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डीएमएफ फंड को लेकर हुई बैठक, कई मामलों पर बीजेपी-कांग्रेस में नहीं बनी सहमति

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Published : Feb 17, 2020, 5:42 PM IST

सीधी के कलेक्टेट सभागार में डीएमएफ फंड की बैठक का आयोजन किया गया. जिसमें पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री सहित भाजपा के दो विधायक मौजूद रहे.

DM Fund meeting organized in sidhi
डीएम फंड को लेकर बैठक आयोजित

सीधी। जिले के प्रभारी और पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री ने जिला कलेक्ट्रेट सभागर में डीएम फंड की बैठक का आयोजन किया. बैठक में स्वास्थ्य, शिक्षा, साफ-सफाई सहित डाक्टरों की कमी के साथ ही आदिवासी छात्रावास में विकास के लिए राशि खर्च करने को लेकर चर्चा की गई. वहीं बैठक में भाजपा-कांग्रेस के बीच सहमति बनती नहीं दिखाई दी.

डीएम फंड को लेकर बैठक आयोजित

डीएम फंड की बैठक में सांसद रीती पाठक नहीं पहुंची. प्रभारी मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य व्यवस्था बनाने के लिए एंबुलेंस वाहन, सर्व सुविधा युक्त अस्पताल बनाने और मरीजों के खान-पान जैसे विषय पर चर्चा की गई. डॉक्टरों की कमी पूरी करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. बता दें कि बैठक में दो विधायक सहित कलेक्टर और प्रशासनिक अमला मौजूद रहा.

बहरहाल जिले में डीएमएफ फंड यानी खनिज संपदा के दोहन के बाद जो राशि मिलती है उसको जिले में शिक्षा, स्वास्थ्य सहित अन्य जनहित के कामों में खर्च की जाती है. वहीं स्वास्थ्य व्यवस्था के अलावा किसी अन्य मुद्दे पर सहमति बनती दिखाई नहीं दी. ऐसे में देखना होगा कि बैठक के बाद जिले में कितने विकास के दावे सार्थक हो पाते हैं.

सीधी। जिले के प्रभारी और पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री ने जिला कलेक्ट्रेट सभागर में डीएम फंड की बैठक का आयोजन किया. बैठक में स्वास्थ्य, शिक्षा, साफ-सफाई सहित डाक्टरों की कमी के साथ ही आदिवासी छात्रावास में विकास के लिए राशि खर्च करने को लेकर चर्चा की गई. वहीं बैठक में भाजपा-कांग्रेस के बीच सहमति बनती नहीं दिखाई दी.

डीएम फंड को लेकर बैठक आयोजित

डीएम फंड की बैठक में सांसद रीती पाठक नहीं पहुंची. प्रभारी मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य व्यवस्था बनाने के लिए एंबुलेंस वाहन, सर्व सुविधा युक्त अस्पताल बनाने और मरीजों के खान-पान जैसे विषय पर चर्चा की गई. डॉक्टरों की कमी पूरी करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. बता दें कि बैठक में दो विधायक सहित कलेक्टर और प्रशासनिक अमला मौजूद रहा.

बहरहाल जिले में डीएमएफ फंड यानी खनिज संपदा के दोहन के बाद जो राशि मिलती है उसको जिले में शिक्षा, स्वास्थ्य सहित अन्य जनहित के कामों में खर्च की जाती है. वहीं स्वास्थ्य व्यवस्था के अलावा किसी अन्य मुद्दे पर सहमति बनती दिखाई नहीं दी. ऐसे में देखना होगा कि बैठक के बाद जिले में कितने विकास के दावे सार्थक हो पाते हैं.

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