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डिजिटल इंडिया के दावों की पोल खोलती एक और तस्वीर, यहां गांव के लोग पेड़ पर चढ़कर करते हैं बात

सीधी में आजादी के सात दशक बाद आज भी कई इलाके आधुनिक सुख-सुविधाओं के अभाव में जीने को मजबूर हैं. सड़क बिजली पानी की समस्या के साथ कई ऐसे गांव हैं जहां मोबाइल पर टॉवर नहीं मिलते, जिसके चलते ग्रामीणों को किसी पेड़ पर चढ़कर बातचीत करनी पड़ती है.

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Published : Nov 27, 2020, 1:32 PM IST

SIDHI
सीधी

सीधी। एक ओर केंद्र सरकार देश को डिजिटल इंडिया बनाने की बात करती है. तो वहीं दूसरी ओर सीधी में आजादी के सात दशक बाद आज भी कई इलाके आधुनिक सुख-सुविधाओं के अभाव में जीने को मजबूर हैं. सड़क बिजली पानी की समस्या से तो ग्रामीण जूझते ही हैं. साथ ही कई ऐसे गांव हैं. जहां मोबाइल पर टॉवर नहीं मिलते हैं. ग्रामीणों को किसी पेड़ या ऊंची जगहों पर जाकर बातचीत करनी पड़ती है.

यै कैसा विकास ?

सीधी जिले के कई इलाके के लोग आज भी 19वीं सदी के दौर में जी रहे हैं. यहां के लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए मोहताज हैं. जिले से 24 किलोमीटर दूर पिपरोहर पंचायत में जहां मोबाइल का टॉवर न होने से ग्रामीणों को पेड़ या ऊंची जगहों पर चढ़कर किसी से बात करनी पड़ती है. वो भी बात हो जाये तो गनीमत वरना जरूरी बात करनी हो तो गांव से दूर जहां टॉवर मोबाइल पर दिखता है, लोगों को वहां पहुंचकर अपनी बात करनी पड़ती है.

गजब ! MP में अमेरिका जैसी सड़कें होने का दावा करने वाले सीएम जरा ये भी देख लें...

इतना ही नहीं पंचायत में पीडीएस योजना में राशन देने के लिए फिंगर लगाना होता है. लेकिन सिंग्नल न होने से कई दिनों तक ग्रामीण अनाज से वंचित हो जाते हैं. वृद्धापेंशन, विधवा पेंशन या फिर अन्य योजना में ग्रामीणों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. ग्रामीणों में संतोष केवट का कहना है कि गांव में कोई भी शासकीय योजना का लाभ नहीं मिलता है.

जिले के लोगों को मोबाइल में नेटवर्क नहीं मिलने से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहीं इस मामले में जिला प्रशासन दावा कर रहा है कि जल्द ऐसे गांव चिन्हित कर लिए गए हैं, और जल्द से नेटवर्किंग कंपनियों से बात करके लोगों की समस्या हल करा दी जाएगी.

सीधी। एक ओर केंद्र सरकार देश को डिजिटल इंडिया बनाने की बात करती है. तो वहीं दूसरी ओर सीधी में आजादी के सात दशक बाद आज भी कई इलाके आधुनिक सुख-सुविधाओं के अभाव में जीने को मजबूर हैं. सड़क बिजली पानी की समस्या से तो ग्रामीण जूझते ही हैं. साथ ही कई ऐसे गांव हैं. जहां मोबाइल पर टॉवर नहीं मिलते हैं. ग्रामीणों को किसी पेड़ या ऊंची जगहों पर जाकर बातचीत करनी पड़ती है.

यै कैसा विकास ?

सीधी जिले के कई इलाके के लोग आज भी 19वीं सदी के दौर में जी रहे हैं. यहां के लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए मोहताज हैं. जिले से 24 किलोमीटर दूर पिपरोहर पंचायत में जहां मोबाइल का टॉवर न होने से ग्रामीणों को पेड़ या ऊंची जगहों पर चढ़कर किसी से बात करनी पड़ती है. वो भी बात हो जाये तो गनीमत वरना जरूरी बात करनी हो तो गांव से दूर जहां टॉवर मोबाइल पर दिखता है, लोगों को वहां पहुंचकर अपनी बात करनी पड़ती है.

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इतना ही नहीं पंचायत में पीडीएस योजना में राशन देने के लिए फिंगर लगाना होता है. लेकिन सिंग्नल न होने से कई दिनों तक ग्रामीण अनाज से वंचित हो जाते हैं. वृद्धापेंशन, विधवा पेंशन या फिर अन्य योजना में ग्रामीणों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. ग्रामीणों में संतोष केवट का कहना है कि गांव में कोई भी शासकीय योजना का लाभ नहीं मिलता है.

जिले के लोगों को मोबाइल में नेटवर्क नहीं मिलने से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहीं इस मामले में जिला प्रशासन दावा कर रहा है कि जल्द ऐसे गांव चिन्हित कर लिए गए हैं, और जल्द से नेटवर्किंग कंपनियों से बात करके लोगों की समस्या हल करा दी जाएगी.

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