सीधी। जिले में वैसे तो कई ऐतिहासिक स्थल मौजूद हैं, लेकिन उनमें से एक ऐसा स्थल है जो त्रेता युग से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि कैमूर पहाड़ पर असुर नरकासुर का वध भगवान राम ने इसी जगह किया था. जिस गुफा में असुर रहता था वह गुफा आज भी पहाड़ों में स्थित है. राक्षस के वध से जो रक्त निकला था नदी के रूप में आज भी बहता है जिसे नरकुंडी यानी नरक की नदी मानते हैं.
गुफा के अंदर दैत्य नरकासुर यह देख घबरा गया और बाहर निकल कर आया. तभी भगवान राम का दूसरा वाण राक्षस के सीने में जा घुसा और राक्षस अचेत होकर गिर गया और नरकासुर के शरीर से निकली रक्त से टूटे हुए पहाड़ के बीच से खून की नदी बहने लगी. जिससे लोग नर कुंडी नदी के नाम से जानते हैं मान्यता यह भी है कि इस नदी का कोई पानी नहीं पीता है.
हजारों सालों से गुमनाम पड़ी इस जगह को पर्यटन के रूप में विकसित करने की कोशिश आज तक नहीं की गई है. जिला प्रशासन को नरकासुर वध स्थल की जानकारी होने के बाद अब स्थल को विकसित करने की बात कही जा रही है. बहरहाल त्रेता युग से जुड़ी इस मान्यता में कितनी सच्चाई है जिसके साक्ष्य और प्रमाण यहां पहुंचने के बाद ही दिखाई देते हैं. पहाड़ों के बीच निकली नदी पहाड़ से टूटकर गिरे पत्थर के अवशेष जंगलों के बीच बनी गुफा और हजारों सालों से बने पंजे के निशान गवाही देते हैं, कि यहां नरकासुर का वध हुआ था. ऐसे में देखना होगा कि इस स्थल को शासन प्रशासन कितना पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर पाता है.