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किसानों की फसलें हुई चौपट तो सब्जियों के बढ़े दाम, आम जनता हो रही परेशान

सीधी जिले के कई इलाकों में अधिक बारिश होने से किसानों के खेतों में जल भराव हो गया है तो कई इलाकों में बारिश के आभाव में फसलें चौपट हो रही हैं.

Increased prices of vegetables
सब्जियों के बढ़े दाम
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Published : Aug 27, 2020, 2:07 PM IST

सीधी। पूरे प्रदेश के साथ सीधी जिले में भी कई इलाकों में अधिक बारिश से फसलें नष्ट हो गई हैं तो वहीं कई इलाकों में बारिश नहीं होने से पैदावार नहीं हुई है. ऐसे में सबसे ज्यादा परेशान किसान हो रहे हैं. जहां कई क्षेत्रों में अधिक बारिश होने से खेतों में जल भराव होने से पूरी फसलें चौपट हो गई हैं. जिसका सबसे बड़ा असर सब्जी की खेती करने वाले किसानों पर हुआ है, वहीं जहां बारिश नहीं हुई है, उनकी भी फसल पूरी तरह चौपट हो गई है. सब्जी की फसलें खराब होने से बाहर से सब्जियां मंगानी पड़ रही है, जिसके चलते सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं.

चौपट हुई फसलें

फसलें चौपट, सब्जियों के बढ़े दाम

कोरोना काल में लोग पहले से आर्थिक तंगी के शिकार हैं, इस साल अधिक बारिश होने के चलते किसानों की फसलें पूरी तरह चौपट हो गई हैं. ऐसे में उनके सामने एक बार फिर रोजी-रोटी का संकट देखने को मिल रहा है. सीधी के सिमरिया गांव के एक किसान का कहना है कि उनकी 60 बीघा फसल बारिश के कारण पूरी तरह नष्ट हो चुकी है. पटवारी के पास सर्वे के लिए गए तो बैंक का हवाला देकर बैंक भेज दिया और बैंक में जाने पर सर्वे करने वालों से बात करने को कहा जाता है.

बारिश नहीं होने से परेशान किसान

किसान दीप नारायण द्विवेदी का कहना है कि पीढ़ी दर पीढ़ी खेती के कारोबार से अपना घर चलाते आए हैं, लेकिन इस बार उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. उनके इलाके में बारिश नहीं होने के कारण सब्जी की पैदावार नहीं हो पाई है. उन्होंने कहा कि उसने जुलाई के महीने में ही गोभी, सेम, बरबटी और लौकी की खेती शुरू की थी. जिससे उन्हें उम्मीद थी कि सितंबर-अक्टूबर में जब सब्जी की फसल लहलहाएगी तो आर्थिक स्थिति सुधर जाएगी, लेकिन इसका उल्टा ही हो गया.

सब्जियों के दाम छू रहे आसमान

किसानों के साथ व्यापारी भी लॉकडाउन और अतिवृष्टि की वजह से चौपट है, अब जब फसलों को नुकसान हुआ है तो इसका असर किसानों के साथ इसका असर उन व्यापारियों पर पड़ा है, जो सब्जियों का कारोबार करते हैं. इन कारोबारियों ने कहा कि किसानों की फसल नष्ट होने के चलते सब्जी के दाम आसमान छू रहे हैं. दुकानदार बताते हैं कि पिछले साल टमाटर 20 से 30 रुपए, आलू और प्याज 20 रुपए किलो बिकता था, लेकिन इस साल टमाटर 50 से 60 रुपए किलो बिक रहा है, आलू 40 से 45 रुपए तो लौकी 30 रुपए किलो बिक रहा है. कुल मिलाकर सभी सब्जियों के दाम पिछले साल से कई गुना अधिक बढ़ गए हैं.

ये भी पढ़े- खेल दिवस: देश-दुनिया में परचम लहराने के बाद अब ओलंपिक पर नीलू की 'नजर'

सब्जी के कारोबार में मुनाफा नहीं

सब्जी व्यापारियों ने कहा कि लॉकडाउन का भी गहरा असर दिखाई दिया है, ऊपर से लोगों की आर्थिक हालात खराब होने का असर भी बाजार में नजर आ रहा है. कुछ कारोबारी ये मानते हैं कि अब इस कारोबार में मुनाफा नहीं है, किसी तरह से घर चलाने का जरिया बस है. सब्जियों के बढ़ते दाम लोगों के मुंह का जायका खराब कर रहे हैं. अब लोगों की थाली से हरी सब्जियां गायब हो गई हैं.

कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लगाए गए लॉकडाउन का व्यापक असर आम लोगों पर देखने को मिल रहा है, जहां लोग अपनी मूलभूत जरूरतों की चीजें भी नहीं ले पा रहे हैं. वहीं कुदरत के कहर के चलते किसानों की कमर भी टूट रही है. ऐसे में अब देखना होगा कि शासन इन किसानों की कब और कैसे मदद कर पाता है.

सीधी। पूरे प्रदेश के साथ सीधी जिले में भी कई इलाकों में अधिक बारिश से फसलें नष्ट हो गई हैं तो वहीं कई इलाकों में बारिश नहीं होने से पैदावार नहीं हुई है. ऐसे में सबसे ज्यादा परेशान किसान हो रहे हैं. जहां कई क्षेत्रों में अधिक बारिश होने से खेतों में जल भराव होने से पूरी फसलें चौपट हो गई हैं. जिसका सबसे बड़ा असर सब्जी की खेती करने वाले किसानों पर हुआ है, वहीं जहां बारिश नहीं हुई है, उनकी भी फसल पूरी तरह चौपट हो गई है. सब्जी की फसलें खराब होने से बाहर से सब्जियां मंगानी पड़ रही है, जिसके चलते सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं.

चौपट हुई फसलें

फसलें चौपट, सब्जियों के बढ़े दाम

कोरोना काल में लोग पहले से आर्थिक तंगी के शिकार हैं, इस साल अधिक बारिश होने के चलते किसानों की फसलें पूरी तरह चौपट हो गई हैं. ऐसे में उनके सामने एक बार फिर रोजी-रोटी का संकट देखने को मिल रहा है. सीधी के सिमरिया गांव के एक किसान का कहना है कि उनकी 60 बीघा फसल बारिश के कारण पूरी तरह नष्ट हो चुकी है. पटवारी के पास सर्वे के लिए गए तो बैंक का हवाला देकर बैंक भेज दिया और बैंक में जाने पर सर्वे करने वालों से बात करने को कहा जाता है.

बारिश नहीं होने से परेशान किसान

किसान दीप नारायण द्विवेदी का कहना है कि पीढ़ी दर पीढ़ी खेती के कारोबार से अपना घर चलाते आए हैं, लेकिन इस बार उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. उनके इलाके में बारिश नहीं होने के कारण सब्जी की पैदावार नहीं हो पाई है. उन्होंने कहा कि उसने जुलाई के महीने में ही गोभी, सेम, बरबटी और लौकी की खेती शुरू की थी. जिससे उन्हें उम्मीद थी कि सितंबर-अक्टूबर में जब सब्जी की फसल लहलहाएगी तो आर्थिक स्थिति सुधर जाएगी, लेकिन इसका उल्टा ही हो गया.

सब्जियों के दाम छू रहे आसमान

किसानों के साथ व्यापारी भी लॉकडाउन और अतिवृष्टि की वजह से चौपट है, अब जब फसलों को नुकसान हुआ है तो इसका असर किसानों के साथ इसका असर उन व्यापारियों पर पड़ा है, जो सब्जियों का कारोबार करते हैं. इन कारोबारियों ने कहा कि किसानों की फसल नष्ट होने के चलते सब्जी के दाम आसमान छू रहे हैं. दुकानदार बताते हैं कि पिछले साल टमाटर 20 से 30 रुपए, आलू और प्याज 20 रुपए किलो बिकता था, लेकिन इस साल टमाटर 50 से 60 रुपए किलो बिक रहा है, आलू 40 से 45 रुपए तो लौकी 30 रुपए किलो बिक रहा है. कुल मिलाकर सभी सब्जियों के दाम पिछले साल से कई गुना अधिक बढ़ गए हैं.

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सब्जी के कारोबार में मुनाफा नहीं

सब्जी व्यापारियों ने कहा कि लॉकडाउन का भी गहरा असर दिखाई दिया है, ऊपर से लोगों की आर्थिक हालात खराब होने का असर भी बाजार में नजर आ रहा है. कुछ कारोबारी ये मानते हैं कि अब इस कारोबार में मुनाफा नहीं है, किसी तरह से घर चलाने का जरिया बस है. सब्जियों के बढ़ते दाम लोगों के मुंह का जायका खराब कर रहे हैं. अब लोगों की थाली से हरी सब्जियां गायब हो गई हैं.

कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लगाए गए लॉकडाउन का व्यापक असर आम लोगों पर देखने को मिल रहा है, जहां लोग अपनी मूलभूत जरूरतों की चीजें भी नहीं ले पा रहे हैं. वहीं कुदरत के कहर के चलते किसानों की कमर भी टूट रही है. ऐसे में अब देखना होगा कि शासन इन किसानों की कब और कैसे मदद कर पाता है.

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