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नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की होती है पूजा, कन्या भोज कराने से मिलता है खास लाभ

शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन दुर्गा मां के महागौरी रुप को समर्पित है. इस दिन माता महागौरी की पूजा होती है. इस दिन कन्याभोज कराने से मां प्रशन्न होकर भक्तों को आर्शीवाद देकर उनकी झोली को धन, दौलत , सुख समृद्धि से भर देती हैं.

नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की होती है पूजा
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Published : Oct 6, 2019, 3:25 AM IST

सिंगरौली। शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन दुर्गा मां के महागौरी रुप की पूजा अर्चना की जाती है. मां गौरी की पूजा-अर्चना करने से धन-दौलत, वैभव, सुख, समृद्धि और जीवन में शांति की प्राप्ति होती है.
हिंदू ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव की प्राप्ति के लिए मां पार्वती ने कठोर पूजा की थी, जिससे उनका शरीर काला पड़ गया था. जब भगवान शिव ने उनको दर्शन दिए तब उनका शरीर गोरा हो गया था. तब से माता को महागौरी माता कहा जाता है.

नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की होती है पूजा

दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है, इसलिए सुबह उठकर स्नान कर सबसे पहले गणपति और मां महागौरी की पूजा करनी चाहिए . फिर कन्याभोज कराना चाहिए. भोजन में हलवा और चने जरूर बनना चाहिए, क्योंकि मां को यह भोग अति प्रिय हैं.

कैसे करें कन्या पूजन की तैयारी
कन्या पूजन के लिए हमेशा कन्याओं को एक दिन पहले ही यानी सप्तमी को ही आमंत्रण दे आएं. साथ में बटुक भैरव के रूप में एक बालक को भी जरूर आमंत्रित करें. कंजक पूजा में 2 से10 साल तक कि कन्याओं को आमंत्रित करें . अष्टमी के दिन शुभ मुहूर्त में कन्याओं और बटुक भैरव के रूप में बालक को आसन पर बिठाएं. ध्यान रहे कि कन्याएं मां दुर्गा का रूप होती हैं, ऐसे में उनका स्वागत जयकारे के साथ करें और घर बिल्कुल स्वच्छ रखें.

पैर छूकर ले आर्शीवाद
जब कन्याएं आसन ग्रहण कर लें तो एक-एक कर सभी कन्याओं का पैर धोएं और रोली, कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं. उनकी कलाई पर मौली बाधें, माला चढ़ाएं और उनकी आरती करें. इसके बाद सभी कन्याओं और बालक को भोग लगाएं. उन्हें चना, हलवा और पूरी का प्रसाद खिलाएं और उन्हें भेंट दें और पैर छूकर कन्याओं से आशीर्वाद लें.

सिंगरौली। शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन दुर्गा मां के महागौरी रुप की पूजा अर्चना की जाती है. मां गौरी की पूजा-अर्चना करने से धन-दौलत, वैभव, सुख, समृद्धि और जीवन में शांति की प्राप्ति होती है.
हिंदू ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव की प्राप्ति के लिए मां पार्वती ने कठोर पूजा की थी, जिससे उनका शरीर काला पड़ गया था. जब भगवान शिव ने उनको दर्शन दिए तब उनका शरीर गोरा हो गया था. तब से माता को महागौरी माता कहा जाता है.

नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की होती है पूजा

दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है, इसलिए सुबह उठकर स्नान कर सबसे पहले गणपति और मां महागौरी की पूजा करनी चाहिए . फिर कन्याभोज कराना चाहिए. भोजन में हलवा और चने जरूर बनना चाहिए, क्योंकि मां को यह भोग अति प्रिय हैं.

कैसे करें कन्या पूजन की तैयारी
कन्या पूजन के लिए हमेशा कन्याओं को एक दिन पहले ही यानी सप्तमी को ही आमंत्रण दे आएं. साथ में बटुक भैरव के रूप में एक बालक को भी जरूर आमंत्रित करें. कंजक पूजा में 2 से10 साल तक कि कन्याओं को आमंत्रित करें . अष्टमी के दिन शुभ मुहूर्त में कन्याओं और बटुक भैरव के रूप में बालक को आसन पर बिठाएं. ध्यान रहे कि कन्याएं मां दुर्गा का रूप होती हैं, ऐसे में उनका स्वागत जयकारे के साथ करें और घर बिल्कुल स्वच्छ रखें.

पैर छूकर ले आर्शीवाद
जब कन्याएं आसन ग्रहण कर लें तो एक-एक कर सभी कन्याओं का पैर धोएं और रोली, कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं. उनकी कलाई पर मौली बाधें, माला चढ़ाएं और उनकी आरती करें. इसके बाद सभी कन्याओं और बालक को भोग लगाएं. उन्हें चना, हलवा और पूरी का प्रसाद खिलाएं और उन्हें भेंट दें और पैर छूकर कन्याओं से आशीर्वाद लें.

Intro:सिंगरौली नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा अर्चना पूरे विधि-विधान से करनी चाहिए क्योंकि मां गौरी की पूजा का विशेष महत्व और विशेष लाभ है मां गौरी की पूजा अर्चना करने से धन दौलत वैभव सुख समृद्धि और जीवन में शांति की प्राप्ति होती है हिंदू ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव की प्राप्ति के लिए मां पार्वती नेकठोर पूजा की थी जिससे उनका शरीर काला पड़ गया था जब भगवान शिव ने उनको दर्शन दिया तब उनका शरीर गोरा हो गया था तब से माता को महागौरी माता कहा जाता है
Body:अष्टमी के दिन कैसे करें मां के रूप कन्या का पूजा

नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी के स्वरूप का पूजा अर्चना बेहद खास है दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है. इसलिए सुबह उठकर स्नान कर सबसे पहले गणपति और मां महागौरी की पूजा करें. फिर कन्याओं के लिए भोजन बनाएं. भोजन में हलवा और चने जरूर बनाएं. क्योंकि मां को यह भोग अति प्रिय है. कन्या पूजन के लिए हमेशा कन्याओं को एक दिन पहले ही यानी सप्तमी को ही आमंत्रण दे आएं. साथ में बटुक भैरव के रूप में एक बालक को भी जरूर आमंत्रित करें. आप कंजक पूजा में 2 से 10 साल तक कि कन्याओं को आमंत्रित कर सकते हैं.अष्टमी के दिन शुभ मुहूर्त में कन्याओं और बटुक भैैैैरव के रूप में बालक को आसन पर बिठाएं. ध्यान रहे कि कन्याएं मां दुर्गा का रूप होती हैं, ऐसे में उनका स्वागत जयकारे के साथ करें और घर बिल्कुल स्वच्छ रखें. जब कन्याएं आसन ग्रहण कर लें तो एक-एक कर सभी कन्याओं का पैर धोएं और रोली, कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं. उनकी कलाई पर मौली बाधें, माला चढ़ाएं और उनकी आरती करें. इसके बाद सभी कन्याओं और बालक को भोग लगाएं. उन्हें चना, हलवा और पूरी का प्रसाद खिलाएं और उन्हें भेंट दें.पैर छूकर कन्याओं से आशीर्वाद लें.


यह नारी शक्ति के और कन्याओं के सम्मान का भी पर्व है
इसलिए नवरात्रि में कुंवारी कन्याओं को पूजन और भोजन कराने की परंपरा भी है

बाइट शास्त्री पीएन मिश्राConclusion:
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