सीधी। जिले में बच्चों में कुपोषण की संख्या लगातार बढ़ रही है. पिछले दिनों दस्तक अभियान के तहत 2500 कुपोषित बच्चों की संख्या पाई गई थी, जिससे जिले की स्थिति को समझा जा सकता है. वहीं जिम्मेदार विभाग अपनी सफाई में दलील देते हैं कि जिले में स्थिति सामान्य है और बच्चों का इलाज किया जा रहा है.
कुपोषित बच्चों के आंकड़ों से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया था. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर 0 से 5 साल तक के बच्चों में 41.39 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. वहीं 22.33 फीसदी बच्चे मध्यम रूप से बौने पन का शिकार हो रहे हैं. 58.8 फीसदी बच्चों में सामान्य ऊंचाई पाई गई.
दस्तक अभियान में घर-घर जाकर इलाज की व्यवस्था और पुनर्वास केंद्र भी बनाए गए हैं. सीधी में इसके अलावा पूरे जिले में पुनर्वास केंद्र बनाए गए हैं, जिसमें 80 है. यहां कुपोषित पुनर्वास केंद्र में 14 दिन बच्चे को मां के साथ रखा जाता है और कुपोषित बच्चे को पोषण आहार देकर इलाज किया जाता है. ग्रामीण और शहरी इलाकों में महिला बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी के माध्यम से पोषण आहार बच्चों को दिया जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत इन सारी योजनाओं की पोल खोलती नजर आ रही है.