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AAP In MP: सिंगरौली मेयर रानी अग्रवाल अब आम आदमी पार्टी की प्रदेशाध्यक्ष, देखें-सियासी सफरनामा

सिंगरौली की मेयर रानी अग्रवाल को आम आदमी पार्टी (AAP) ने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है. रानी अग्रवाल का सरपंच से लेकर सिंगरौली का मेयर बनने का सफर कम उतार-चढ़ाव वाला नहीं रहा. लेकिन वे हर बार सभी बाधाओं को पार कर फतह हासिल कर रही हैं. 5 साल पहले तक बीजेपी के लिए काम करने वाली रानी अग्रवाल अब आम आदमी पार्टी का मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा चेहरा बनकर सामने आई हैं. आने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी असली परीक्षा होने वाली है.

Singrauli Mayor Rani Agarwal
सिंगरौली मेयर रानी अग्रवाल अब आम आदमी पार्टी की प्रदेशाध्यक्ष
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Published : Mar 24, 2023, 9:32 AM IST

सिंगरौली। मध्यप्रदेश में आम आदमी पार्टी की धमाकेदार एंट्री कराने वाली सिंगरौली मेयर रानी अग्रवाल को आम आदमी पार्टी ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हुए प्रदेश अध्यक्ष की कमान दी है. आम आदमी पार्टी कार्यालय दिल्ली से नियुक्ति पत्र जारी हुआ है. आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आम आदमी पार्टी ने रानी अग्रवाल की सक्रियता एवं जनता में उनकी पैठ को देखते हुए प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. विधानसभा चुनाव 2023 में जहां एक ओर आम आदमी पार्टी ने 230 विधानसभा की सभी सीटों पर लड़ने का ऐलान किया है तो वहीं दूसरी ओर नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष रानी अग्रवाल को बड़ी जिम्मेदारी देकर इरादे साफ कर दिए हैं. आम आदमी पार्टी की नजर महिला वोट बैंक पर है.

रानी अग्रवाल का सियासी सफर : रानी अग्रवाल ने ग्राम पंचायत के सरपंच से लेकर सिंगरौली के मेयर तक का सफर पूरा किया. 2018 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी से सिंगरौली विधानसभा में पहला चुनाव लड़ा और बहुत कम वोटों के अंतर से हार गईं. उसके बाद 2022 के निकाय चुनाव में 9 हजार से ज्यादा वोटों से जीतने वाली आम आदमी पार्टी की महापौर बनी. रानी अग्रवाल मूल रूप से सिंगरौली जिले के बरगवां की रहने वाली हैं. उनका लकड़ी का बड़ा कारोबार है. वह काफी समय से समाज सेवा और राजनीति से जुड़ी रही हैं. उनका सियासी सफर सरपंच से शुरू हुआ था, जो जिला पंचायत सदस्य के रास्ते सिंगरौली मेयर की सीट तक पहुंच चुका है. अब वह आम आदमी पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रही हैं. रानी अग्रवाल के ससुर रामनिवास अग्रवाल भी सिंगरौली जिला के देवसर जनपद पंचायत के अध्यक्ष चुके हैं.

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रानी 2018 तक भाजपा से जुड़ी रहीं : बता दें कि रानी अग्रवाल पिछले कई वर्षों से लेकर 2018 तक भारतीय जनता पार्टी के लिए कार्य करती रहीं. कहा यह जाता है कि विधानसभा चुनाव 2018 के दौरान जब भाजपा ने सही सम्मान नहीं दिया तो रानी अग्रवाल ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया. चर्चा यह भी थी कि 2018 विधानसभा चुनाव में रानी अग्रवाल बीजेपी से टिकट चाहती थीं लेकिन उन्हें पार्टी के संकेत सही नहीं लगे. इसके बाद रानी अग्रवाल ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया और 6 माह के भीतर ही विधानसभा चुनाव में उतर गई. हालांकि वह बहुत कम वोटों के अंतर से हार गईं.

सिंगरौली। मध्यप्रदेश में आम आदमी पार्टी की धमाकेदार एंट्री कराने वाली सिंगरौली मेयर रानी अग्रवाल को आम आदमी पार्टी ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हुए प्रदेश अध्यक्ष की कमान दी है. आम आदमी पार्टी कार्यालय दिल्ली से नियुक्ति पत्र जारी हुआ है. आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आम आदमी पार्टी ने रानी अग्रवाल की सक्रियता एवं जनता में उनकी पैठ को देखते हुए प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. विधानसभा चुनाव 2023 में जहां एक ओर आम आदमी पार्टी ने 230 विधानसभा की सभी सीटों पर लड़ने का ऐलान किया है तो वहीं दूसरी ओर नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष रानी अग्रवाल को बड़ी जिम्मेदारी देकर इरादे साफ कर दिए हैं. आम आदमी पार्टी की नजर महिला वोट बैंक पर है.

रानी अग्रवाल का सियासी सफर : रानी अग्रवाल ने ग्राम पंचायत के सरपंच से लेकर सिंगरौली के मेयर तक का सफर पूरा किया. 2018 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी से सिंगरौली विधानसभा में पहला चुनाव लड़ा और बहुत कम वोटों के अंतर से हार गईं. उसके बाद 2022 के निकाय चुनाव में 9 हजार से ज्यादा वोटों से जीतने वाली आम आदमी पार्टी की महापौर बनी. रानी अग्रवाल मूल रूप से सिंगरौली जिले के बरगवां की रहने वाली हैं. उनका लकड़ी का बड़ा कारोबार है. वह काफी समय से समाज सेवा और राजनीति से जुड़ी रही हैं. उनका सियासी सफर सरपंच से शुरू हुआ था, जो जिला पंचायत सदस्य के रास्ते सिंगरौली मेयर की सीट तक पहुंच चुका है. अब वह आम आदमी पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रही हैं. रानी अग्रवाल के ससुर रामनिवास अग्रवाल भी सिंगरौली जिला के देवसर जनपद पंचायत के अध्यक्ष चुके हैं.

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रानी 2018 तक भाजपा से जुड़ी रहीं : बता दें कि रानी अग्रवाल पिछले कई वर्षों से लेकर 2018 तक भारतीय जनता पार्टी के लिए कार्य करती रहीं. कहा यह जाता है कि विधानसभा चुनाव 2018 के दौरान जब भाजपा ने सही सम्मान नहीं दिया तो रानी अग्रवाल ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया. चर्चा यह भी थी कि 2018 विधानसभा चुनाव में रानी अग्रवाल बीजेपी से टिकट चाहती थीं लेकिन उन्हें पार्टी के संकेत सही नहीं लगे. इसके बाद रानी अग्रवाल ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया और 6 माह के भीतर ही विधानसभा चुनाव में उतर गई. हालांकि वह बहुत कम वोटों के अंतर से हार गईं.

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