सीधी। एक तरफ जहां लोगों के मूलभूत सुविधा के लिए सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए भारी-भरकम बजट जारी किया जाता है वहीं दूसरी तरफ निर्माण कार्य में लीपापोती कर स्वीकृत राशि को ठिकाने लगाने का खेल भी खेला जाता है जिसका ताजा मामला नगर पंचायत मझौली के महात्मा गांधी वार्ड क्रमांक 1 अतरैला व वार्ड क्र.3-4 की सीमा में बन रही मुख्यमन्त्री अधोसंरचना डामरीकृत सड़क में देखने को मिला. जहां 20 दिन पूर्व अरुण कंट्रक्शन कंपनी रीवा के द्वारा 2.300 किलोमीटर दूरी की सड़क निर्माण कार्य आधा अधूरा कराया कराया गया है.
लोगों ने बताया कि निर्माण कार्य के समय ही गुणवत्ता को लेकर निर्माण कार्य पर आपत्ति दर्ज कराई गई थी जिसमें लोगों द्वारा लिखित शिकायत में आरोप लगाया है कि अरुण कंस्ट्रक्शन कंपनी रीवा को निर्माण कार्य का टेंडर दिया गया है, जिसके द्वारा परिषद के उपयंत्री एवं परिषद के जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारियों से सांठगांठ कर गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य कराया गया है.
लोगों ने बताया कि मुख्य नगरपालिका अधिकारी ने भरोसा भी दिलाया था, कि निर्माण कार्य रोक दिया जाएगा लेकिन ना तो निर्माण कार्य रुका और ना ही गुणवत्ता में सुधार हुआ जिसको लेकर सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत की गई. लोगों के द्वारा मुख्य नगरपालिका अधिकारी के समक्ष लिखित शिकायत भी की गई.
शिकायतकर्ताओं ने ये कहा
जब सड़क का निर्माण कार्य हो रहा था उसी समय मेरे द्वारा विरोध किया गया था और ऑनलाइन शिकायत भी की गई है इतना ही नहीं मुख्य नगरपालिका अधिकारी के समक्ष भी निर्माण कार्य को लेकर जांच की मांग किया था और निविदाकार के मैदानी कर्मचारी द्वारा हमें प्रलोभन भी दिया था हम मांग करते हैं कि इस निर्माण कार्य को निरस्त कर गुणवत्ता युक्त सड़क बनाई जाए.
हमारे मोहल्ला में जिस तरह गुणवत्ता हीन सड़क बन रही है उसको लेकर हम लोगों ने सामूहिक रूप से मुख्य नगरपालिका अधिकारी के समक्ष लिखित शिकायत करते हुए जांच कार्रवाई की मांग किए हैं.
जिम्मेदार ये बोले
मुख्य नगरपालिका अधिकारी राजेश सिंह भदौरिया ने कहा कि मेरे पास वार्ड नंबर 1 लोगों द्वारा लिखित शिकायत की गई है जिसमें डामरीकृत सड़क के गुणवत्ता को लेकर शिकायत कर जांच की मांग की गई है जिसे वरिष्ठ अधिकारियों को जांच करा कर कार्यवाही करने एवं निविदा कार पर भी कार्रवाई के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा.
वार्ड वासियों की मानें तो सड़क में निर्धारित स्टीमेट के मुताबिक ना तो निर्माण कार्य कराया गया है और न ही निर्धारित शर्तों का पालन हुआ है जैसे कि बेस नहीं डाला गया है. पुरानी सड़क में जहां काफी धूल और मिट्टी पड़ी थी उसी में डामर की सड़क का लेप किया गया है. जबकि स्वीकृत सड़क की लागत राशि 83.30 लाख है. बावजूद इसके इस तरह घटिया कार्य कराया जाना और कमी को छुपाने के लिए दरारे में मिट्टी डालना अपने आप सच्चाई बयां करता है.
कमोबेश इसी तरह का निर्माण कार्य वार्ड क्रमांक 3-4 में भी डामरीकृत सड़क बनाई जा रही है जिसमें 900 मीटर की दूरी पर निर्माण कार्य कराया जाना है जिसकी स्वीकृत राशि 35.30 लाख है उसमें भी निर्धारित स्टीमेट की अनदेखी की जा रही है. इतना ही नहीं जागरूक लोगों के द्वारा निर्माण कार्य को निरस्त कर पुनः गुणवत्तायुक्त सड़क बनाने की मांग की हैं वहीं ऐसे निविदाकार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई किए जाने की मांग भी गई है।