सीधी। चुरहट के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बड़खड़ा निवासी गुलजार मोहम्मद को 9:00 बजे ले जाया गया. जहां ओपीडी (OPD) में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था. 10:00 बजे तक मरीज के परिजनों ने इंतजार किया. 10:00 बजे के बाद किसी ने कहा कि आप डॉक्टर के कमरे में चले जाइए, तो पेशेंट का बेटा यार मोहम्मद, डॉ. वरुण सिंह के कमरे में गया, जहा डॉक्टर वरुण सिंह ने उससे कहा कि पहले आप कोविड की जांच करा कर आइए.
कोविड पेशेंट का बेटा अस्पताल में ही कोविड जांच के लिए इधर उधर भटकता रहा लेकिन जांच नहीं हुई. उसके बाद वह फौरन डॉ. वरुण के कमरे में गया और बोला कि वहां जांच के लिए कोई भी मौजूद नहीं है. इस पर डॉक्टर साहब ने कहा कि आप दोबारा जाइए, जांच करने वाला वहां आ चुका होगा. वह फिर से हॉस्पिटल लौटा और 15 मिनट पूरा इंतजार किया. जिसके बाद कोविड-19 के जांच करने वाले आए और उनकी कोविड-19 जांच की. कुछ समय बाद उन्हें बताया गया कि आपकी कोविड-19 की रिपोर्ट नेगेटिव है. लेकिन यार मोहम्मद के पिता की हालत गंभीर थी. इसके बाद भी डॉ. वरुण सिंह अपने कमरे से हॉस्पिटल नहीं पहुंच पाए थे.
शासन प्रशासन को इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए. जानकारी के अनुसार 11 से 13 तारीख के बीच में डॉक्टर केवल एक घंटे के लिए ओपीडी में आए थे. बाकी दिन पूरे दिन और रात अपने कमरे को नर्सिंग होम के रूप में तब्दील कर, लोकल इलाज कर रहे थे. इस दौर में आदमी एक वक्त की रोटी के लिए परेशान हैं. वह डॉक्टर की इतनी महंगी दवाई और फीस कैसे दे सकता है.
मृतक के बेटे का आरोप है कि यदि डॉक्टर समय पर मेरे पिताजी का इलाज शुरू कर देते तो शायद पिताजी की जान बच जाती. मृतक के बेटे ने डॉक्टर वरूण सिंह पर आरोप लगाया कि उन्होंने मुझझे कहा कि मैं अभी अस्पताल आ रहा है लेकिन वो नहीं आए शायद आ जाते तो मेरे पिता की जान बच जाती.