सीधी। प्रदेश में कई जिलों में बारिश के कारण बाढ़ के हालात पैदा हो गए, वहीं कुछ जिलों में बारिश नहीं होने के कारण किसानों के खेतों में लगी फसल सूख गई है. जिसके कारण शहर की मंडियों में लोकल सब्जियां कम पहुंच पा रही है जिससे सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं और इसका सीधा असर लोगों की जेब पर पड़ रहा है. वहीं सबसे ज्यादा वो किसान आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं जो सिर्फ सब्जियों की खेती पर निर्भर है, प्रकृति की मार झेल रहे किसानों के सामने भूखे मरने की नोबत भी खड़ी हो गई है.
जहां एक ओर कोरोना संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन से पहले ही आम आदमी के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. वहीं दूसरी ओर बढ़ती महंगाई की मार भी लोगों को झेलनी पड़ रही है, प्रदेश में इस साल कई जिलों में अच्छी बारिश देखने को मिली वहीं सीधी में कम बारिश होने के कारण किसानों के सामने मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है. बारिश न होने के कारण किसानों की सब्जी की फसल सूख गई है जिसके कारण मंडियों में आने वाली लोकल सब्जियां कम नजर आ रही हैं और अन्य शहरों से आ रही सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं.
बढ़े हुए सब्जियों के दाम से लोगों की जेब तो खाली हो ही रही है, साथ ही गांव में खेती किसानी कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे छोटे किसानों के सामने आर्थिक संकट का पहाड़ टूट पड़ा है.
सीधी में सब्जियों के दाम-
- आलू 35 रुपए से लेकर 40 रुपए प्रति किलो
- टमाटर 60 रुपए प्रति किलो
- भिंडी 40 रुपए प्रति किलो
- खीरा 40 रुपये प्रति किलो
- लौकी 30 रुपये प्रति किलो
- कुम्हड़ा 20 रुपये प्रति किलो
- प्याज 40 रुपये प्रति किलो
किसानों का कहना है कि पहले कीड़े लगने से फसल खराब हुई वहीं अब कम बारिश होने के कारण फसल सूख गई है. बीजली की कटौती और कम वोल्टेज रहने से कुंए या अन्य साधनों से किसान सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं, जिससे किसान के साथ-साथ आम आदमी भी परेशान हैं.