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बेटियों ने संभाला किसानी का जिम्मा, लेकिन मौसम की मार के आगे हौसले हुए पस्त

चुरहट थाना के सिमरिया इलाके में एक किसान की बेटियों ने खुद किसानी करने का जिम्मा उठाया है. लेकिन खराब मानसून के चलते उनके द्वारा बोई गई धान की फसल सूखने लगी है.

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Published : Jul 20, 2019, 11:54 PM IST

किसानी करती बेटियां

सीधी। आमिर खान की मशहूर फिल्म दंगल का डॉयलॉग 'बेटियां बेटों से कम हैं के' चुरहट की इन बेटियों पर सटीक बैठता है. क्योंकि ये बेटियां पांच एकड़ की खेती को अपने दम पर करती हैं. इसके अलावा वे पढ़ाई पर भी उतना ही ध्यान देती हैं. लेकिन इस बार इनकी मेहनत पर शायद पानी फिर सकता है क्योंकि खराब मानसून के चलते इनकी फसल सूखने के कगार पर है.

बेटियों ने संभाला किसानी का जिम्मा

मामला चुरहट थाना के सिमरिया इलाके का है जहां एक किसान की बेटियां पिता के बाहर जाने पर खुद खेती करने में जुट जाती हैं. पिता मजदूरी के लिए दूसरे शहर चले जाते हैं. वहीं बेटियां शालिनी और रितु पांच एकड़ खेती में खुद फसल उगाने और काटने का काम करती हैं. पढ़ाई के साथ घर में मदद करने के लिये खेती की जिम्मेदारी संभालकर इन बेंटियों ने 'बेटियां किसी से कम नहीं होतीं' मुहावरे को चरितार्थ किया है.

शालिनी का कहना है कि दोनों बहनें खेती करती हैं और साथ-साथ स्कूल भी जाती हैं. वहीं इस बार मौसम ने धोखा दे दिया है, जहां कम बारिश की वजह से उनकी धान की फसल सूखने के कगार पर है. ऐसे में जिले भर के किसान मानसून के रुठने की वजह से परेशान हैं.
सरकार भले ही किसानों के तमाम योजनाएं लाती है, लेकिन किसानों को उन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. जिले में ऐसे कई किसान हैं जिनके पास बैल और ट्रैक्टर नहीं हैं. इसके बावजूद भी कड़ी मेहनत कर खेतों में काम करते हैं और ऐसे ही में मौसम अगर धोखा दे जाए तो आखिर किसान कहां जाऐं.

सीधी। आमिर खान की मशहूर फिल्म दंगल का डॉयलॉग 'बेटियां बेटों से कम हैं के' चुरहट की इन बेटियों पर सटीक बैठता है. क्योंकि ये बेटियां पांच एकड़ की खेती को अपने दम पर करती हैं. इसके अलावा वे पढ़ाई पर भी उतना ही ध्यान देती हैं. लेकिन इस बार इनकी मेहनत पर शायद पानी फिर सकता है क्योंकि खराब मानसून के चलते इनकी फसल सूखने के कगार पर है.

बेटियों ने संभाला किसानी का जिम्मा

मामला चुरहट थाना के सिमरिया इलाके का है जहां एक किसान की बेटियां पिता के बाहर जाने पर खुद खेती करने में जुट जाती हैं. पिता मजदूरी के लिए दूसरे शहर चले जाते हैं. वहीं बेटियां शालिनी और रितु पांच एकड़ खेती में खुद फसल उगाने और काटने का काम करती हैं. पढ़ाई के साथ घर में मदद करने के लिये खेती की जिम्मेदारी संभालकर इन बेंटियों ने 'बेटियां किसी से कम नहीं होतीं' मुहावरे को चरितार्थ किया है.

शालिनी का कहना है कि दोनों बहनें खेती करती हैं और साथ-साथ स्कूल भी जाती हैं. वहीं इस बार मौसम ने धोखा दे दिया है, जहां कम बारिश की वजह से उनकी धान की फसल सूखने के कगार पर है. ऐसे में जिले भर के किसान मानसून के रुठने की वजह से परेशान हैं.
सरकार भले ही किसानों के तमाम योजनाएं लाती है, लेकिन किसानों को उन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. जिले में ऐसे कई किसान हैं जिनके पास बैल और ट्रैक्टर नहीं हैं. इसके बावजूद भी कड़ी मेहनत कर खेतों में काम करते हैं और ऐसे ही में मौसम अगर धोखा दे जाए तो आखिर किसान कहां जाऐं.

Intro:एंकर किसानों के हित की बात करने वाली सरकार किसानों के लिए कितना सोच रही है जिसकी एक बानगी सीधी जिले में देखने को मिलती है एक तो भगवान की मार दूसरा गरीबी के चलते किसान अपने खेतों में मेहनत करते हैं लेकिन पानी ना गिरने की वजह से उनकी फसलें सूखने की कगार पर आ पहुंची है जिसकी वजह से किसानों की चिंता और बढ़ गई है लोग अपने साधन से खेतों में पानी पहुंचा रहे हैं लेकिन 15 दिन से पानी ने गिरने की वजह से फसलें सूख रही हैं एक रिपोर्ट.।


Body:वॉइस ओवर(1) पेट की भूख किसानों से क्या न करवा ले यह कम है ऐसी ही किसान की बेटी है तो चुरहट थाना के सिमरिया इलाके में रहती है और खुद खेती करती है और पढ़ाई भी कर रही है पिता मजदूरी के लिए दूसरे शहर गए हुए हैं लेकिन कहा जाता है कि बेटियां किसी से कम नहीं होती आज के इस दौर में बेटियां हर कदम पर आगे मिलती है शालिनी और रितु नाम की दो बेटियां हैं जो अपनी 5 एकड़ खेती में खुद फसल उगाते हैं और खुद काटती हैं हालांकि इस बार मौसम ने किसानों को धोखा दे दिया है जिसकी वजह से धान की फसल तो लगा दी गई लेकिन पानी ना गिरने की वजह से उनकी फसलें सूख रही है यदा-कदा किसान अपने साधनों से खेतों को खींच रहे हैं लेकिन गरीब किसानों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है खेत में काम कर रही जब एक लड़की से हमने बातचीत की तो उसका कहना है कि वह दोनों बहनें खेती करती हैं और साथ-साथ स्कूल भी पढ़ाई करती हैं वहीं किसान का कहना है कि इस बार मौसम ने धोखा दे दिया है पानी न गिरने से उनकी धान की फसलें सूख रही।
बाइट(1)शालिनी(2)सुरेन्द शर्मा(किसान)


Conclusion:बहरहाल सरकार भले ही किसानों के लिए लाख योजनाएं शुरू करें लेकिन इन किसानों तक योजनाएं पहुंचते-पहुंचते दम तोड़ देती है जिले में ऐसी कई किसान हैं जिनके पास ना तो बैल है और ना ही ट्रैक्टर इसके बावजूद भी कड़ी मेहनत कर खेतों में काम करते हैं और ऐसे ही में मौसम अगर धोखा दे जाए तो आखिरी किसान जाएं तो जाएं कहां इनके आगे भूखे मरने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचता।
पवन तिवारी ईटीवी भारत सीधी मध्य प्रदेश
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