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प्रशासन के दावे हुए फेल, लगातार बढ़ रही कुपोषित बच्चों की संख्या

स्तक अभियान के तहत सीधी जिले में 2500 कुपोषित बच्चों की संख्या पाई गई है. कुपोषित बच्चों के आंकड़ों से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है.

लगातार बढ़ कुपोषित बच्चों की संख्या
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Published : Oct 4, 2019, 10:21 AM IST

सीधी। जिले में बच्चों में कुपोषण की संख्या लगातार बढ़ रही है. पिछले दिनों दस्तक अभियान के तहत 2500 कुपोषित बच्चों की संख्या पाई गई थी, जिससे जिले की स्थिति को समझा जा सकता है. वहीं जिम्मेदार विभाग अपनी सफाई में दलील देते हैं कि जिले में स्थिति सामान्य है और बच्चों का इलाज किया जा रहा है.

लगातार बढ़ रही कुपोषित बच्चों की संख्या


कुपोषित बच्चों के आंकड़ों से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया था. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर 0 से 5 साल तक के बच्चों में 41.39 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. वहीं 22.33 फीसदी बच्चे मध्यम रूप से बौने पन का शिकार हो रहे हैं. 58.8 फीसदी बच्चों में सामान्य ऊंचाई पाई गई.


दस्तक अभियान में घर-घर जाकर इलाज की व्यवस्था और पुनर्वास केंद्र भी बनाए गए हैं. सीधी में इसके अलावा पूरे जिले में पुनर्वास केंद्र बनाए गए हैं, जिसमें 80 है. यहां कुपोषित पुनर्वास केंद्र में 14 दिन बच्चे को मां के साथ रखा जाता है और कुपोषित बच्चे को पोषण आहार देकर इलाज किया जाता है. ग्रामीण और शहरी इलाकों में महिला बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी के माध्यम से पोषण आहार बच्चों को दिया जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत इन सारी योजनाओं की पोल खोलती नजर आ रही है.

सीधी। जिले में बच्चों में कुपोषण की संख्या लगातार बढ़ रही है. पिछले दिनों दस्तक अभियान के तहत 2500 कुपोषित बच्चों की संख्या पाई गई थी, जिससे जिले की स्थिति को समझा जा सकता है. वहीं जिम्मेदार विभाग अपनी सफाई में दलील देते हैं कि जिले में स्थिति सामान्य है और बच्चों का इलाज किया जा रहा है.

लगातार बढ़ रही कुपोषित बच्चों की संख्या


कुपोषित बच्चों के आंकड़ों से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया था. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर 0 से 5 साल तक के बच्चों में 41.39 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. वहीं 22.33 फीसदी बच्चे मध्यम रूप से बौने पन का शिकार हो रहे हैं. 58.8 फीसदी बच्चों में सामान्य ऊंचाई पाई गई.


दस्तक अभियान में घर-घर जाकर इलाज की व्यवस्था और पुनर्वास केंद्र भी बनाए गए हैं. सीधी में इसके अलावा पूरे जिले में पुनर्वास केंद्र बनाए गए हैं, जिसमें 80 है. यहां कुपोषित पुनर्वास केंद्र में 14 दिन बच्चे को मां के साथ रखा जाता है और कुपोषित बच्चे को पोषण आहार देकर इलाज किया जाता है. ग्रामीण और शहरी इलाकों में महिला बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी के माध्यम से पोषण आहार बच्चों को दिया जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत इन सारी योजनाओं की पोल खोलती नजर आ रही है.

Intro:एंकर-- सीधी जिले में बच्चों में कुपोषण की संख्या लगातार बढ़ रही है जिसकी वजह से जिंदगी जीने से पहले ही इन बच्चों की मौत हो रही है पिछले दिनों आई एक रिपोर्ट में 25सौ कुपोषित बच्चों की संख्या पाई गई थी जिससे सीधी जिले की स्थिति को समझा जा सकता है हाल यह है कि जो बच्चे बचनी जाते हैं वह बच्चे गोरेपन का शिकार हो रहे हैं कहीं ना कहीं शासन की सारी योजनाएं सिर्फ सफेद हाथी साबित हो रही है वही जिम्मेदार विभाग अपनी सफाई में दलील देते हैं कि जिले में स्थिति सामान्य है और बच्चों का इलाज किया जा रहा है।


Body:वाइस ओवर(1)-- सीधी जिले में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बदहाल बनी हुई है जिले में पिछले दिनों दस्तक अभियान के तहत 25 सौ 18 बच्चे कुपोषित पाए गए थे जिससे स्वास्थ्य महकमा में हड़कंप मच गया था तत्कालीन कलेक्टर अभिषेक सेन द्वारा अपने बंगले में बच्चों को ले जाकर इलाज भी कराया गया था कुपोषण की वजह से बच्चा कमजोर हो जाता है और सही इलाज ना मिलने पर यह सही पोषण ना मिलने पर बच्ची की मौत भी हो जाती है राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण एन एफ एच एस की रिपोर्ट के आधार पर 0 से 5 साल तक के बच्चों में 41. 39 फीस दी बच्चे कुपोषण के शिकार हो गए हैं वहीं 22.33 फ़ीसदी बच्चे मध्यम रूप से सोनी पल का शिकार हो रहे हैं 58.8 फीसदी बच्चों में सामान्य ऊंचाई पाई गई कुछ दिन पहले ही सीधी जिले में दस्तक अभियान चलाया गया था जिसमें घर-घर जाकर इलाज की व्यवस्था और पुनर्वास केंद्र भी बनाए गए हैं सीधी में इसके अलावा पूरे जिले में पुनर्वास केंद्र बनाए गए हैं जिसमें बेड की संख्या 80 है जहां कुपोषित पुनर्वास केंद्र में 14 दिन बच्चे को मां के साथ रखा जाता है और कुपोषित बच्चे को पोषण आहार देकर इलाज किया जाता है ग्रामीण और शहरी इलाकों में महिला बाल विकास विभाग द्वारा आंगनवाड़ी के माध्यम से पोषण आहार बच्चों को दिया जाता है लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि कहीं-कहीं तो आंगनबाड़ी केंद्रों का ताला तक नहीं खुलता जिले के सीएमओ से पूछा तो कहने लगे कि इलाज बच्चों का संभव नहीं है आंकड़े आते जाते रहते हैं उससे कोई फर्क नहीं पड़ता बाकी जिले में कुपोषित बच्चों का इलाज किया जा रहा है पुनर्वास केंद्रों में बच्चों को रखकर उनका इलाज किया जाता है वहीं इस मामले में महिला बाल विकास अधिकारी का कहना है कि 41.29 बच्चे हैं जो चिंता का विषय है आज की स्थिति में संख्या कम हुई है दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।।
बाइट(1) आर एल वर्मा सीएमएचओ जिला सीधी मध्य प्रदेश।
बाइट(2) अवधेश सिंह महिला बाल विकास अधिकारी।



Conclusion:बरहाल शासन-प्रशासन कुपोषित दूर करने के लिए अनेक योजनाएं शुरू करता है और कुछ दिन चलाए भी जाती है बावजूद इसके सीधी जिले में इतनी बड़ी संख्या में कुपोषित बच्चे मिलना कहीं ना कहीं प्रशासन की लापरवाही कही जा सकती है देखना ये होगा कि ऐसे मामले में शासन कितनी गंभीरता से काम लेता है।
पवन तिवारी ईटीवी भारत सीधी मध्य प्रदेश
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