सीधी। 1978 में शारदा अधिनियम में संशोधन के बाद लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 15 से बढ़ाकर 18 वर्ष की गई थी. बाल विवाह अधिनियम के मुताबिक भारत में शादी के लिए लड़की की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए, लेकिन अब लड़कियों की शादी की उम्र को बढ़ाया जा सकता है. सरकार लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने पर विचार कर रही है. इसके लिए सरकार ने एक टास्क फोर्स का गठन किया है.
मध्यप्रदेश के अधिकांश जिलों में लड़की के 18 साल की उम्र का पड़ाव पार करते ही उसकी शादी कर दी जाती और तो और देश में बाल विवाह गैर कानूनी होने के बावजूद कई जिलों में आज भी बाल विवाह थमा नहीं है. लड़कियों की शादी सही उम्र में नहीं होने के कारण आज भी देश भर में लड़कियों के स्वास्थ्य में कमजोरी, कुपोषण, साक्षरता की कमी देखी जा रही है. इसके अलावा मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर भी ज्यादा है. ये बात ध्यान में रखते हुए देश के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने पर विचार करने की बात कही थी, जिसके बाद लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल की जा सकती है. ईटीवी भारत ने लड़कियों की उम्र बढ़ाए जाने पर कुछ महिलाओं से बात की है, जिन्होंने अपने-अपने तर्क दिए हैं.
शहरी क्षेत्रों में मिला समर्थन
- प्रिंसिपल ज्योति तिवारी ने बताया कि शादी की उम्र बढ़ाने से लड़कियां मानसिक रूप से परिपक्व हो जाएंगी. जो उनको पारिवारिक और सामाजिक तौर-तरीकों और परेशानियों में सामंजस्य बैठाने में मददगार साबित होगा.
- सीनियर अध्यापक संगीता पांडे का कहना है कि यदि सरकार यह फैसला लेती है तो ये एक बहुत अच्छा कदम होगा, क्योंकि बहुत कम लड़कियां हैं, जिनके सपने पूरे हो पाते हैं. वे अपने भविष्य के लिए सपने संजोए रहती हैं, लेकिन वे शादी होने के कारण पूरे नहीं होते हैं.
- गृहणी गीता का कहना है कि सरकार का लड़कियों की शादी की उम्र को 21 साल करने का फैसला एकदम सही फैसला होगा. अब लड़कियों को पढ़ने के लिए ज्यादा समय मिल जाएगा.
- स्टूडेंट पूजा पांडे का कहना है कि 18 साल में लड़कियों की पढ़ाई भी पूरी नहीं हो पाती है. इस उम्र में न तो वे मानसिक रूप से तैयार रहती हैं और न ही शारीरिक रुप से तैयार रहती हैं. ऐसे में सरकार शादी के लिए उम्र 21 साल तय करने का फैसला ले रही है तो सही फैसला है.
- स्टूडेंट नेहा का कहना है कि 21 साल तक लड़कियां पढ़-लिख जाती हैं और अपना भविष्य तय कर सकती हैं. यदि उनको आगे चलकर कोई जॉब करना है या कुछ बनने का सपना है तो पूरा कर सकती हैं. 18 साल से कम उम्र में शादी कर देने से लड़कियों के सपने अधूरे रह जाते हैं और वह मन मार कर घर गृहस्थी में फंस जाती हैं.
ग्रामीण इलाकें में नहीं मिल रहा समर्थन
- ग्रामीण इलाकों में सरकार के इस विचार को लोगों का सर्मथन नहीं मिल रहा है. ग्रामीण महिलाओं का मानना है कि वे बहक जाती हैं, इसलिए शादी की उम्र 18 ही रहनी चाहिए.
- ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि लड़कियां स्कूल का कह कर कहीं और चली जाती हैं, अगर उनकी पढ़ाई की ही बात है तो वे शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई पूरी कर सकती हैं.
चौंकाने वाले आंकड़े
यूनिसेफ के मुताबिक भारत में आज भी 18 साल से कम उम्र में शादी गैरकानूनी होने के बावजूद हर साल 15 से 16 लाख लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में कर दी जाती है, जिस वजह से मातृ मृत्यु दर में कमी नहीं हो रही है. 2015-16 की NFHS-4 के मुताबिक भारत में 18 साल से कम उम्र में तकरीबन 28.8 फीसदी लड़कियों की शादी कर दी जाती है.