नहीं दिया गया जबकि रिलायंस लोगों की जमीन लेते समय वह करार किया था कि उन्हें भता वह नौकरी दिया जाएगा लेकिन इन सबके बावजूद रिलायंस भत्ता और नौकरी देने से मना कर रहा है

इतना ही नहीं उनका अधिकार उसकी रिलायंस कोल माइंस में काम कर रहे विस्थापित लोगों को रिलायंस ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है उन्होंने प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन से की गुहार लगाती हुए . विस्थापित भक्ता और नौकरी देने की मांग की है


बाइट जिला कलेक्टर केवीएस चौधरी

विस्थापित परशुराम बैगा




Conclusion:
Last Updated : Sep 7, 2019, 6:33 PM IST
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