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भगवान राम ने यहां किया था राक्षस नरकासुर का वध, आज भी मौजूद हैं त्रेता युग से जुड़े साक्ष्य - सीधी न्यूज

सीधी के मवई गांव के पास कैमूर पहाड़ पर भगवान राम ने नरकासुर का वध करने की कहानी आज भी स्थानीय लोग बताते हैं. लोगों का कहना है कि त्रेता युग में भगवान राम जब सीता की खोज में निकले थे, तभी उनका सामना दैत्य नरकासुर से हुआ था जो कैमूर पहाड़ पर बनी एक प्राकृतिक गुफा में निवास करता था.

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Published : Jun 15, 2020, 11:44 AM IST

Updated : Jun 15, 2020, 2:25 PM IST

सीधी। जिले में वैसे तो कई ऐतिहासिक स्थल मौजूद हैं, लेकिन उनमें से एक ऐसा स्थल है जो त्रेता युग से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि कैमूर पहाड़ पर असुर नरकासुर का वध भगवान राम ने इसी जगह किया था. जिस गुफा में असुर रहता था वह गुफा आज भी पहाड़ों में स्थित है. राक्षस के वध से जो रक्त निकला था नदी के रूप में आज भी बहता है जिसे नरकुंडी यानी नरक की नदी मानते हैं.

यहां भगवान राम ने किया था नरकासुर का वध
राम गमन पथ के निशान आज भी यहां देखने को मिलते हैं. मवई गांव के पास कैमूर पहाड़ पर भगवान राम द्वारा नरकासुर का वध की कहानी हर स्थानीय लोगों की जुबान में है. मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान राम जब सीता की खोज में निकले थे, तभी उनका सामना दैत्य नरकासुर से हुआ था जो कैमूर पहाड़ पर बनी एक प्राकृतिक गुफा में निवास करता था. वह गुफा आज भी मौजूद है. गुफा के अंदर बाएं हाथ के पंजे का निशान आज भी स्पष्ट दिखाई देता है. कहा जाता है कि भगवान राम ने एक तीर मारकर पहाड़ को दो हिस्सों में कर दिया था.
Narkundi River
नरकुंडी नदी

गुफा के अंदर दैत्य नरकासुर यह देख घबरा गया और बाहर निकल कर आया. तभी भगवान राम का दूसरा वाण राक्षस के सीने में जा घुसा और राक्षस अचेत होकर गिर गया और नरकासुर के शरीर से निकली रक्त से टूटे हुए पहाड़ के बीच से खून की नदी बहने लगी. जिससे लोग नर कुंडी नदी के नाम से जानते हैं मान्यता यह भी है कि इस नदी का कोई पानी नहीं पीता है.

Kaimur Mountains
कैमूर पहाड़

हजारों सालों से गुमनाम पड़ी इस जगह को पर्यटन के रूप में विकसित करने की कोशिश आज तक नहीं की गई है. जिला प्रशासन को नरकासुर वध स्थल की जानकारी होने के बाद अब स्थल को विकसित करने की बात कही जा रही है. बहरहाल त्रेता युग से जुड़ी इस मान्यता में कितनी सच्चाई है जिसके साक्ष्य और प्रमाण यहां पहुंचने के बाद ही दिखाई देते हैं. पहाड़ों के बीच निकली नदी पहाड़ से टूटकर गिरे पत्थर के अवशेष जंगलों के बीच बनी गुफा और हजारों सालों से बने पंजे के निशान गवाही देते हैं, कि यहां नरकासुर का वध हुआ था. ऐसे में देखना होगा कि इस स्थल को शासन प्रशासन कितना पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर पाता है.

सीधी। जिले में वैसे तो कई ऐतिहासिक स्थल मौजूद हैं, लेकिन उनमें से एक ऐसा स्थल है जो त्रेता युग से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि कैमूर पहाड़ पर असुर नरकासुर का वध भगवान राम ने इसी जगह किया था. जिस गुफा में असुर रहता था वह गुफा आज भी पहाड़ों में स्थित है. राक्षस के वध से जो रक्त निकला था नदी के रूप में आज भी बहता है जिसे नरकुंडी यानी नरक की नदी मानते हैं.

यहां भगवान राम ने किया था नरकासुर का वध
राम गमन पथ के निशान आज भी यहां देखने को मिलते हैं. मवई गांव के पास कैमूर पहाड़ पर भगवान राम द्वारा नरकासुर का वध की कहानी हर स्थानीय लोगों की जुबान में है. मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान राम जब सीता की खोज में निकले थे, तभी उनका सामना दैत्य नरकासुर से हुआ था जो कैमूर पहाड़ पर बनी एक प्राकृतिक गुफा में निवास करता था. वह गुफा आज भी मौजूद है. गुफा के अंदर बाएं हाथ के पंजे का निशान आज भी स्पष्ट दिखाई देता है. कहा जाता है कि भगवान राम ने एक तीर मारकर पहाड़ को दो हिस्सों में कर दिया था.
Narkundi River
नरकुंडी नदी

गुफा के अंदर दैत्य नरकासुर यह देख घबरा गया और बाहर निकल कर आया. तभी भगवान राम का दूसरा वाण राक्षस के सीने में जा घुसा और राक्षस अचेत होकर गिर गया और नरकासुर के शरीर से निकली रक्त से टूटे हुए पहाड़ के बीच से खून की नदी बहने लगी. जिससे लोग नर कुंडी नदी के नाम से जानते हैं मान्यता यह भी है कि इस नदी का कोई पानी नहीं पीता है.

Kaimur Mountains
कैमूर पहाड़

हजारों सालों से गुमनाम पड़ी इस जगह को पर्यटन के रूप में विकसित करने की कोशिश आज तक नहीं की गई है. जिला प्रशासन को नरकासुर वध स्थल की जानकारी होने के बाद अब स्थल को विकसित करने की बात कही जा रही है. बहरहाल त्रेता युग से जुड़ी इस मान्यता में कितनी सच्चाई है जिसके साक्ष्य और प्रमाण यहां पहुंचने के बाद ही दिखाई देते हैं. पहाड़ों के बीच निकली नदी पहाड़ से टूटकर गिरे पत्थर के अवशेष जंगलों के बीच बनी गुफा और हजारों सालों से बने पंजे के निशान गवाही देते हैं, कि यहां नरकासुर का वध हुआ था. ऐसे में देखना होगा कि इस स्थल को शासन प्रशासन कितना पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर पाता है.

Last Updated : Jun 15, 2020, 2:25 PM IST
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