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कोरोना काल में बढ़ी आयुर्वेदिक दवाईओं की बिक्री, इम्यूनिटी बढ़ाने में बन रहीं मददगार - trend of Ayurveda medicines increased during Corona period in Sidhi

सीधी जिले में कोरोना काल में आयुर्वेदिक दवाओं का चलन बढ़ रहा है. लोग पारंपरिक दवाइयों पर अधिक विश्वास कर रहे हैं, जिसकी वजह से आयुर्वेदिक दवाईओं की खपत में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है, देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट...

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Published : Oct 18, 2020, 5:21 PM IST

सीधी। देश में कोरोना संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है और लोगों की चिंता भी बढ़ रही है. इस महामारी से बचने के लिए लोग हर संभव प्रयास कर रहे हैं. एक नया ट्रेंड जिले में आजकल देखने को मिल रहा है. कोरोना का सटीक इलाज नहीं होने के चलते ऐलोपैथिक डॉक्टर भी मरीजों को इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेद का सहारा की सलाह दे रहे हैं. बढ़ते कोरोना मरीजों को देखते हुए अब आयुर्वेदिक दवाओं की तरफ लोगों का रुझान बढ़ा है. इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए लोग पुरानी भारतीय पद्धति और आयुर्वेदिक को अपना रहे हैं. 6 माह पहले तक अमूमन एलोपैथिक पर यकीन करने वालों की तादाद ज्यादा थीे, लेकिन कोरोना संक्रमण काल में आयुर्वेदिक दवाइयों पर लोगों ने भरोसा जताया. स्थानीय स्तर पर लगभग 50% लोग अब आयुर्वेदिक दवाओं पर विश्वास कर रहे हैं.

आयुर्वेदिक दवाईओं की बढ़ी बिक्री

कोरोना से जंग में आयुर्वेद बना हथियार बना

कोरोना संक्रमण से जंग के लिए चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े विद्वानों ने सबसे पहले इम्यून सिस्टम को मजबूत करने की जरूरत महसूस की. यही वजह है कि मार्च से अब तक लोगों ने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए न सिर्फ योग, व्यायाम का सहारा लिया बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों और दवाओं का भी जमकर इस्तेमाल शुरु किया है. खास बात यह है कि आयुर्वेद को लोग अब प्राथमिकता दे रहे हैं. अपने आसपास आसानी से मिल जाने वाली नीम, गिलोय, तुलसी के चमत्कारी औषधीय गुण को लोग अक्कसर भूल जाते हैं, पर आज उन्हीं औषधियों को लोग या तो पैसे देकर खरीद रहे हैं या फिर उसकी खोज में कई किलोमीटर तक चले जा रहे हैं.

आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी

सामान्य दिनों की तुलना में कोरोना काल में आयुर्वेदिक दवाओं की खरीदारी में बढ़ोतरी हुई है. आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री करने वाले एपी मिश्रा का कहना है कि इम्यूनिटी बुस्टर दवाएं लोग खूब खरीद रहे हैं. कोरोना काल में लगभग 50% की अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी देखने को मिली है.

आयुष डॉक्टरों का क्या है रिएक्शन

लोगों से हमने जब बात कि तो उनका कहना है कि आयुर्वेदिक इन दवाओं से कोई साइड इफेक्ट नहीं है लिहाजा वो इस पर यकीन कर रहे हैं. एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है जिसमें लोग आयुर्वेदिक दवाओं को अपने पुरखों की पद्धति मानने लगे हैं जो प्राकृतिक चीजों से बनाती हैं. वहीं आयुष विभाग के डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना काल में एलोपैथिक दवाओं की जगह अब आयुर्वेदिक दवाएं लोगों का फायदा पहुंचा रही हैं, जिससे उनकी बिक्री बढ़ी है. शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण इलाके, आयुर्वेद का चलन हर जगह बढ़ा है.

नई पीढ़ी का यकीन

कोरोना काल में सीधी जिले में लगभग 50 प्रतिशत आयुर्वेदिक दवाओं का चलन बढ़ा है. कोरोना काल से पहले जंगलों में मिलने वाली जड़ी बूटियां जिसे हम इग्नोर कर देते थे, आज वो हमारे काम आ रही हैं. नीम, तुलसी, बहेराॉ, हर्रा जैसी बहुत सी औषधियां हैं, जिसे अमूमन नजरअंदाज किया जाता था. लेकिन अब यही समाज में फिर से प्रचलित हो रही हैं और नई पीढ़ी भी इस पर यकीन जता रही है.

सीधी। देश में कोरोना संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है और लोगों की चिंता भी बढ़ रही है. इस महामारी से बचने के लिए लोग हर संभव प्रयास कर रहे हैं. एक नया ट्रेंड जिले में आजकल देखने को मिल रहा है. कोरोना का सटीक इलाज नहीं होने के चलते ऐलोपैथिक डॉक्टर भी मरीजों को इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेद का सहारा की सलाह दे रहे हैं. बढ़ते कोरोना मरीजों को देखते हुए अब आयुर्वेदिक दवाओं की तरफ लोगों का रुझान बढ़ा है. इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए लोग पुरानी भारतीय पद्धति और आयुर्वेदिक को अपना रहे हैं. 6 माह पहले तक अमूमन एलोपैथिक पर यकीन करने वालों की तादाद ज्यादा थीे, लेकिन कोरोना संक्रमण काल में आयुर्वेदिक दवाइयों पर लोगों ने भरोसा जताया. स्थानीय स्तर पर लगभग 50% लोग अब आयुर्वेदिक दवाओं पर विश्वास कर रहे हैं.

आयुर्वेदिक दवाईओं की बढ़ी बिक्री

कोरोना से जंग में आयुर्वेद बना हथियार बना

कोरोना संक्रमण से जंग के लिए चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े विद्वानों ने सबसे पहले इम्यून सिस्टम को मजबूत करने की जरूरत महसूस की. यही वजह है कि मार्च से अब तक लोगों ने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए न सिर्फ योग, व्यायाम का सहारा लिया बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों और दवाओं का भी जमकर इस्तेमाल शुरु किया है. खास बात यह है कि आयुर्वेद को लोग अब प्राथमिकता दे रहे हैं. अपने आसपास आसानी से मिल जाने वाली नीम, गिलोय, तुलसी के चमत्कारी औषधीय गुण को लोग अक्कसर भूल जाते हैं, पर आज उन्हीं औषधियों को लोग या तो पैसे देकर खरीद रहे हैं या फिर उसकी खोज में कई किलोमीटर तक चले जा रहे हैं.

आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी

सामान्य दिनों की तुलना में कोरोना काल में आयुर्वेदिक दवाओं की खरीदारी में बढ़ोतरी हुई है. आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री करने वाले एपी मिश्रा का कहना है कि इम्यूनिटी बुस्टर दवाएं लोग खूब खरीद रहे हैं. कोरोना काल में लगभग 50% की अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी देखने को मिली है.

आयुष डॉक्टरों का क्या है रिएक्शन

लोगों से हमने जब बात कि तो उनका कहना है कि आयुर्वेदिक इन दवाओं से कोई साइड इफेक्ट नहीं है लिहाजा वो इस पर यकीन कर रहे हैं. एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है जिसमें लोग आयुर्वेदिक दवाओं को अपने पुरखों की पद्धति मानने लगे हैं जो प्राकृतिक चीजों से बनाती हैं. वहीं आयुष विभाग के डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना काल में एलोपैथिक दवाओं की जगह अब आयुर्वेदिक दवाएं लोगों का फायदा पहुंचा रही हैं, जिससे उनकी बिक्री बढ़ी है. शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण इलाके, आयुर्वेद का चलन हर जगह बढ़ा है.

नई पीढ़ी का यकीन

कोरोना काल में सीधी जिले में लगभग 50 प्रतिशत आयुर्वेदिक दवाओं का चलन बढ़ा है. कोरोना काल से पहले जंगलों में मिलने वाली जड़ी बूटियां जिसे हम इग्नोर कर देते थे, आज वो हमारे काम आ रही हैं. नीम, तुलसी, बहेराॉ, हर्रा जैसी बहुत सी औषधियां हैं, जिसे अमूमन नजरअंदाज किया जाता था. लेकिन अब यही समाज में फिर से प्रचलित हो रही हैं और नई पीढ़ी भी इस पर यकीन जता रही है.

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