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धान खरीदी केंद्रों में कई जगहों पर बारिश से बचाने के लिए नहीं है व्यवस्था

सीधी के केंद्र में धान भीगने के मामले सामने आने के बाद भी व्यवस्थाओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. किसानों को कहा जाता है कि खुद व्यवस्था करें. ऐसे में कई किसान व्यवस्था करने में असमर्थ हैं और उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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Published : Jan 4, 2020, 10:40 PM IST

No proper arrangements to save paddy from rain in procurement centers
खरीदी केंद्रों में बारिश से धान बचाने के लिए नहीं उचित व्यवस्था

सीधी। किसानों की धान को सुरक्षित जगह पर रखने का जिम्मा धान खरीदी केंद्रों का होने के बावजूद भी बरसात में कई केंद्रों में लापरवाही की गई है, तो कहीं पर व्यवस्थाएं ठीक पाई गईं. सीधी केंद्र में धान को बरसात से बचाने के लिए व्यवस्थाएं की गई हैं लेकिन खातों में पैसे ना पहुंचने से किसान हताश है.वहीं व्यवस्थापकों कहना है कि किसानों के खातों में भुगतान जल्द किया जाएगा.

खरीदी केंद्रों में बारिश से धान बचाने के लिए नहीं उचित व्यवस्था

किसानों की उपज को समर्थन मूल्य में लेने के लिए शासन द्वारा धान खरीदी केंद्र बनाए गए हैं. जहां किसान धान को बेचने पहुंचते हैं. जिले में धान खरीदी केंद्रों में बरसात के पानी से धान को बचाने के लिए अधिकांश केंद्रों में व्यवस्थाएं पर्याप्त नहीं है. जिसे अनेक केंद्रों में धान भीग गई है, किसानों को नुकसान हुआ है. जिले में बनी धान खरीदी केंद्र अब तक 7440 क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है और 6 हजार 794 क्विंटल धान परिवहन किया जा चुका है. इस साल इस केंद्र में 20 हजार क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है.

केंद्र के प्रबंधक का कहना है कि बरसात से बचाने के लिए वो लोग किसानों को पानी गिरते समय त्रिपाल या पन्नी लाने को कहते हैं. वहीं खुले मौसम में धान लाने को भी कहा जाता है. शेड के अंदर जितनी क्षमता होगी उतना ही ध्यान रखा जा सकता है. फिर भी पूरी कोशिश की जाती है कि धान किसानों की भीग ना पाए. वहीं भुगतान की बात तो किसानों के खातों में भुगतान कर दिया जाता है. लेकिन कुछ ऐसे किसान बचे हुए है जिनके खाते में भुगतान नहीं हुआ है इसके लिए प्रक्रिया शुरू है.

सीधी। किसानों की धान को सुरक्षित जगह पर रखने का जिम्मा धान खरीदी केंद्रों का होने के बावजूद भी बरसात में कई केंद्रों में लापरवाही की गई है, तो कहीं पर व्यवस्थाएं ठीक पाई गईं. सीधी केंद्र में धान को बरसात से बचाने के लिए व्यवस्थाएं की गई हैं लेकिन खातों में पैसे ना पहुंचने से किसान हताश है.वहीं व्यवस्थापकों कहना है कि किसानों के खातों में भुगतान जल्द किया जाएगा.

खरीदी केंद्रों में बारिश से धान बचाने के लिए नहीं उचित व्यवस्था

किसानों की उपज को समर्थन मूल्य में लेने के लिए शासन द्वारा धान खरीदी केंद्र बनाए गए हैं. जहां किसान धान को बेचने पहुंचते हैं. जिले में धान खरीदी केंद्रों में बरसात के पानी से धान को बचाने के लिए अधिकांश केंद्रों में व्यवस्थाएं पर्याप्त नहीं है. जिसे अनेक केंद्रों में धान भीग गई है, किसानों को नुकसान हुआ है. जिले में बनी धान खरीदी केंद्र अब तक 7440 क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है और 6 हजार 794 क्विंटल धान परिवहन किया जा चुका है. इस साल इस केंद्र में 20 हजार क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है.

केंद्र के प्रबंधक का कहना है कि बरसात से बचाने के लिए वो लोग किसानों को पानी गिरते समय त्रिपाल या पन्नी लाने को कहते हैं. वहीं खुले मौसम में धान लाने को भी कहा जाता है. शेड के अंदर जितनी क्षमता होगी उतना ही ध्यान रखा जा सकता है. फिर भी पूरी कोशिश की जाती है कि धान किसानों की भीग ना पाए. वहीं भुगतान की बात तो किसानों के खातों में भुगतान कर दिया जाता है. लेकिन कुछ ऐसे किसान बचे हुए है जिनके खाते में भुगतान नहीं हुआ है इसके लिए प्रक्रिया शुरू है.

Intro:एंकर-- सीधी में धान खरीदी केंद्रों में धान की आवक इन दिनों बेहद हो रही है लेकिन किसानों की धान को सुरक्षित जगह पर रखने का जिम्मा धान खरीदी केंद्रों का होने के बावजूद भी बरसात में अनेक केंद्रों में लापरवाही की गई है तो कहीं पर व्यवस्थाएं ठीक पाई गई सीधी केंद्र में धान को बरसात से बचाने के लिए व्यवस्थाएं की गई हैं लेकिन किसानों के खातों में पैसे न पहुंचने से किसान हताश तो है ही वही व्यवस्थापक कह रहे हैं कि किसानों के खातों में भुगतान जल्द किया जाएगा।



Body:वाइस ओवर(1)- किसानों की उपज को समर्थन मूल्य में लेने के लिए शासन द्वारा धान खरीदी केंद्र बनाए गए हैं जहां किसान धान को बेचने पहुंचते हैं जिले में धान खरीदी केंद्रों में बरसात के पानी से धान को बचाने के लिए अधिकांश केंद्रों में व्यवस्थाएं पर्याप्त नहीं है जिसे अनेक केंद्रों में धान भीग गई है किसानों को नुकसान हुआ है वही बात करें सीधी शहर में बनी धान खरीदी केंद्र की तो यहां अब तक 74 सौ 40 क्वांटल धान की खरीदी हो चुकी है और 6 हजार 794 क्वांटल धान परिवहन किया जा चुका है इस साल इस केंद्र में 20 हजार क्वांटल धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है केंद्र के प्रबंधक का कहना है कि बरसात से बचाने के लिए हम लोग किसानों को पानी गिरते समय त्रिपाल या पन्नी लाने को कहते हैं वहीं खुले मौसम में धान लाने को भी कहा जाता है सैड के अंदर जितनी क्षमता होगी उतना ही ध्यान रखा जा सकता है फिर भी पूरी कोशिश की जाती है कि धान किसानों की भीग ना पाए रही भुगतान की बात तो किसानों के खातों में भुगतान कर दिया जाता है लेकिन कुछ ऐसे किसान बचे हुए है जिनके खाते में भुगतान नहीं हुआ है इसके लिए प्रक्रिया शुरू है।
बाइट(1)रामनारायण जैसवाल(प्रबंधक)


Conclusion:बहरहाल किसानों की खून पसीने की कमाई धान खरीदी केंद्रों में लापरवाही से पड़ा रहता है तो उस किसान से पूछे कि उसे कितनी पीड़ा होती है जिले के ने केंद्र में धान पीटने के मामले सामने आ चुके हैं उसके बाद भी व्यवस्थाओं पर ध्यान नहीं दिया जाता किसानों को स्वयं कहा जाता है कि खुद व्यवस्था करें ऐसे में कई किसान व्यवस्था करने में असमर्थ होते हैं और उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है।
पवन तिवारी ईटीवी भारत सीधी मध्य प्रदेश
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