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मूलभूत सुविधाओं को तरसे संजय टाइगर रिजर्व के ग्रामीण, नाले का पानी पीने को मजबूर

सीधी जिले के संजय टाइगर रिजर्व के 42 गांवों के ग्राणीण आज भी मूलभूत सुवाधाओं को तरस रहे हैं, यहां तक की यहां के ग्रामीणों को नदी-नालों का गंदा पानी पीना पड़ रहा है.

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मूलभूत सुविधाओं को तरसे संजय टाइगर रिजर्व के ग्रामीण
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Published : Jan 14, 2020, 8:14 PM IST

Updated : Jan 14, 2020, 8:39 PM IST

सीधी। जिले के संजय टाइगर रिजर्व में 42 गांव विस्थापन के लिए सूचीबद्ध किए गए हैं, लेकिन महज आधा दर्जन गांवों का विस्थापन हो पाया है. बाकी के गांवों के ग्रामीण भी विस्थापित होना चाहते हैं, लेकिन विस्थापन प्रक्रिया कब तक पूर्ण होगी, ये अभी तक तय नहीं हुआ है. जिसके चलते ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

मूलभूत सुविधाओं को तरसे संजय टाइगर रिजर्व के ग्रामीण

विस्थापन क्षेत्र के ग्रामीण सड़क, बिजली, पानी और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं को तरस गए हैं. विस्थापन क्षेत्र को पीने के लिए स्वच्छ पानी भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. बता दें कि इस क्षेत्र में नलकूप कराना प्रतिबंधित है, जिसके चलते ग्रामीणों को नदी-नालों का पानी पीना पड़ रहा है. हालांकि संजय टाइगर रिजर्व के आला अधिकारियों ने बोरिंग के लिए एक प्रक्रिया बनाई है, लेकिन इस कड़ी प्रक्रिया से गुजरना आम आदमी के बस की बात ही नहीं है.

वहीं सामूहिक प्रयास करने पर भी बड़े मुश्किल से बोरिंग के लिए स्वीकृति मिल पाती है. नतीजन इस क्षेत्र के कई ग्रामीण आज भी नदी-नाले का गंदा पानी पीने को मजबूर है. वहीं यहां के ग्रामीण प्रधानमंत्री आवास योजना से भी वंचित हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है.

सीधी। जिले के संजय टाइगर रिजर्व में 42 गांव विस्थापन के लिए सूचीबद्ध किए गए हैं, लेकिन महज आधा दर्जन गांवों का विस्थापन हो पाया है. बाकी के गांवों के ग्रामीण भी विस्थापित होना चाहते हैं, लेकिन विस्थापन प्रक्रिया कब तक पूर्ण होगी, ये अभी तक तय नहीं हुआ है. जिसके चलते ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

मूलभूत सुविधाओं को तरसे संजय टाइगर रिजर्व के ग्रामीण

विस्थापन क्षेत्र के ग्रामीण सड़क, बिजली, पानी और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं को तरस गए हैं. विस्थापन क्षेत्र को पीने के लिए स्वच्छ पानी भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. बता दें कि इस क्षेत्र में नलकूप कराना प्रतिबंधित है, जिसके चलते ग्रामीणों को नदी-नालों का पानी पीना पड़ रहा है. हालांकि संजय टाइगर रिजर्व के आला अधिकारियों ने बोरिंग के लिए एक प्रक्रिया बनाई है, लेकिन इस कड़ी प्रक्रिया से गुजरना आम आदमी के बस की बात ही नहीं है.

वहीं सामूहिक प्रयास करने पर भी बड़े मुश्किल से बोरिंग के लिए स्वीकृति मिल पाती है. नतीजन इस क्षेत्र के कई ग्रामीण आज भी नदी-नाले का गंदा पानी पीने को मजबूर है. वहीं यहां के ग्रामीण प्रधानमंत्री आवास योजना से भी वंचित हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है.

Intro:एंकर- सीधी में नदी नालों का पानी पीने को मजबूर हैं संजय टाइगर रिजर्व के ग्रामीण नलकूप खनन कराने नहीं मिलती है बोरिंग मशीन को अनुमति,जिसकी वजह से समस्या औऱ भी बढ़ जाती है,प्रशासन भी इस ओर कोई ध्यान न देने से ग्रामीण हताश होकर सब कुछ किस्मत पर छोड़ दिया।हालांकि रिजर्व के अधिकारी कह जरूर रहे है कि कोई वैकपिक व्यवस्था की जाएगी।
Body:वीओ(1)--सीधी जिला के संजय टाइगर रिजर्व अंतर्गत लगभग 42 ग्राम विस्थापन के लिए सूचीबद्ध किए गए हैं जहां किसी तरह महज आधा दर्जन ग्रामों का विस्थापन हो पाया है शेष बचे ग्रामों में क्या ग्रामीण विस्थापित होना चाहते हैं और विस्थापन कार्यवाही कब तक पूर्ण होगी यह अभी तक तय नहीं हुआ है बावजूद इसके यहां के ग्रामीणों के मानवाधिकारों का हनन संजय टाइगर रिजर्व के अधिकारियों द्वारा रिजर्व क्षेत्र का नियम बता कर किया जा रहा है। जैसे की मूलभूत सुविधा सड़क, बिजली, पानी एवं स्वास्थ्य उपलब्ध कराना निर्वाचित सरकार की जिम्मेदारी है और इस सेवा का लाभ प्राप्त करना यहां के ग्रामीणों का अधिकार भी है बावजूद इन सुविधाओं से ग्रामीणों को वंचित रखा जा रहा है ।
यहाँ निजी तौर पर भी ग्रामीण पेयजल व्यवस्था के लिए नलकूप खनन  कराना चाहते हैं लेकिन उनमें भी संजय टाइगर रिजर्व के आला अधिकारियों द्वारा बोरिंग मशीन को रिजर्व क्षेत्र में गेटपास के नाम पर इतनी  कड़ी प्रक्रिया बनाई गई है जिसे स्वीकृत कराना आम आदमी के बस की बात ही नहीं है।जबकि सामूहिक प्रयास करने पर भी बड़े मुश्किल से बोरिंग मशीन के लिए गेट पास की स्वीकृति मिल पाती है नतीजन इस कानूनी प्रक्रिया की  वजह से आज भी कई परिवार नदी नाले का पानी पीने को मजबूर है।
बाइट - (1) किशन राम (ग्रामीण)
बाइट - 2) जया पाँडे सहायक संचालक संजय टाइगर रिजर्व सहायक सचालक
  Conclusion:बहरहाल प्रधानमंत्री आवास योजना से वंचित हैं यहां के ग्रामीण भले ही शासन स्तर से प्रधानमंत्री योजना के तहत लाखों लोगों को आवास दिया जा रहा है लेकिन रिजर्व क्षेत्र के ग्रामीणों को इस योजना से भी वंचित रखा जा रहा है जहां एक भी परिवार को इस योजना के तहत आवास का लाभ नहीं दिया गया है।
पवन तिवारी ईटीवी भारत सीधी मध्य प्रदेश।।
Last Updated : Jan 14, 2020, 8:39 PM IST
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