Churhat Assembly Seat: जिले की चुरहट विधानसभा मध्यप्रदेश की एक चर्चित विधानसभा है. यहां से अर्जुन सिंह ने पूरे प्रदेश का नेतृत्व किया, लेकिन 2018 में 40 साल लंबे कांग्रेस के राज को भारतीय जनता पार्टी ने खत्म कर दिया था. यहां सर्वेंदु तिवारी ने भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर जीत हासिल की थी. एक बार फिर इस विधानसभा में कांग्रेस और भाजपा ही आमने-सामने हैं.
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चुरहट विधानसभा में कितने मतदाता: चुरहट विधानसभा में कुल 264270 वोटर्स हैं. इनमें 137325 पुरुष मतदाता हैं. 126937 महिला मतदाता है और अन्य 6 वोटर्स हैं.
क्या है राजनीतिक समीकरण: सीधी जिले की चुरहट विधानसभा मध्य प्रदेश की एक बहुचर्चित विधानसभा रही है. इस विधानसभा का नाम मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के नाम से जुड़ा रहा है. वे चुरहट विधानसभा से चुनकर आते थे. अर्जुन सिंह इस विधानसभा में 1977 में पहली बार खड़े हुए थे. केवल 1990 को यदि हम छोड़ दें, तो बीते 40 सालों से 2018 तक इस विधानसभा क्षेत्र पर कांग्रेस का ही कब्जा रहा. यहां पहले अर्जुन सिंह जीतते रहे.
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इसी विधानसभा पर उनके लड़के अजय सिंह राहुल चुनाव लड़ने लगे और 2018 तक 20 साल से लगातार विधायक थे. 2018 की विधानसभा चुनाव ने इस इतिहास को बदल दिया और यहां भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली. भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी शरदेंदु तिवारी ने लगभग 6000 वोटो से अजय सिंह राहुल को हरा दिया. राजनीतिक बयानबाजी में इस बात की चर्चा थी कि इस हार की वजह सीधी से ही कांग्रेस नेता कमलेश्वर पटेल थे.
चुरहट में कुर्मी समाज का अच्छा जनाधार है और कुर्मी समाज कमलेश्वर पटेल को अपना नेता मानता था. ऐसा कहा जाता है कि कमलेश्वर ने अपने पिता की हार का बदला लिया था और राहुल सिंह को विधानसभा चुनाव हरा दिया. 2013 के विधानसभा चुनाव में अजय सिंह राहुल ने शरदेंदु तिवारी को लगभग 20000 वोटो से हराया था. भारतीय जनता पार्टी लंबे समय से चुरहट विधानसभा को जीतने की कोशिश कर रही थी. इसी विधानसभा क्षेत्र के अजय प्रताप सिंह को भी राज्यसभा सदस्य बनाया गया है. हालांकि, अजय प्रताप सिंह 2008 की चुनाव में राहुल सिंह से लगभग 10000 वोटो से हारे थे.
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इस इलाके से सीधी सिंगरौली लाइन निकली हुई है और जब सीधी सिंगरौली लाइन के लिए सरकार ने जमीन अधिग्रहण की थी. तब सरकार ने यह घोषणा की थी कि जिन लोगों की जमीन पर से यह रेलवे लाइन बिछाई जा रही है, उन्हें सरकार मुआवजे के साथ-साथ नौकरी भी देगी. 40% लोगों को तो मुआवजा ही नहीं मिला और वही रेलवे ने नौकरी की मांग भी पूरी नहीं की.
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अब लोगों की उम्मीद एक बार फिर राहुल सिंह से जुड़ी हुई है. यदि मध्य प्रदेश में सरकार बदलती है, तो अजय सिंह राहुल किसी अहम पोस्ट पर होंगे. राहुल सिंह एक बार चुनाव हार चुके हैं, इसलिए इस बार ऐसी संभावना है कि वह क्षेत्र के विकास पर ध्यान देंगे.
हालांकि. एक बात यह भी कहीं जा रही है कि यह अजय सिंह राहुल का आखिरी चुनाव है. उनके परिवार में अब कोई ऐसा सदस्य नहीं है, जो आगे अर्जुन सिंह के परिवार की राजनीति को बढ़ाएं.