सीधी। प्रदेश में लगातार प्री मानसून में भारी बारिश के बाद अब मानसून ने भी दस्तक दे दी है. सभी बड़े शहर बारिश से पहले ही इससे होने वाली परेशानियों से निपटने के लिए तैयार थे, लेकिन कुछ शहरों में प्रशासनिक लापरवाही के कारण जनता को परेशान होना पड़ रहा है. कुछ ऐसा ही हाल तकरीबन 1 लाख की आबादी वाले शहर सीधी का है. जहां नगर पालिका उदासीनता की चादर ओढ़ कर कुम्भकर्णी नींद सो रहा है और बारिश का पानी घरों, दुकानों में भर रहा है. जिससे लोग परेशान हैं. आइये जानते हैं शहर के लोगों से की उन्हें नगर पालिका की लापरवाही से किस तरह की परेशानी हो रही है.
कलेक्ट्रेट और कोर्ट के पास भी कीचड़
ऐसा नहीं है की ये हालत शहर के किसी एक या अलग पड़े हिस्से में ही हैं, ये कीचड़ भरी सड़कें कलेक्ट्रेट समेत तमाम बड़े कार्यालयों के पास की भी हैं. कलेक्ट्रेट और जिला न्यायालय के सामने बनीं दुकानों में पानी घुस रहा है. नालियां बजबजा रही हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की जब 24 घंटे आला अधिकारियों के गुजरने वाली सड़क का ये हाल है तो शहर के बाकी हिस्सों में क्या हालात होते होंगे.
लॉकडाउन के नाम से बच निकले जिम्मेदार
आमतौर पे सभी शहरों में बारिश से पहले प्रशासन नाले और नालियों की साफ सफाई करा देता है, जिससे शहर में पानी का भराव न हो सके. लेकिन सीधी के सीएमओ लॉकडाउन की दलील देकर अपने काम से पल्ला झाड़ लेते हैं और कहते हैं की जितना हो सका नगर पालिका ने किया. लेकिन काफी कुछ काम लॉकडाउन के कारण नहीं हो पाया.
बीमारियां के पैर पसारने की आशंका
नालियों में पसरी गंदगी से मच्छर और मलेरिया जैसी बीमारियां के पैर पसारने की आशंका बनी रहती है. जानकारों की माने तो सीधी में पहले भी मलेरिया से कई मौतें हो चुकी हैं. फिर भी नगर पालिका प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. शहर का दुर्भाग्य है कि प्रशासन इन हालात में भी गहरी नींद में है.
स्मार्ट सिटी के नाम पर लाखों खर्च
सीधी शहर मीनी स्मार्ट सिटी में शुमार हो चुका है, बावजूद इसके करोड़ों रूपए खर्च करने के बाद भी शहर किसी कस्बे से कम नही दिखता. ऐसे में देखना होगा कि शहर के लोगों को जल भराव से कब तक निजात मिल पाती है, और कब तक शहर की तस्वीर बदल पाती है, यह आने वाला वक्त ही बताएगा.