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सीधी में भगवान भरोसे चल रहे आंगनबाड़ी केंद्र, कहीं कार्यकर्ता गायब, तो कहीं सहायिका

जिले के आंगबाड़ी केंद्र भगवान भरोसे चल रहे हैं. कहीं सहायिका गायब हैं, तो कहीं कार्यकर्ता. पहली बात तो यह कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अधिकांश केंद्रों पर अनुपस्थित पाई गयीं और जहां उपस्थित मिली भी तो यूनिफॉर्म में नहीं मिलीं.

Reality check of Anganwadi center in Sidhi
सीधी में भगवान भरोसे आंगनबाड़ी केंद्र, कहीं कार्यकर्ता गायब तो, कहीं सहायिका चला रही केंद्र
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Published : May 13, 2020, 12:55 AM IST

सीधी। सरकार द्वारा बच्चों को मध्यान्ह भोजन एवं पोषण आहार की व्यवस्था प्रमुखता से की गई है. उक्त सभी बातों को ध्यान में रखते हुए ईटीवी भारत संवाददाता द्वारा जिले के अनेक आंगनबाड़ी केंद्रों की वास्तविक स्थिति का जायजा लिया.

केंद्रों पर पाया गया कि, आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति तो एकदम विपरीत है. पहली बात तो यह कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अधिकांश केंद्रों पर अनुपस्थित पाई गयीं और जहां उपस्थित मिली भी तो यूनिफॉर्म में नहीं मिली. दूसरी बात यह कि सहायिकाओं द्वारा ही अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्रों को संचालित किया जा रहा है. साथ ही बच्चों को मध्यान्ह भोजन एवं पोषण आहार का वितरण तथा साफ-सफाई की स्थिति बड़ी ही दयनीय दशा में देखी गई.

आंगनबाड़ी केंद्रों के नन्हें-नन्हें नौनिहालों ने संवाददाता के सामने सिसक-सिसक कर बताया कि, हमें कभी खिचड़ी मिल जाती है, तो कभी चावल मिल जाता है. चावल के साथ जो दाल परोसी जाती है, उसमें दाल पता ही नहीं चलती.

महिला बाल विकास परियोजना अधिकारी की दृष्टी यहां तक क्यों नहीं जाती है. आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण करते क्यों नहीं. जिस तरह से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की आंगनबाड़ी केंद्रों पर अनुपस्थिति रहती हैं. आंगनबाड़ी सहायिकाओं के बल पर जिले के आंगनबाड़ी केंद्र चल रहे हैं. सुपरवाइजर कभी किसी केंद्र तक जाने की भूल नहीं करतीं.

सीधी। सरकार द्वारा बच्चों को मध्यान्ह भोजन एवं पोषण आहार की व्यवस्था प्रमुखता से की गई है. उक्त सभी बातों को ध्यान में रखते हुए ईटीवी भारत संवाददाता द्वारा जिले के अनेक आंगनबाड़ी केंद्रों की वास्तविक स्थिति का जायजा लिया.

केंद्रों पर पाया गया कि, आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति तो एकदम विपरीत है. पहली बात तो यह कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अधिकांश केंद्रों पर अनुपस्थित पाई गयीं और जहां उपस्थित मिली भी तो यूनिफॉर्म में नहीं मिली. दूसरी बात यह कि सहायिकाओं द्वारा ही अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्रों को संचालित किया जा रहा है. साथ ही बच्चों को मध्यान्ह भोजन एवं पोषण आहार का वितरण तथा साफ-सफाई की स्थिति बड़ी ही दयनीय दशा में देखी गई.

आंगनबाड़ी केंद्रों के नन्हें-नन्हें नौनिहालों ने संवाददाता के सामने सिसक-सिसक कर बताया कि, हमें कभी खिचड़ी मिल जाती है, तो कभी चावल मिल जाता है. चावल के साथ जो दाल परोसी जाती है, उसमें दाल पता ही नहीं चलती.

महिला बाल विकास परियोजना अधिकारी की दृष्टी यहां तक क्यों नहीं जाती है. आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण करते क्यों नहीं. जिस तरह से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की आंगनबाड़ी केंद्रों पर अनुपस्थिति रहती हैं. आंगनबाड़ी सहायिकाओं के बल पर जिले के आंगनबाड़ी केंद्र चल रहे हैं. सुपरवाइजर कभी किसी केंद्र तक जाने की भूल नहीं करतीं.

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