जबलपुर। सीधी पेशाब कांड के आरोपी प्रवेश शुक्ला के खिलाफ जिला प्रशासन ने एनएसए के तहत कार्रवाई की थी. उसके ऊपर एनएसए लगाया गया है. प्रवेश शुक्ला की पत्नी ने हाईकोर्ट में एनएसए की कार्रवाई को चुनौती दी है. हाई कोर्ट में हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस विशाल मिश्रा की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की और फैसला सुरक्षित करने के आदेश दिए. बता दें कि सीधी पेशाब कांड की गूंज पूरे देश में हुई थी. इसके बाद शिवराज सरकार ने डैमेज कंट्रोल किया. Sidhi urination Case
वीडियो हुआ था वायरल : बता दें कि बीते दिनों एक वीडियो वायरल हुआ था. जिसमें एक युवक दूसरे युवक के ऊपर पेशाब करता हुआ नजर आ रहा था. वायरल वीडियो की पड़ताल के बाद पता लगा कि जो शख्स पेशाब कर रहा है, उसका नाम प्रवेश शुक्ला है और यह सीधी जिले का भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता है. इस घटना ने राजनीतिक तूल पकड़ा और यह एक बड़ा मुद्दा बना. इसके बाद प्रवेश शुक्ला के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई. उसके घर पर बुलडोजर चला और प्रवेश शुक्ला के खिलाफ एनएसए लगा दिया गया. प्रवेश शुक्ला की पत्नी ने हाईकोर्ट में अपने वकीलों के माध्यम से पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध किया. दलील दी है यह मामला 2020 का है. 3 साल बाद एनएसए की कार्रवाई तर्कपूर्ण नहीं. Sidhi urination Case
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याचिका में ये दलीलें : याचिका में कहा गया है कि इस घटनाक्रम के बाद कोई उपद्रव या शांतिभंग जैसी स्थिति नहीं बनी. वकीलों ने तर्क देते हुए कहा कि प्रवेश शुक्ला किसी दूसरे आपराधिक कृत्य में पहले कभी दोषी नहीं पाया गया. इसलिए उसके खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई ना की जाए. यह पूरा मामला राजनीति से जुड़ा हुआ है. इसलिए इसे ज्यादा तूल दिया गया. एनएसए की कार्रवाई अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है. वहीं सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वकीलों का कहना है कि प्रवेश शुक्ला ने जो किया, वह पब्लिक ऑर्डर के खिलाफ है. फिलहाल इस मामले में दोनों ही पक्षों की जिरह को सुनने के बाद चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और विशाल मिश्रा की बेंच ने आदेश को सुरक्षित करने के आदेश दिए हैं. इस मामले में प्रवेश शुक्ल की ओर से अनिरुद्ध मिश्रा ने पैरवी की. Sidhi urination Case